चर्चा आम हो गई: भाजपा “विजय” को देगी मौका या हारे हुए “प्रकाश” से करेगी उजाला?

2019 के लोकसभा चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहे हैं त्यों-त्यों देश के अलावा लोकसभा हल्का होशियारपुर में समस्त पार्टियों की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस जोकि पंजाब में सत्ता आसीन है समस्त सीटें जीतने का प्रयास करेगी वहीं भाजपा के लिए उसके कोटे की सीटें जीतना कड़ी चुनौती से कम नहीं होगा, क्योंकि भाजपा के भीतर का द्वंद रह-रहकर जनता के बीच कुछ इस अंदाज से पहुंच रहा है कि बड़े-बड़े मंचों से एकता के दावे करने वाले नेताओं की करनी और कथनी पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

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होशियारपुर लोकसभा सीट की बात की जाए तो एक तरफ जहां विजयी उम्मीदवार विजय सांपला ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं तो दूसरी तरफ फगवाड़ा के मौजूदा विधायक सोम प्रकाश ने भी होशियारपुर में सरगर्मियां तेज करने का बिगुल बजा दिया है, हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में वे पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री संतोष चौधरी से शिकस्त खा चुके हैं, मगर बाजवूद इसके उनकी तेज होती सरगर्मियों ने भाजपा की गुटबाजी को एक बार फिर से हवा दे दी है तथा राजनीतिक गलियारों में लोकसभा टिकट किसकों लेकर नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। क्योंकि सूत्रों की मानें तो यह दस्तक मात्र जनता का दर्द समझने और उसका हल करने की कम और लोकसभा चुनाव में टिकट की मजबूत दावेदारी पेश करने के रुप में अधिक देखी जा रही है तथा उनके कई समर्थक दबी जुबान में इसे साफ करने का इशारा कर भी कर गए।

लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

14 नवंबर को होशियारपुर पहुंचे फगवाड़ा के विधायक व भाजपा द्वारा दोआबा जोन के प्रशासनिक प्रमुख लगाए गए सोम प्रकाश ने पत्रकारों के साथ जिस अंदाज में बात की उससे उनका जनता के प्रति जहां दर्द झलका वहीं उनकी फेरी को चुनावी फेरी के रुप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि भले ही वे फगवाड़ा के विधायक हों, मगर तीक्ष्ण सूद के साथ उनकी दोस्ती और होशियारपुर के साथ उनका प्रेम काफी पुराना माना जाता है। ऐसे में वर्तमान समय में पार्टी द्वारा उन्हें दोआबा जोन का प्रशासनिक प्रमुख लगाए जाने से उन्हें टिकट दिए जाने का रास्ता साफ किए जाने की नजऱ से देखा जा रहा है।

मगर, राजनीतिक माहिरों की माने तो इससे पहले हुए लोकसभा चुनाव में सोम प्रकाश की हार उनके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बनकर ऊभर सकती है, क्योंकि मोदी को पुन: पी.एम. बनाए जाने को लेकर पार्टी किसी भी स्तर पर जोखिम उठाने को तैयार नहीं तो ऐसे में सोम प्रकाश के लिए टिकट पाकर जीतना उतना ही मुश्किल होगा जितना कांटों भरा ताज लेकर 100 कदम चलना। मौजूदा सांसद एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला ने जिस तेजी के साथ पिछले समय में अपने हल्के में गतिविधियां तेज की हुई हैं उससे उनकी दावेदारी सोम प्रकाश से मजबूत मानी जा रही है तथा राजनीतिक माहिरों के मुताबिक वे ही भाजपा के मजबूत दावेदार के रुप में इस सीट को विजयी श्री का ताज पहनाने में सक्षम हो सकते हैं।

बात अगर होशियारपुर हल्के के नेताओं की करें तो अगर सांपला का विरोध बाहरी उम्मीदवार के तौर पर हुआ था तो क्या सोम प्रकाश होशियारपुर के हैं, जो उन्हें यहां से फिर से चुनाव लड़ाने की तैयारियों में भाजपा नेता जीती हुई सीट के लिए जोखिम के द्वार खोल रहे हैं भी अपने आप में एक सवाल है? इस सवाल का जवाब किसी भी भाजपा नेता के पास स्पष्ट तौर पर नहीं हैं बल्कि ऐसे सवालों पर नेता अकसर गोलमोल जवाब देकर अपने-अपने गुट की संख्या और मजबूती का दिखावा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

पार्टी सूत्रों की माने तो केन्द्र में फिर से सरकार बनाने एवं मोदी को पुन: प्रधानमंत्री बनाने को लेकर पार्टी हाईकमान इस बार किसी भी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं, बल्कि अंदर ही अंदर हर सीट पर हार के जिम्मेदार नेताओं पर कार्यवाही का इशारा भी किया जा चुका है, जोकि कई नेताओं के गले नहीं उतर रहा और वे अपने गुट के नेता को टिकट दिलवाकर उसे चुनाव लड़ाने की योजना बनाए बैठे हैं। मगर यह तो समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है। मगर, फिलहाल तो जहां विजयी सांपला की कड़ी मेहनत और लोकसभा हल्का होशियारपुर में उनकी बढ़ती लोकप्रियता उन्हें पहले पायदान पर खड़ा किए हुए है वहीं होशियारपुर लोकसभा सीट से हार का मुंह देख चुके फगवाड़ा के मौजूदा विधायक सोमप्रकाश को फिर से होशियारपुर से टिकट दिलाकर पार्टी के लिए जोखिम के द्वार खोलने वाले पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं तथा सोमप्रकाश का छलकता होशियारपुर प्रेम व जनता के दर्द की दुहाई देना उनका टिकट लेकर चुनाव लडऩे की कहीं न कहीं बात जरुर साफ करता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो विजय सांपला को टिकट दिए जाने से मुकाबला कांटे का हो सकता है, परन्तु सोम प्रकाश जोकि पहले अपना भाग्य आजमा चुके हैं को टिकट देना कहीं न कहीं कांग्रेस के हाथ मजबूत करने के समान होगा, क्योंकि वे विधायक के तौर पर फगवाड़ा का विकास तो करवा रहे होंगे, मगर होशियारपुर लोकसभा हल्के को उनकी क्या देन है का मूल्यांकन भी जनता करेगी और ऐसे में वोट लेना उनके लिए खाला जी के बाड़े से कम नहीं होगा। मात्र केन्द्र की योजनाओं के सहारे व मोदी के किए कार्यों की दुहाई देकर जनता को भरमाया नहीं जा सकता।

जहां तक मौजूदा जिला भाजपा टीम का सवाल है तो भले ही नेता मजबूत टीम का दावा करते हों, मगर अन्य ग्रुपों व पिछली टीम के सदस्यों की अनदेखी पार्टी के लिए घाटे का सौदा सिद्ध हो सकती है तथा लोकसभा में इसका नुकसान पार्टी को होगा इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

राजनीतिक माहिरों के अनुसार बुरी तरह से गुटबाजी का शिकार व अपना प्रभुत्व साबित करने की होड़ लगाए नेताओं में भाजपा का हर गुट अपने आप में सीट को विजयी बनाने व हराने का मादा रखता है। जिसका प्रमाण पार्टी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देख चुकी है। इन चुनावों में पार्टी को जनता ने कम, बल्कि पार्टी के अंतरद्वंद ने ही पटकनी दी तथा ऐसा समझा जा रहा है कि अगर यही हालात लोकसभा चुनाव में भी रहे तो कहीं यह जीती हुई सीट भी गुटबाजी की भेंट चढ़ जाए ऐसे कयास लगाए जाने गल्त नहीं होंगे?

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