गतका को पेटैंट कराने संबंधी दस्तावेज़ों के साथ की छेड़छाड़: ग्रेवाल

चण्डीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। सिक्ख शष्त्र विद्या और गतका को ट्रेडमार्क कानून के अंतर्गत पेटैंट करवाने विरुद्ध देश -विदेश में रहते सिक्खों और गतका जत्थेबंदियाँ पूर्ण गुस्से में हैं। नेशनल गतका एसोसिएशन आफ इंडिया की तरफ से संबंधित व्यक्ति को तलब करने और इस पेटैंट को शीघ्र रद्द करवाने की शिकायत सिक्खों की सुप्रीम संस्था श्री अकाल तख़्त साहिब के पास भी पहुँच चुकी है लेकिन इसी दौरान पेटैंट करवाने वाले कंपनी और उस के मालिक की तरफ से दिल्ली में 20 करोड़ रुपए ख़र्च कर गत्तके की वल्र्ड लीग कराने, जाली बुकिंग रसीदें छापने और कंपनियां स्थापित करने को लेकर काफ़ी नए रहस्य सामने आए हैं।

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20 करोड़ की गतका लीग की रसीदें फर्जी, 40 गतका प्रशिक्षकों की भरती की घोषणा भी निकली फर्जी

एक प्रैसवार्ता के दौरान यह खुलासा करते हुए नेशनल गतका एसोसिएशन आफ इंडिया के प्रधान हरजीत सिंह ग्रेवाल स्टेट अवार्डी ने बताया कि दिल्ली के जिस व्यक्ति हरप्रीत सिंह खालसा, ने ट्रेडमार्क कानून के अंतर्गत गतका और सिक्ख युद्ध कला को पेटैंट करवाया है उसकी तरफ से 22 मार्च से 28 मार्च तक दिल्ली के ज्वाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सार्वजनिक रूप से घोषित की वल्र्ड गतका लीग करवाना भी एक सफेद झूठ सिद्ध हुआ है। इतना ही नहीं इस व्यक्ति ने अपनी, तीन वैबसाईटों पर वल्र्ड गतका लीग पर खर्च किए जाने वाले 20 करोड़ रुपए का विवरण भी पेश किया है लेकिन वास्तव में इस लीग के नाम पर गतका खिलाडिय़ों के साथ धोखा हुआ है क्योंकि विजेता टीमों के लिए एक करोड़ रुपए, दूसरे स्थान के लिए 75 लाख रुपए और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 50 लाख रुपए नकद ईनाम देने की जनतक घोषणा भी वैबसाईट व अन्य शोशल मीडिया पर किया हुआ था।

अब इस व्यक्ति की तरफ से यह वल्र्ड गतका लीग 6 अप्रैल से कराने का भ्रम छोड़ा गया है और दावा किया है कि इस लीग का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री की तरफ से ही किया जाएगा लेकिन अनुमान है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस तरह के किसी भी समारोह के लिए कोई भी समय नहीं दिया है। इसके अतिरिक्त इसी व्यक्ति की तरफ से अपने एक ई-पेपर हमारा-हक सहित वेबसाइटों व शोशल मीडिया पर 40 गतका प्रशिक्षकों की भर्ती करने के लिए प्रचार किया जा रहा है जिनको वह अपनी कंपनी की तरफ से 30 हज़ार रुपए प्रति महीना व महँगाई भत्ता, सफऱ भत्ता आदि देने और 30 हज़ार रुपए प्रति महीना साई की तरफ से देने का आश्वासन गतका खिलाडिय़ों को दिया जा रहा है लेकिन जब इस संबंधित साई के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की भर्ती करने से इनकार किया है व शिकायत मिलने पर साई के नाम पर धांधली करने वाले के खिलाफ कार्यवाई करने का आश्वासन दिया है।

उन्होंने खुलासा किया कि इस व्यक्ति की तरफ से देश -विदेश में से चंदा इक_ा करने के नाम पर स्पोर्टस अथार्टी आफ इंडिया (अग्रिम राशी) के नाम की दो जाली रसीदें छपवाईं गई जिन में से एक रसीद एक करोड़ 75 लाख रुपए और दूसरी रसीद 25 लाख रुपए की ज़मानत जमा करवाने संबंधी है जबकि साई की तरफ से इस तरह की रसीदें जारी करने से स्पष्ट इंकार किया गया है। पता करने पर साई के आधिकारियों का कहना था कि स्टेडियम की बुकिंग के लिए उन्होंने रसीदें ही नहीं छपवाईं क्योंकि स्टेडियम की बुकिंग तो आनलाइन ही होती है। उन्होंने मार्च माह में जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में किसी गतका टूर्नामैंट के लिए बुक्क होने से भी इंकार किया व रसीदों को भी जाली करार दिया है। साई के उच्च आधिकारियों ने लिखित शिकायत मिलने पर फज़ऱ्ी रसीदें तैयार करके साई के नाम का गलत इस्तेमाल करने वाले दोषियों के खिलाफ पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने का आश्वासन दिया है।

गतका प्रमोटर हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बताया कि उन्होंने ट्रेडमार्क अथार्टी से आर टी आई के माध्यम से गतका और सिक्ख युद्ध कला को पेटैंट करवाने संबंधी आवेदनकर्ता की तरफ से जमा किए गए सभी दस्तावेज मांगे हैं जिससे गुरू साहिबान की तरफ से सिक्खों को दी इस रहमत और पुरातन युद्ध विद्या को किसी एक व्यक्ति की तरफ से अपने नाम पर मालकियत दर्ज कराने संबंधी दिए गए सबूतों और दस्तावेजों की आलोचना की जा सके। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में पाया है कि इस व्यक्ति ने अपनी, तीन वैबसाईटों पर पेटैंट करवाने संबंधी अपलोड किए गए दस्तावेजों में भी छेड़छाड़ की हुई है और ट्रेडमार्क अथार्टी की तरफ से जारी सरकारी दस्तावेज़ों में दिए संपर्क नंबर और ईमेल बदलकर कोई अन्य निजी ईमेल और नंबर लिखे हुए हैं जो कि सरकारी दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ करना एक जुर्म होता है।

ग्रेवाल ने यह भी बताया कि पिछले दिनों नेशनल गतका एसोसिएशन आफ इंडिया और इंटरनेशनल सिक्ख मार्शल आर्ट अकादमी की तरफ से दिल्ली के इस व्यक्ति की तरफ से गत्तके को पेटैंट कराने संबंधी किए रहस्यों के बाद इस व्यक्ति ने अपनी, तीनों वैबसाईटें बंद कर दीं हैं लेकिन उन्होंने इन वैबसाईटों का सारा रिकार्ड संभाल लिया है और उन दस्तावेज़ों की एक नकल श्री अकाल तख़त साहिब को भी सौंप दी है। उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति ने पाँच अलग -अलग नाम ट्रेडमार्क कानून के अंतर्गत पेटैंट करवाने के लिए आवेदन दिए थे जिन में से गतका और सिक्ख शष्त्र कला समेत इंडियन गतका फेडरेशन, वल्र्ड गतका लीग और सुपर गतका कानफैड्डरेशन शामिल हैं। ग्रेवाल ने बताया कि जैसे ही उनकी गतका जत्थेबंदी को यह पेटैंट करवाने की सूचना मिली तो उन्होंने भारतीय ट्रेडमार्क अथॉरिटी के पास अपना लिखित रोष व्यक्त किया ,जिस के बाद पता चला है कि इन में से कुछ नामों पर ट्रेडमार्क अथार्टी ने फि़लहाल रोक लगा दी है।

उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति की तरफ से भारतीय कंपनी कानून के अंतर्गत तीन कंपनियां को भी रजिस्टर्ड करवाया गया हैं जिन में ‘वल्र्ड लीग इंडिया गतका फेडरेशन ’, ‘किक शूज प्राईवेट लिमटिड ’ और ‘हमारा हक मीडिया प्राईवेट लिमटिड ’ शामिल हैं। दिल्ली स्थित यह ‘वल्र्ड लीग इंडिया गतका फेडरेशन ’ नाम की कंपनी साढ़े पाँच महीने पहले ही अक्तूबर 2018 को रजिस्टर्ड हुई है जिसका पूंजी निवेश और खर्चा जीरो पैसा है और कंपनी की तरफ से खेल व मनोरंजन की गतिविधियां करना अपना उद्देश्य लिखा गया है। दो डायरेक्टरों की हिस्सेदारी वाली इस कंपनी की तरफ से ही दिल्ली में 20 करोड़ रुपए ख़र्चकर वल्र्ड गतका लीग करवाई जानी थी लेकिन हैरानी की बात है कि ज़ीरो पूँजी निवेश वाली यह कंपनी पाँच महीनों के अंदर ही 20 करोड़ रुपए का खर्चा कहाँ से और किस तरीको साथ कर रही थी, यह अलग पड़ताल का विषय है।

इस संबंधित नेशनल गतका एसोसिएशन आफ इंडिया और इंटरनेशनल सिक्ख मार्शल आर्ट अकादमी की तरफ से आमदन कर विभाग व अन्य संबंधित भारतीय अथार्टियों को पूरी जांच करने के लिए लिखा जा रहा है। इस कंपनी की तरफ से अभी तक न तो कोई सालाना जनरल इजलास बुलाया गया है और न ही आमदन कर संबंधी कोई रिटर्न फाइल करने का पता चला है। चमडो के जुत्ते, थैला व अन्य सामान बनाने के शीर्षक अधीन दिसंबर 2018 को दो डायरेक्टरों की मालकीयत अधीन रजिस्टर्ड हुई ‘किक शूज प्राईवेट लिमटिड ’ नाम वाली कंपनी की तरफ से 6लाख रुपए की पूँजी होना दिखाया गया है।

सात लाख की पूँजी वाली ‘हमारा हक मीडिया प्राईवेट लिमटिड ’ नामी कंपनी तीन साल पुरानी रजिस्टर्ड है जिस की तरफ से प्रकाशन, प्रिंटिंंग और मीडिया के साथ संबंधी कार्य करने दिखाऐ हुए हैं परन्तु इस कंपनी के एक डायरैक्टर रणजीत सिंह की तरफ से व्यक्तिगत पहचान (के.वाई.सी) संबंधी फार्म दाखि़ल न करने के चलते उसकी डायरैक्टर पहचान नंबर (डी.आई.एन.) को कंपनी रजिस्ट्रार की तरफ से डीएक्टीव किए होने का पता चला है। ग्रेवाल ने कहा कि उक्त व्यक्ति संबंधी अन्य ख़ुफिय़ा पड़ताल चल रही है और आने वाले दिनों में अन्य पुख़ता सबूत सामने आने पर संगत के रूबरू रखा जाएगा।

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