राष्ट्रजीवन खड़ा करके अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढऩा होगा संभव : अमरदीप जोली

होशियारपुर/टांडा उड़मुड़ (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रिषीपाल। विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल की और से भारत माता को समर्पित च्च्अखंड भारत संकल्प दिवसज्ज् 14 अगस्त 2018 को सुबह 11:30, मंदिर श्री ठाकुर द्वारा उड़मुड टांडा में बजरंग दल सह-जिला संयोजक करण पासी की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें पठानकोट विभाग प्रमुख जसवीर सिंह शीरा, जिला संयोजक कुलदीप कुमार, जिला शारीरिक प्रमुख संदीप मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता को समर्पित गीत से की गई। इस उपरांत अमरदीप जोली ने पहुंचे सभी बजरंगियों और देश भक्तों को अखंड भारत दिवस के बारे जानकारी देते हुए कहा कि अखंड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है। जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर च्च्समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमेज्ज् कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं।

15 अगस्त को हमें आजादी मिली और वर्षों की परतंत्रता की रात समाप्त हो गयी, किन्तु स्वातंत्र्य के आनंद के साथ-साथ मातृभूमि के विभाजन का गहरा घाव भी सहन करना पड़ा। 1947 का विभाजन पहला और अन्तिम विभाजन नहीं है. भारत की सीमायों का संकुचन उसके काफी पहले शुरू हो चुका था। सातवीं से नवमीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया। हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण मुस्लिम विजय से बच गए। अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग अपनाया पर अब वह राजनीतिक स्वतंत्रता संस्कृति पर हावी हो गई है। श्रीलंका पर पहले पुर्तगाल, फिर हॉलैंड और अन्त में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया।

किन्तु मुख्य प्रश्न तो भारत के सामने है, 13सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था, उसी की परिणति 1947 के विभाजन में हुई। पाकिस्तानी टेलीविजन पर किसी ने ठीक ही कहा था कि जिस दिन आठवीं शताब्दी में पहले हिन्दू ने इस्लाम को कबूल किया, उसी दिन भारत विभाजन के बीज पड़ गये थे, विभाजन के पश्चात् खंडित भारत की अपनी स्थिति है क्या। ब्रिटिश संसदीय प्रणाली के अन्धानुकरण ने हिन्दू समाज को जाति, क्षेत्र और दल के आधार पर जड़मूल तक विभाजित कर दिया है. पूरा समाज भ्रष्टाचार की दलदल में आकंठ फंस गया है।

हिन्दू समाज की बात करना साम्प्रदायिकता है और मुस्लिम कट्टरवाद व पृथकतावाद की हिमायत करना सेकुलरिज्म. अनेक छोटे-छोटे राजनीतिक दलों में बिखरा हिन्दू नेतृत्व सत्ता के कुछ टुकड़े पाने के लोभ में मुस्लिम वोटों को रिझाने में लगा है। देश फिर से एक करने के लिए जिन कारणों से मनों में दरार पैदा होती है, उन कारणों को दूर करना आवश्यक है. यह आसान काम नहीं है। जब लोगों में मनोमिलीन होता है, तभी राष्ट्र बनता है। अखण्डता का मार्ग सांस्कृतिक है भारत की अखण्डता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है। खंडित भारत में एक सशक्त, एक्यबद्ध, तेजोमयी राष्ट्रजीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढऩा संभव होगा। जसवीर शीरा जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आने-वाले समय में बजरंग दल द्वारा साहसिक यात्रा च्च्श्री बुड्ढा अमरनाथ जीज्ज् जो की 22 अगस्त को टांडा से रवाना होगी के बारे में जानकारी दी और पहुंचे सभी कार्यकर्ताओं को तन मन धन से भारत राष्ट्र की सेवा करने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे, जिला गोरक्षा प्रमुख राजेश बिट्टू, प्रिंस जोली, प्रदीप सोनू, मिथलेश गर्ग, मोहित शर्मा, प्रदीप पप्पा, संजीव कुमार सोनू, अनिल गोल्डी, जसविंदर राल्ह, संदीप राल्ह, मन्ना मेहरा, रमन पासी, तरणदीप सिंह, सुनील जाजा, विक्की जाजा, अमनदीप, राहुल, मनदीप दीपु, जसजीत और प्रदीप आदि शामिल थे।

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