अपने ही गृह जिला बिलासपुर में विरोध के चलते रुकी चंदेल की कांग्रेस एंट्री

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। हमीरपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस टिकट की जुगाड़ में चर्चा में बने रहे पूर्व सांसद सुरेश चंदेल एक बार फिर बिलासपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक बंबर ठाकुर के भंवरजाल में फंस गये हैं। अपने ही गृह जिला में कांग्रेस के विरोध के कारण सुरेश चंदेल की एंट्री अबतक न हो पाई है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष बंबर ठाकुर सहित बिलासपुर जिला के अनेक सीनियर कांग्रेसी सुरेश चंदेल के कांग्रेस में आकर टिकट झटकने की हसरतों को सिरे नहीं चढऩे दे रहे हैं। यही कारण है कि हमीरपुर संसदीय सीट से सुरेश चंदेल की कांग्रेस उम्मीदवारी का चैप्टर लगभग क्लोज हो चुका है। 2012 में विधानसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से एक बार सुरेश चंदेल को पटखनी दे चुके बंबर ठाकुर वर्तमान में जिला कांग्रेस अध्यक्ष हैं। यह लगभग असंभव दिख रहा था कि बंबर ठाकुर के जिला कांग्रेस अध्यक्ष होते सुरेश चंदेल सीनियर कांग्रेसियों के सिर पर आकर बैठ जाए।

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बंबर ठाकुर स्वयं उम्मीदवारी के दावेदार

गौरतलब है कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष बंबर ठाकुर ने स्वयं हमीरपुर संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर आवेदन किया हुआ है। वह इस बारे गंभीरता से फील्ड में उतर कर बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, देहरा व धर्मपुर क्षेत्रों में लोगों के बीच जा चुके हैं। ऐसे में भाजपा से पूर्व में तीन बार जीते सांसद सुरेश चंदेल की कांग्रेस में आकर टिकट झटकने की मंशा को बंबर ठाकुर अब तक तो सफल रहे हैं। इस अभियान में उन्हें राम लाल ठाकुर व राजेश धर्मानी का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। बड़े कांग्रेसी नेता हरगिज यह नहीं चाहेंगे कि भाजपा से आकर कोई नेता उनके ऊपर आदेश चलाना शुरु कर दे। बंबर ठाकुर ने बताया कि कांग्रेस में एंट्री के लिए सुरेश चंदेल का जिला कांग्रेस कमेटी के पास कोई आवेदन नहीं आया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमीरपुर संसदीय सीट पर इस बार मूल कांग्रेसी को ही टिकट मिलेगा, बाहरी उम्मीदवार हरगिज स्वीकार्य नहीं होगा।

आप को बता दें कि बिलासपुर जिला कांग्रेस के विरोध के चलते अब तक सुरेश चंदेल की टिकट तो दूर, कांग्रेस में एंट्री तक न हो पाई है। काबिलेगौर है कि भाजपा के पूर्व सांसद सुरेश चंदेल ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे की बात कहकर लोकसभा चुनाव की सियासत में नई जंग छेड़ दी थी सुरेश चंदेल ने यह नहीं कहा कि वह भाजपा कब छोड़ रहे हैं और कौन सी पार्टी की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। यह अवश्य कहा कि राजनीति में सभी विकल्प खुले हैं। कांग्रेस में शामिल होने की बात पर चंदेल ने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में रहने वाले सभी से चर्चा हुई है और कांग्रेसी नेताओं से भी चर्चा हुई है, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बारे में अभी निर्णय नहीं लिया है।

अनुराग के मुकाबले राणा और नरेंद्र ठाकुर भी लड़ चुके चुनाव

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है और गत 20 वर्ष से अधिक समय से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा का ही कब्जा है। लेकिन कांग्रेस का देखा जाए तो गत दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने संगठन से जुड़े नेता को टिकट न देकर भाजपा से दल-बदल कर कांग्रेस में आए नेता को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से कांग्रेस में आए नरेंद्र ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया था, जो भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर से 73 हजार वोटों से पराजित हुए थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक राजेंद्र राणा को अपना प्रत्याशी बनाया जो अनुराग ठाकुर से लगभग 1 लाख वोटों से पराजित हुए। राणा भी निर्दलीय विधायक बनने से पहले भाजपा के नेता रहे हैं।

कौन है सुरेश चंदेल

भाजपा के सीनियर नेता सुरेश चंदेल हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे हैं। वह 1998 से 2006 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर सांसद रहे लेकिन 2006 में रिश्वत कांड में नाम आने की कारण उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गई थी। इसके बाद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव में प्रेम कुमार धूमल सांसद बने। इसके बाद हुए लोकसभा के चुनाव में पार्टी ने प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया। अनुराग ठाकुर भी लगातार तीन बार से लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के प्रत्याशी के रुप में अनुराग ठाकुर ही मैदान में रहेंगे। लेकिन रिश्वत कांड में फंसे सुरेश चंदेल की सदस्यता समाप्त होने के बाद वह लंबे समय तक राजनीतिक बनवास में रहे। इसके बाद भाजपा के संगठन से जुडक़र काम करते रहे। वह भाजपा के साथ-साथ भाजपा के अन्य सहयोगी संगठनों में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

बंबर ठाकुर के हाथों सुरेश चंदेल हार चुके विधानसभा चुनाव

भाजपा संगठन में कार्य करते हुए सुरेश चंदेल फिर राजनीति की मुख्यधारा में आए और भाजपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया लेकिन वह बंबर ठाकुर से चुनाव हार गए। अपने सियासी भविष्य के संवारने के लिए चंदेल में बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में पांच साल जमकर काम किया लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव के समय चंदेल को टिकट न देकर सुभाष ठाकुर को टिकट दे दिया गया। इसके बाद से सुरेश चंदेल नाराज रहे। सरकार बनने के बाद उम्मीद थी कि चंदेल को सरकार में कहीं एडजस्ट किया जाएगा लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका। जिससे नाराज चंदेल अपने समर्थकों के साथ राजनीत की नई राह तलाश कर रहे हैं। दो नावों में सवार सुरेश चंदेल को अनुराग के होते भाजपा में तो लोकसभा टिकट मिलना संभव ही नहीं है लेकिन मजबूत बिलासपुर कांग्रेस ने इनकी कांग्रेस में एंट्री की राहें भी बंद कर दी हैं। अपने ही गृह जिला में सुरेश चंदेल को लेकर उठे विरोध के स्वर कांग्रेस के दिल्ली दरबार में भी असर दिखा गये हैं।

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