शहीद जवान नसीर को राजकीय सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई

राजौरी (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। बीते वीरवार को कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे। इनमें एक राजौरी जिले के दूरदराज गांव दोदासन बाला का जवान भी शामिल था। शनिवार को शहीद का पार्थिव शरीर दोदासन बाला लाया गया, जहां डा. जतिंद्र सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह, आइजी सीआरपीएफ एवी चौहान , डीआईजी नीतू , एमएलसी विबोध गुप्ता, भाजपा राज्य अध्यक्ष रविंद्र रैना, एसएसपी जुगल मन्हास, डीसी राजौरी ऐजाज असद आदि सेना अधिकारी , गणमान्य लोगों , परिवार सदस्यों ने शहीद नसीर अहमद को श्रद्धांजलि अर्पित करके अंतिम विदाई दी। कानों में हर तरफ कड़ी कार्रवाई के साथ दुश्मन का अंत और दुगना बदला लेने की आवाज ही सुनाई दे रही थी। स्थानीय लोगों , नेता भारत माता की जयघोष गुंज रहे थे। शहीद जवान के एक बच्ची और एक बच्चा है। भाई और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था। और दुश्मन को जड़ से खत्म करने की मांग कर रहे थे।

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सुबह साढ़े दस बजे शहीद हेड कांस्टेबल नसीर अहमद का जनाजा पढ़ा गया। उसके केंद्रीय मंत्री जतिंद्र सिंह का आधा घंटा इंतजार करना पड़ा। और उसके आने के उपरांत ही डा. जतिंद्र सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह, राज्यपाल सलाहकार, आइजी सीआरपीएफ एवी चौहान , डीआईजी नीतू , एमएलसी विबोध गुप्ता, भाजपा राज्य अध्यक्ष रविंद्र रैना, एसएसपी जुगल मन्हास, डीसी राजौरी ऐजाज असद आदि सेना अधिकारियों ने गणमान्य लोगों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि भेंट की। इसके साथ जवानों ने हवा में कई राउंड फायर कर अपने साथी से अंतिम विदाई ली। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

इसके बाद शहीद का जनाजा पढ़ा गया और उसके बाद उन्हें सुपर्द-ए-खाक किया गया। केंद्रीय मंत्री जतिंद्र सिंह ने चुपी सादे रखी। उन्होंने मीडिया के सवालों का एक भी जवाब नहीं दिया बल्कि अन्तिम विदाई में आधा घंटा देरी से पहुंचे जतिंद्र सिंह। लेकिन परिवार बालों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नसीर के बच्चे जम्मू पढ़ाई कर रहे थे । गांव में जहाँ शहीद जवान के नाम एक स्कूल खोला दिया जाएगा और स्मारक बनाया जाएगा। सीआरपीएफ अधिकारियों ने कहा कि शहीदों की कुर्बानी बर्बाद नहीं जाएगी।

हमेशा ही आगे रहता था नसीर

नसीर के पार्थिव शरीर के साथ जम्मू से आए उसके साथियों ने बताया कि जब भी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ होती तो उस समय नसीर साहब सबसे आगे रहता था। कभी भी पीछे नहीं हटता था। उन्होंने कहा कि वह कश्मीर में कई मुठभेड़ में शामिल रहे और कई आतंकवादियों को मौत के घाट भी उतार चुके है। हमारी बटालियन जम्मू थी लेकिन कंवाई में जवानों को वाहन कम पड़े और 72बीएन से वाहन भेजा गया जिसमें वह काफिले के कमान संभाल रहे थे और सीट दो पर थे।

नम आंखों से दी अंतिम विदाई

हेड कांस्टेबल नसीम अहमद को अंतिम विदाई देने के लिए काफी भारी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ साथ अधिकारियों की भीड़ उमड़ी हुई थी। हर किसी की आंख नम थी और हर कोई शहीद को याद करके रो रहा था। क्षेत्र में शहीद नसीर अहमद अमर रहे , भारत माता की जय के नारे गूंज रहे थे।

नसीर अपने पीछे पत्नी शाजिया के साथ एक बेटी व एक बेटा छोड़ गए

पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल नसीर अपने पीछे अपनी धर्म पत्नी शाजिया कौसर 8-10 वर्ष की बेटी व एक बेटा छोड़ गए है। पत्नी वेहोश तो जब जोश में आती तो पति को याद कर के चीखती दिख रही थी। बच्चे दहशत में थे मानो मुह पर ताला लगा हो, भाई सहित अन्य परिजनों का रो रो कर हाल खराब हो रहा था। पत्नी तो कभी होश में आती तो कभी बेहोश हो जाती। सुबह जब सीआरपीएफ अधिकारी नीतू उनके घर पहुंची तो शहीद की पत्नी शाजिया उनके साथ लिप्ट गई ।

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