होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। श्रीमती सरस्वती देवी मेमोरियल एजुकेशनल एंड वैल्फेयर सोसाइटी की तरफ से भारत सरकार की स्कीम नई रोशनी- (अल्पसंख्यक महिलायों में नेतृत्व विकास प्रशिक्षण) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों के तहत हैंडहोल्डिंग मीटिंग 20-03-2019 को पुरहीरां में की गई। जिसमे एस.डी.एम. मेजर अमित सरीन के दिशा निर्देशानुसार जिला प्रशासन कि तरफ से नोडल इंचार्ज चंदर प्रकाश सिंह कि अगवाई में इलेक्शन कमीशन कि टीम जिसमे मास्टर ट्रेनर मनोज कुमार, हरविंदर सिंह, मन्दीप सिंह एवम सपना सूद ई.वी.एम. व वी.वी.पी.ए.टी मशीनों के साथ उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि ई.वी.एम. व वी.वी.पी.ए.टी. मशीनों को किसी भी तरह से हेक नहीं किया जा सकता है न ही वाई-फाई या ब्लू टूथ के साथ जोड़ सकते है। यह बिलकुल सेफ है इसको किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुचाया जा सकता है। प्रोजेक्ट आर्गेनाइजर पूजा शर्मा ने कहा कि इसमें कोई दो-राय नहीं है कि हम एक लोकतांत्रिक देश के स्वतंत्र नागरिक है। लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है वोट देने का अधिकार। इस अधिकार को पाकर हम मतदाता कहलाता हैं। वही मतदाता जिसके पास यह ताकत है कि वो सरकार बना सकता है, सरकार गिरा सकता है और तो और स्वयं सरकार बन भी सकता हैं।
जब 26 जनवरी, 1950 को हमारा देश गणतांत्रिक बन रहा था, अलबत्ता हमारा देश का संविधान लागू हो रहा था, उसी के एक दिन पहले 25 जनवरी, 1950 को देशभर के सभी चुनावों को निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कराने के लिए ‘भारत निर्वाचन आयोग’ का गठन हुआ। वहीं 2011 में भारत सरकार ने चुनावों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने व जागरूकता लाने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग के गठन दिवस को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ घोषित करने का निर्णय लेते हुए इस दिवस को प्रतिवर्ष मनाने का ऐलान किया।
इस दिन मतदाता को उसके मत की शक्ति से वाकिफ़़ कराने के लिए देशभर में कई सामाजिक संस्थाएं और सरकार द्वारा कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। सोसायटी के अध्यक्ष निपुण शर्मा ने कहा कि भारत जैसा युवा देश जिसकी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। उस देश के युवाओं की जिम्मेदारी बनती है कि वो अशिक्षित लोगों को वोट का महत्व बताकर उनको वोट देने के लिए बाध्य करे। लेकिन यह विडंबना है कि हमारे देश में वोट देने के दिन लोगों को जरूरी काम याद आने लग जाते हैं।
कई लोग तो वोट देने के दिन अवकाश का फायदा उठाकर परिवार के साथ पिकनिक मनाने चले जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो घर पर होने के बावजूद भी अपना वोट देने के लिए वोटिंग बूथ तक जाने में आलस करते हैं। इस तरह अजागरूक, उदासीन व आलसी मतदाताओं के भरोसे हमारे देश के चुनावों में कैसे सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सकेंगी। हम तब तक अच्छी व्यवस्था खड़ी नहीं कर पाएंगे जब तक हम वोट का महत्व और अपने मतदाता होने के फर्ज को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा नहीं देते हैं। सवाल तो यह भी है कि क्या हमारे देश में राईट टु रिजेक्ट यानि नोटा के बटन के बाद वोट देने का अधिकार अनिवार्य नहीं करना चाहिए।
विश्व के कई देशों में वोट देने का अधिकार अनिवार्य है। क्या भारत जैसे सर्वाधिक युवा मतदाता वाले देश को इस पहल का अनुसरण करने के लिए आगे नहीं आना चाहिए। अंतत: हमें यह शपथ लेनी चाहिए कि हम किसी भी प्रलोभन में नहीं फंसते हुए अपने वोट का प्रयोग स्वविवेक के आधार पर पूर्ण निष्पक्षता एवं निष्ठा के साथ करेंगे। अंत में सभी को अपनी मर्जी से बिना किसी दवाब में निष्पक्ष वोट करने के लिए शपथ दिलवाई गईं। इस कैंप में किरण बावा, अवतार कौर, मंजीत कौर, छविल अख्तर, सरबजीत कौर, सीतल कौर, करम बीबी, पूनम देवी आदि उपस्थित थे।