पठानकोट के हिंदु अबर्न को-ऑपरेटिव बैंक के बोर्ड ऑफ डायरैकटजऱ् मुअत्तल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के रजिस्ट्रार सहकारी सोसायटियां अरविन्दर सिंह बैंस ने आज जानकारी दी कि पठानकोट के हिंदु अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के बोर्ड औफ डायरैकटजऱ् को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि बोर्ड ऑफ डायरैकटर्ज़ को नोटिस देकर यह बताने के लिए भी कहा गया है कि उनके विरूद्ध कार्यवाही क्यों न की जाये क्योंकि वह पारदर्शी और पेशेवर ढंग से अपना फर्ज निभाने में असफल रहे हैं।

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बैंक की वित्तीय हालत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है जिससे बैंक के खाताधारकों के हित प्रभावित हुए हैं। स. बैंस ने आगे बताया कि विभाग को लोगों और बैंक के अमले से शिकायतें मिली थी कि बोर्ड ऑफ डायरैकटजऱ् द्वारा प्रबंधन संबंधी अपने फर्ज निभाने में लापरवाही की जा रही है। इस संबंधी संयुक्त रजिस्ट्रार, सहकारी सोसायटियां, जालंधर डिविजऩ द्वारा विस्तृत पड़ताल की गई थी जिसमें यह सामने आया कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस बैंक का निरीक्षण करते समय लगातार दूसरे वर्ष के लिए सेल्फ करेक्टिव एक्शन के अंतर्गत इस बैंक को नोटिस दिया था। इस बैंक द्वारा अपनी सी.आर.ए.आर. तारीख़ 31.3.2017 को 9 प्रतिशत दिखाई गई थी जब कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निरीक्षण के बाद यह .68 प्रतिशत तक घट गई क्योंकि इस बैंक ने अपने खातों में जरुरी प्रावधान नहीं थे किए।

-वित्तीय अनियमितताओंं के कारण हुई कार्रवाई

इस बैंक की एन.पी.ए. 48 प्रतिशत तक पहुँच गई जो कि बेहद ऊंची दर है। इतना ही नहीं बल्कि बोर्ड ऑफ डायरैकटर्ज़ ने बैंक के कुछ चुनिन्दा डिफालटरों को वित्तीय लाभ देते हुए उन पर ब्याज की कम दर लगाई या अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए और बिना किसी नीति से उनसे वसूला जाने वाला जुर्माना ब्याज बिल्कुल ही माफ कर दिया। उदाहरण के तौर पर बोर्ड द्वारा मैसर्ज महाजन लेमिनेशन वर्कस के मामले में ब्याज की दर 13 से 12 प्रतिशत कर दी गई, मैसर्ज विकास वैंचरज़ के मामले में यह दर 12.5 से 12 प्रतिशत कर दी गई, मैसर्ज वीनस पब्लिक रिजोर्ट के मामले में यह दर 13 से 12 प्रतिशत की गई, मैसर्ज ट्रांसवरलड सैलवेअज़ के मामले में 43.39 लाख रुपए का जुर्माना ब्याज माफ कर दिया गया, मैसर्ज स्वामी एंटरप्राईजिज़़ के मामले में 26,49,321 रुपए का जुर्माना ब्याज, मैसर्ज एस.एस. टिम्बरज़ के मामले में 4,21,361 रुपए का जुर्माना ब्याज और मैसर्ज नरिन्दर सिंह के मामले में 62,949 रुपए का जुर्माना ब्याज बिल्कुल ही माफ कर दिया गया। कई ऐसे मामलेेें भी हैं जहाँ बोर्ड ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर फ़ैसले लिए और संस्था के हितों के खि़लाफ़ काम किया।
जांच रिपोर्ट ने इस तरफ़ की तरफ भी इशारा किया कि कुछ ख़ास व्यक्तियों /परिवारों पर ख़ास मेहरबानी दिखाते हुए उनको बहुत बड़ी रकमों के बतौर कजऱ् अदा किया गया और ऐसे कजऱ्दारों से वसूली भी नहीं की गई जिससे बैंक की वित्तीय हालत में गिरावट आई। बैंक द्वारा 44 बड़े डिफालटरों से 99.69 करोड़ रुपए वसूले जाने बाकी हैं। इस तरह बैंक की मैनेजमेंट इस संस्था, इसके खाताधारकों, सदस्यों और शेयर होलडरों के हितों की रक्षा करने में पूर्ण नाकाम रही है जिस कारण विभाग को दख़ल देकर बोर्ड को निरस्त करना पड़ा।
उप-रजिस्ट्रार, सहकारी सोसायटियां स. भुपिन्दरजीत सिंह वालीया को प्रशासक नियुक्त किया गया जिन्होंने 11 मई को अपना पदभार संभाल लिया।

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