कड़ी मेहनत से हासिल होती हैं उपलब्धियां, शिक्षा के साथ खेल भी जरूरी: धूमल

हमीरपुर, टौणीदेवी (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। विद्यार्थी जीवन में की गयी कड़ी मेहनत ही उपलब्धियां हासिल करने की सबसे बड़ी कूंजी होती है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने बुधवार को बारहवीं की परीक्षाओं में प्रदेश भर में पहला स्थान हासिल करने वाले पंजोत पंचायत के टिक्करी गाँव के साहिल कतना को आशीर्वाद देने के पश्चात यह बात कही। पूर्व सीएम ने प्रदेश भर में जमा दो की परीक्षाओं में अव्वल आये बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दीं हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कमाना की है।

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प्रो. धूमल ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा है कि छात्रजीवन में जो बच्चे कड़ी मेहनत करते हैं, वह अपने जीवन में बुलंदियों तक पहुँचते हैं। विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने में उनके शिक्षकों और अभिभावकों का भी बहुत बड़ा रोल रहता है। इसलिए प्रदेश भर में जमा दो की परीक्षाओं में अव्वल आये बच्चों के साथ-साथ वह उनके माँ-बाप और शिक्षकों को भी बधाई देते हैं।

पूर्व सीएम ने बारहवीं की परीक्षाओं में अव्वल आये बच्चों को दी शुभकामनाएं, टॉप करने वाले साहिल ने प्राप्त किया आशीर्वाद

प्रो. धूमल ने कहा कि मनुष्य का छात्रजीवन वात्सव में उसका सबसे महत्वपूर्ण जीवन काल होता है, चूँकि इसी समय में वह शिक्षा ग्रहण कर अपने दिमाग को विकसित कर, विद्वान और ज्ञानी बन निपुणता, दक्षता और कुशलता हासिल करता है, यही ज्ञान जीवन पर्यन्त उसके काम आता है। यद्यपि कुछ लोग जीवन के इस समय की महत्ता को न समझ कर समाज में फैली कुरीतियों का शिकार हो जाते हैं और अपना जीवन व्यर्थ करते हैं। नशों की प्रवृत्ति वो भयावह अभिशाप है जो आज अंदर ही अंदर समाज की युवा पीढ़ी को खोखला करती जा रही है। किसी भी समाज की युवा पीढ़ी ही वास्तव में उसकी असल सम्पति होती है, जिसे इस अभिशाप से बचाना चाहिए। इसके लिए अभिभावकों व शिक्षकों को बच्चों के प्रति सचेत रह उनके जीवन को सही राह में चलाना जरुरी है।

प्रो. धूमल ने कहा कि पहले के समय में प्राय जैविक कृषि व घर में बने उत्पादों को खाकर बच्चे हृष्ट पुष्ट होते थे तथा तनाव रहित जीवन जीते हुए नशे से भी दूर रहते थे। तब अक्षर कहा जाता था खेलों से दूर रह कर पढाई पर ध्यान दो। लेकिन वर्तमान समय में जब रासायनिक खेती हो रही है, हर जगह डिब्बाबंद वस्तुएं खानपान में शामिल हैं तो कहीं न कहीं जीवन शैली में परिवर्तन हुआ है। अवसाद और तनाव बच्चों में आम देखा जाता है। बड़ी हद तक आधुनिक जीवन व्यवस्थाएं जैसे की एकल परिवार, खेल कूद के लिए मैदान नहीं बल्कि बंद कमरे में इलैक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स का इस्तमाल होता है, माँ-बाप बच्चों का कम ध्यान रखते हैं इत्यादि भी इस सब के लिए जिम्मेवार है। इसलिए बच्चों को चाहिए की वह नशों से दूर रह कर, खेलों में हिस्सा लें। खेलों से व्यायाम भी होता है, शरीर स्वस्थ रहता है और एकाग्र होकर पढ़ाई करने की क्षमता भी बढती है।

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