नई दिल्ली(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य की शक्तियों को कमजोर करने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे देश के संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य के संबंधों को नुक्सान पहुंच रहा है। कैप्टन के साथ कर्नाटका के मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारास्वामी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देविंदर फडऩवीस ने भी विचार-विमर्श में हिस्सा लिया जिसकी कार्रवाई आनंद नरसिम्हा ने चलाई।विचार-विमर्श के दौरान कैप्टन ने कहा कि राज्यों के हकों को कमजोर किया जा रहा है और यहाँ तक कि उनके पास अपने राज्यों का पुलिस प्रमुख नियुक्त करने का भी अधिकार नहीं है बल्कि नियुक्ति के लिए नामों की सूची यू.पी.एस.सी को भेजनी पड़ती है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या उनको हमारी अपेक्षा ज़्यादा पता है’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार डी.जी.पी. की नियुक्ति के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले पर पंजाब के साथ खड़ी होगी क्योंकि वह कैप्टन के साथ इस बात पर पूरी तरह से सहमत हैं कि राज्यों को अपने डी.जी.पी. नियुक्त करने की पूर्ण आज़ादी होनी चाहिए। कैप्टन ने कहा कि जजों की नियुक्ति के समय भी राज्यों के साथ विचार-विमर्श नहीं किया जाता जबकि पहले संबंधित राज्य द्वारा सिफारिशें भेजी जातीं थीं और अब सिफऱ् नाम भेजे जाते हैं।
-नशे की तस्करी का मुख्य मकसद जवानी को तबाह करना
नशों संबंधी सवाल पर कैप्टन ने एक राष्ट्रीय नीति बनाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तरी राज्यों के युवाओं को बर्बाद करने के लिए पाकिस्तान द्वारा सरहद पार से नशे भेजे जा रहे हैं। उन्होंने तथ्य रखा कि चाहे दिल्ली और मुम्बई में महंगे दाम पर नशे बेचे जा सकते हैं, परन्तु फिर भी नशों की गुजरात से अमृतसर तस्करी की जा रही है।
इसका एकमात्र मकसद जवानी को तबाह करना और भारतीय सेना को बहादुर जवानों से वंचित करना है। उन्होंने बताया कि सेना की दो-तिहाई संख्या उत्तरी बैल्ट से है। उन्होंने पूछा, ‘‘यदि आपके पास स्वस्थ और हट्टे-कट्टे नौजवान नहीं होंगे तो आपको सेना के जवान कहाँ से मिलेंगे’’ कैप्टन ने बताया कि उनकी सरकार नशों की समस्या को हल करने के लिए पूरी शिद्दत से काम कर रही है जो इस समय अहम मोड़ पर है।
-किसी को भी पकड़ कर सलाखों के पीछे नहीं डाला जा सकता
राज्य सरकार द्वारा बादलों के प्रति नरमी बरतने के दोषों बारे पूछे जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी पकड़ कर सलाखों के पीछे नहीं डाला जा सकता। उन्होंने कहा कि जस्टिस (सेवा -मुक्त) रणजीत सिंह जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट दे दी है और बेअदबियों के मामलों की तह तक जाने के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस द्वारा हर उस एक को समर्थन दिया जायेगा जो बादलों को शिरोमणी कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा सकता हो। उन्होंने कहा कि अकाली नेता सिक्ख समुदाय के कल्याण के लिए काम नहीं कर रहे।
राज्य के सम्मुख मौजूद हालात बारे बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘पंजाब पूरे देश को खाद्य पदार्थों के पक्ष से आत्मनिर्भर बना रहा है परन्तु देश इसको रचनात्मक समर्थन नहीं दे रहा।’’ पंजाब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और न ही इसकी आर्थिकता को मज़बूत करने के लिए उपयुक्त उद्योग हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य जिसका पड़ोसी दुश्मन है, उत्पाद में 7.2 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले इसकी विकास दर केवल 5.1 प्रतिशत है। इन मामलों में पानी के झगड़े और जी.एस.टी के मसले मुख्य हैं। कैप्टन ने कहा कि तेल को जी.एस.टी के घेरे से बाहर रखना चाहिए और इस विचार के साथ कुमारास्वामी द्वारा भी सहमति व्यक्त की गई।
चाहे फडऩवीस तेल को जी.एस.टी के घेरे में लाने के हक में थे परन्तु उन्होंने भी मुख्यमंत्री के इस विचार का समर्थन किया कि राज्यों को अब वित्तीय मामलों संबंधी फ़ैसले लेने की आज़ादी कम है। धान की पराली को जलाने के मुद्दे बारे दर्शकों द्वारा पूछे सवाल के जवाब में पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे कि वह ऐसा किया जाना पसंद नहीं करते परन्तु फिर भी उनकी सरकार पराली को जलाने वाले किसानों पर जुर्माने लगा रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब के हर गाँव पर सैटेलाइट के द्वारा नजऱ रखी जा रही है परन्तु इस समस्या का वित्तीय नज़रिए से हल निकाला जाना ज़रूरी है।