होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सामाजिक कार्यों हेतु कार्यरत संस्था सवेरा ने भारत सरकार के प्रति रोष व्यक्त करते हुए, सरकार द्वारा करीब एक लाख जे.सी.ओ. और सैनिकों को अधिक मिल्ट्री-पे न देने का जो निर्णय लिया है उस पर पुन: विचार करने की मांग की है। अधिक मिल्ट्री पे उन सैनिकों को दिया जाता है जो देश की सीमाओं पर अति दुर्गम इलाकों में देश की सेवा हेतु अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं। सवेरा के कनवीनर डा. अजय बग्गा ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 90 हजार जूनियर कमिशन्ड अधिकारी तथा 25 हजार नौसेना एवं भारतीय वायुसेना कर्मयों के हितों से खिलवाड़ है।
जे.सी.ओ. और सैनिकों को अधिक मिल्ट्री पे न देने के फैसले की पुन: समीक्षा करने की मांग
राजनेताओं की बात की जाए तो 95 प्रतिशत राजनेता ऐसे हैं जिन्होंने न खुद, न उनके बच्चों तथा न ही रिश्तेदारों ने सैनिक सेवाएं निभाई हैं। मगर, देश की रक्षा में अपना जीवन न्यौछावर करने वाले इन सैनिकों के प्रति राजनीतिज्ञों का उदासीन रवैया बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह राजनेता अकसर जनता की सहानुभूति पाने के लिए सैनिक हितों को सुरक्षित करने की बात करके देशभक्ति का राग अलापते रहते हैं।
डा. बग्गा ने कहा कि यह वे सैनिक हैं जो अति दुर्गम इलाकों में कुदरती आपदाओं के जोखिम भरे वातावरण में देश की सुरक्षा में डटे रहते हैं। इनके प्रति देश की सरकार को सकारात्मक रवैया रखना चाहिए। ऐसे फैसले पर पुन: विचार किया जाना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि इन सैनिकों और देश सेवा की भावना मन में रखकर दुर्गम से दुर्गम इलाकों में सेवा निभाने की भावना रखकर सेना में भर्ती होने वाले जवानों का मनोबल बढ़ाने की तरफ कदम उठाना चाहिए। सैनिकों के हितों पर राजनेताओं के दोहरे चरित्र की डा. बग्गा ने कड़े शब्दों में निंदा की और सरकार से मांग की कि इस फैसले की पुन: समीक्षा करवाकर सैनिकों के हितों को सुरक्षित किया जाए।