गौ-दुग्ध का सेवन मनुष्य के लिए अमृत स्वरुप: साध्वी सौम्य भारती

होशियारपुर/टांडा उड़मुड़ (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रिषीपाल। श्रीराम कृष्ण आराधना मंंच पंजाब की ओर से श्री विश्वर्कमा मंदिर टांडा में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया जा रहा है। 12 से 16 मार्च तक चलने वाली कथा के तीसरे दिन में साध्वी सौम्य भारती जी ने प्रभु कथा का रसपान करवाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण अपने बाल गवालों के साथ खेलते हुए खेल ही खेल में उनका मार्गदर्शन करते है। माखन चुराकर मानो कह रहें हो कि संसार में माया का नही अपितु ईश्वर रुपी सार का चयन करें।

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साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ऐसे व्यकितत्व के स्वामी है, जिन्होंने अपनी शरण में आने वाले भक्तों को अध्यात्म का संदेश तो दिया साथ ही साथ उन्हें यह भी बताया कि देश संपत्ति की रक्षा कैसे करनी है। गौ, नारी और धर्म की कैसे रक्षा करनी है। गौ जिस हमारे धार्मिक ग्रंथो ने मां का दर्जा दिया है, जैसे धरती माता हमें धारण करती है। जन्म दात्री हमें जन्म देती है

वैसे ही गौ माता भी हमें जीवन भर दूध से पोषित करती है। उन्हें इस जानकारी से अवगत करवाते हुए कहा कि जो स्थान पदार्थों में मां वसुंधरा का, मानवता में जननी का, सरिताओं में भागीरथी का, देवों में भगवान पद्यमान विष्णु का, नक्षत्र-मण्डल में भगवान बृहस्पति का, ऋषियों में अगस्तय का, देवियों में भगवती दुर्गा का तथा वृक्षों में सहकार (आम) का जो स्थान है, वही स्थान पशु-परंपरा में गौ माता का है। गौ माता की महिमा का एक वैज्ञानिक आधार भी है। विज्ञान के प्रयोगों ने यह सिद्घ कर दिया है कि गौ दुग्ध के समस्त तत्व मानव मां के दुग्ध के तत्वों के ठीक समान होते हैं और मां के दुग्ध के अभाव में अमृत रुप गौ-दुग्ध का सेवन मनुष्य के लिए लाभकारी है।

साध्वी जी ने बताया कि भारत देश में नारी ने हमेशा ही प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बल, ज्ञान और विजय की देवी में केवल नारी को ही देवियों के रुप में माना गया है। आदिकाल से ही हमारे देश में नारी पूजा होती आ रही है, यहां अर्धनारीश्वर का आदर्श रहा है अर्थात पुरष का आधा हिस्सा नारी है क्योंकि अकेला पुरुष समाज को नहीं चला सकता। इसीलिए नारी का होना अति जरुरी है और नारी मां केरुप में हमें संसार का दर्शन करवाती है। इसके शुभ आर्शीवाद के साथ हम विजय प्राप्त करते है। मां ही प्रेम भक्ति, श्रद्धा की देवी है। तीनों लोकों में नारी की पूजा की जाती है। आज भी जीवन के अंदर विद्या, बल और धन की प्राप्ति के लिए तीन देवियां भाव सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा की पूजा से आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है। जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। जहां नारी का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए कोई भी पुण्य कर्म, यज्ञ आदि व्यर्थ है।

साध्वी जी ने महिलाओं को जागरुककरते हुए कहा कि एक नारी में बहुत शक्ति होती है वह चाहे तो स्वंय अपने सम्मान की रक्षा कर सकती है लेकिन ऐसा वह तभी कर पाएगी जब वह उस ब्रहम से जुड़ जाएगी। ब्रहम से जुडऩा भाव परमात्मा का साक्षातकार अपने अन्त:करण में करना। परमात्मा का साक्षातकार करने के उपरांत ही नारी अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों को जानकर स्वंय की रक्षा कर सकती है।

कथा दौरान ज्योति प्रज्जवलन की रस्म का निर्वाह करने हेतु सुरिंद्र कौर सैनी जी (वाइस प्रैजीडेंट ओ.बी.सी. र्मोचा), साध्वी उर्मिला भारती जी, साध्वी त्रिनैना भारती जी, सतनाम बावा सिंह (ओ.बी.सी. र्मोचा प्रेजीडेंट भुल्लथ), सुभाष सौंधी जी (एमसी जौली डी.ए.वी. स्कूल), राजन सौंधी कौंसलर, अनिल महता (बी.एन.डी. स्कूल), राजबहल (सनातन धर्म सभा), अनिल कुमार गौरा (ब्लाक प्रैजीडेंट बी.जे.पी.), बलराज भंडारी (भंडारी करियाना स्टोर), हरबंस सिंह विश्वर्कमा मंदिर, बंसीराम सरपंच चठौवाल, पवन पालटा (रीयल लाईफ क्लब), देव शर्मा गोंबिंद धाम गाौशाला, रेखा खुराना कौंसलर एडं डिप्टी डी.के. फर्नीचर हाउस जी विशेष रुप से उपस्थित हुए। इस अवसर पर साध्वी त्रिपुंड धारनी, योगिनी भारती जी, सदया भारती, कत्रिका भारती, हरविंद्र भारती, रविंद्र भारती ने मधुर भजनों का गायन किया।

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