एम्बुलैंस वाले ने बीच सडक़ में छोड़ा, नवजात को गोद में लेकर मदद की भीख मांगता रहा बेबस परिवार

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। “यह खबर पढऩे से पहले जरा सोचिया कि आपके घर बच्चे ने जन्म लिया हो और उसकी तबीयत खराब होने पर आप एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हों और रात के समय एम्बुलैंस वाला आपको बीच सडक़ पर असहाय छोडक़र चला जाए व आपके पास कोई साधन न हो। ऐसे में आप क्या करोगे और आपकी मनोदशा क्या होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। जी हां! ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसने सारी मानवता को एक बार फिर से शर्मसार कर दिया है।”

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मामला जिला होशियारपुर के मुकेरियां का है, जहां पर एक बेबस गरीब परिवार अपनी नवजात बच्ची को गोद में लिए मदद की गुहार लगाता रहा, मगर रात का समय होने के चलते उन्हें मदद नहीं मिली, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिस एम्बुलैंस में वे मुकेरियां अस्पताल पहुंचे थे और वहां से उन्हें होशियारपुर रैफर कर दिया गया था पर एम्बुलैंस वाले ने उन्हें बीच सडक़ पर यह कहते हुए उतार दिया कि वह होशियारपुर नहीं जाएगा। इसके बाद करीब 5 घंटे परिवार मदद के लिए इधर-उधर भटकता रहा। पांच घंटे बाद होशियारपुर से उनके मालिक ने गाड़ी भेजी तो वे अपनी बच्ची को लेकर होशियारपुर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां पर बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है। परिवार का कहना है कि एम्बुलैंस वाला अगर समय पर यहां पहुंचा देता तो शायद उनके बच्चे की हालत स्थिर होती।

जानकारी अनुसार हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के मुबारिकपुर के समीपवर्ती गांव बनतार स्थित भट्ठे पर काम करने वाले मनोज कुमार की पत्नी सीमा देवी (19) जोकि गर्भवती थी को डिलीवरी के लिए हाजीपुर अस्पताल लाया गया था। जहां पर गत सायं 20 जुलाई को बेटी ने जन्म लिया था। जिसे सांस लेने में दिक्कत पेश आ रही थी और उसकी हालत नाजुक देखते हुए उसे रात करीब 9 बजे मुकेरियां अस्पताल रैफर कर दिया गया था। परन्तु मुकेरियां अस्पताल में व्यापक उपकरण न होने के चलते डाक्टरों ने बच्ची की हालत को देखते हुए उन्हें होशियारपुर रैफर कर दिया था। मगर जिस एम्बुलैंस में वे हाजीपुर से मुकेरियां पहुंचे थे, उसने उन्हें होशियारपुर पहुंचाने से मना कर दिया और रात करीब साढे 10 बजे उन्हें सडक़ पर उतारकर वे चला गया। इसके बाद वे मदद के लिए सडक़ पर इधर-उधर भटकते रहे, मगर उन्हें मदद नहीं मिली।

काफी देर रात के अंधेरे में मदद की गुहार लगाने उपरांत उन्होंने किसी तरह से इस संबंधी होशियारपुर में अपने भट्ठा मालिक को सूचना दी तो उन्होंने होशियारपुर से गाड़ी भेजकर उनकी मदद की। सुबह 4 बजे गाड़ी उन्हें होशियारपुर सिविल अस्पताल लेकर पहुंची। अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने बच्ची का उपचार शुरु कर दिया था। मगर डाक्टरों के अनुसार बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है। पीडि़त परिजनों का कहना है कि अगर एम्बुलैंस वाला उन्हें समय पर यहां पहुंचा देता तो शायद उनकी बच्ची की हालत ठीक होती। परन्तु शायद वे गरीब हैं और इसलिए उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया. . . यह कहते हुए महिला के आंसू छलक पड़े।

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