सिख कौम की धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं का राजनीतिकरण होने से रोका जाए: ग्लोबल सिख कौंसिल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। ग्लोबल सिक्ख कौंसिल की जकार्ता, इंडोनेशिया में हुई पाँचवी सालाना कांफ्रैंस में 27 विभिन्न देशों के सदस्यों ने सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पास करते हुये कहा कि सिक्ख कौम की सुप्रीम धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और समूह धार्मिक मामले राज्य की राजनीति से पृथक कौम के सेवकों द्वारा ही निपटाया जाये और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को राजनैतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए सीढ़ी के तौर पर इस्तेमाल न किया जाये।

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कौंसिल के प्रधान लेडी सिंह डा. कमलजीत कौर की अध्यक्षता अधीन हुई इस तीन दिवसीय सालाना मीटिंग के दौरान दूसरे प्रस्ताव में दोहराया गया कि दशम् पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी की तरफ से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरुता गद्दी सौंपे जाने के आदेश के बाद सिक्ख रहित मर्यादा और अकाल तख्त साहिब के गुरमति की रौशनी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के बराबर किसी भी धार्मिक पुस्तक को प्रकाश नहीं किया जा सकता, जिस कारण बचित्र नाटक, दशम ग्रंथ या किसी अन्य पुस्तक को गुरू ग्रंथ साहिब के बराबर न रखा जाये। उन्होंने समूह सिक्खों को ‘एक ग्रंथ, एक पंथ और एक मर्यादा पर पहरा देने की वकालत की। ग्लोबल सिक्ख कौंसिल ने तीसरे प्रस्ताव में अफगानिस्तान में बसते सिक्खों की मंदहाली पर चिंता ज़ाहिर करते हुये कहा कि आतंकवाद से पीडि़त उस देश में सिक्खों के पुनर्वास के लिए ज़ोरदार और ठोस यत्न आरंभ किये जाये। कौंसिल द्वारा अफगानी सिक्खों संबंधी वहां की सरकार के साथ सम्पर्क कायम करने और गुरुद्वारा साहिबान में शरण लेकर बैठे सिक्खों के लिए हल करने का प्रण लिया गया।

करतारपुर गुरुद्वारे के नज़दीक के खेतों में कोई भी निर्माण न किया जाये- डा. कमलजीत कौर

कौंसिल ने अपने समूह सदस्यों समेत विश्व के सिक्खों से अपील की कि वह अपने देशों की सरकारें और प्रशासन के साथ बातचीत करके अफगानी सिक्खों को शरणार्थी होने का दर्जा दिला कर उनकी स्थापना के लिए प्रयास करें। ग्लोबल सिक्ख कौंसिल की इस सालाना कॉन्फ्ऱेंस में मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए विधायक और प्रसिद्ध कानून्नदान हरविन्दर सिंह फूलका (पदमश्री) ने जून 1984 में दिल्ली में हुए सिक्ख हत्याकांड के दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए पिछले 32 सालों से आरंभ की हुई कानूनी लड़ाई के दौरान पेश मुश्किलों, धमकियों और परेशानियों का हाल बयान करते हुये पूर्व कांग्रेसी नेता सज्जण कुमार समेत दूसरे दोषियों को सख्त सज़ाएं दिला कर सिक्ख पीडि़तों को इन्साफ दिलाने के लिए किये कदमों का वर्णन किया।

उन्होंने विभिन्न देशों में बसते सिक्खों से अपील की कि वह सिक्ख गुरू साहिबान का आदेश, सेवा और समर्पण भावना को सही मायनों में फैलाने के लिए वहां की स्थानीय जनता का सहयोग लें। इस अवसर पर इंडोनेशिया के सांसद एच.एस ढिल्लों ने समूह प्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हुये ग्लोबल सिक्ख कौंसिल द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिक्ख मुद्दों को विचारे जाने के प्रयासों की भरपूर सराहना की। न्यूजीलैंड से सांसद कमलजीत सिंह बख्शी ने न्यूजीलैंड में बसते सिक्खों द्वारा किये जा रहे समाज सेवी कामों और मां-बोली की प्रफुल्लता के लिए किये जा रहे प्रयासों का विस्तृत जिक्र किया। मलेशिया गुरुद्वारा कौंसिल के प्रधान जगीर सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब की वास्तविक भूमिका और अपेक्षित जि़म्मेदारी निश्चित किये जाने का वर्णन करते हुये कहा कि दूसरे तख्तों से सिफऱ् स्थानीय मसलों को ही हल किया जाना चाहिए।

मलेशिया के रक्षा विभाग में सचिव डा. करमिन्दर सिंह ने आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की 21वीं सदी में वैज्ञानिक और तर्क आधारित भूमिका संबंधी विस्तृत विचार पेश करते हुये सिफऱ् एक ही आध्यात्मिक गुरू का नेतृत्व कबूलते हुए भेड़चाल की जगह गुरू के निरलेप, निरभय और निडर ख़ालसा बन कर विचरने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। कौंसिल के प्रधान डा. कमलजीत कौर ने इस मौके पर सालाना आम सभा और कांफ्रैंस के लिए उचित प्रबंध जुटाने पर मेज़बान बलवंत सिंह जकार्ता का हार्दिक धन्यवाद किया और कौंसिल की सालाना गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भविष्य में कौंसिल का दूसरे देशों में विस्तार करने और विभिन्न देशों में सिक्खों को पेश मसलों संबंधी आवाज़ उठानो का भरोसा दिया। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए बनाए जा रहे गलियारे के लिए विश्व सिक्ख कौंसिल द्वारा किये प्रयासों का विवरण दिया और पाकिस्तान सरकार से माँग की कि गुरू नानक साहिब से संबंधित इस गुरुद्वारे के नज़दीक के खेतों में कोई भी निमार्ण न किया जाये।

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