होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: समीर सैनी। राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र नहीं और न ही शत्रु यह पंक्तियां राजनीतिक सिस्टम को देखते हुए ही किसी ने कहीं होंगी। मगर 10 साल के लंबे अर्से के बाद सत्ता में आए कांग्रेसियों का इतनी जल्दी रंग बदल जाएगा यह शायद किसी को भी उम्मीद नहीं होगी।
इन दिनों जिला परिषद एवं ब्लाक समितियों के चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में अपने प्रत्याशी के हक में हर नेता चुनाव प्रचार तेजी से कर रहा है ताकि उसकी जीत सुनिश्चित हो सके। इसके लिए प्रत्याशी व उसके समर्थकों द्वारा प्रयार हेतु पूरे जोर-शोर के साथ फ्लैक्स बोर्ड आदि लगाकर भी लोगों को प्रत्याशी के हक में लामबंद किया जा रहा है। मगर, आदमवाल इलाके में लगा एक फ्लैक्स बोर्ड काफी चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि उस फ्लैक्स बोर्ड में कांग्रेसी के लगभग समस्त दिग्गजों के फोटो देखने को मिल रहे हैं, मगर कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा का फोटो न होने से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
जिला परिषद एवं ब्लाक समिति के चुनाव प्रचार हेतु लगाए गए इस फ्लैक्स बोर्ड पर जिला परिषद सीट हरदोखानपुर के लिए डा. अमृतपाल सिंह की फोटो है तो उनके नीचे ब्लाक समिति प्रत्याशी एडवोकेट विक्रम की। इसके अलावा बोर्ड में बड़े-बड़े कांग्रेसी नेताओं की फोटो उनके प्रति नेता व कार्यकर्ता के सम्मान को प्रकट करती नजर आ रही हैं। इतना ही नहीं विधायक एवं जिला प्रधान पवन आदिया की फोटो भी बोर्ड पर विरामान की गई है। परन्तु सभी फोटो में से एक चेहरा ऐसा है, जिसे पंजाब के कैबिनेट मंत्री होने क मान हासिल है तथा वे कांग्रेसी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए खुद गांव-गांव घूमकर बैठकों को संबोधित करते हुए लोगों को कांग्रेसी उम्मीदवार के हक में बोट देने की अपील की थी और वो चेहरा है कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा का।
अपने प्रिय नेता कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा की फोटो फ्लैक्स पर न होने का दर्द कई कार्यकर्ताओं को है, मगर गुटबाजी एवं पार्टी के प्रति न होकर मात्र एक नेता तक सीमित प्रत्याशियों एवं कार्यकर्ताओं का प्रेम ऐसे सवालों को जन्म देने का काम करता है। कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान में कहा कि जिस हल्के में यह फ्लैक्स लगा है वह श्री अरोड़ा के हल्के में पड़ता है तथा ऐसे में उनके नेता की फोटो का न होना कहीं न कहीं अखरेगा ही। जिसके चलते पार्टी में एकजुटता का पाठ पढ़ाने वाले सबक का अनुसरन करना जरुरी नहीं समझा जा रहा। इस फ्लैक्स को देखकर ही कांग्रेस के भीतर चल रहे अंतरद्वंद की तरफ इशारा साफ हो जाता है कि सत्ता में आसीन होने के बाद भी पार्टी के भीतर द्वंद कम नहीं हुआ और खींचतान एवं गुटबाजी कांग्रेस में भी कम नहीं है। भले ही एक तरफ जहां समस्त कांग्रेसी अपनी जीत सुनिश्चित करके बैठे हों, मगर दूसरी तरफ ऐसी चर्चाएं कहीं न कहीं दीमक का काम कर जाएं, इसकी आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।