स्वागती कार्यक्रम-बना डाली रैली, नेता-चहेता के नारों में गुम हुई गोल्ड मैडल की खुशी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। 17 सितंबर, सोमवार का दिन होशियारपुर के लिए काफी खास था। सभी शहर निवासियों को इंतजार था गोल्ड मैडल विजेता रणजीत सिंह राणा और अरुणदीप सिंह का, जिन्होंने मलेशिया में आयोजित हुई एशिया पैसिफिक मास्टर्स गेम्स में हाकी टीम में खेलते हुए गोल्ड जीता था और वे होशियारपुर पहुंच रहे थे। हालांकि राणा व अरुणदीप के स्वागत को लेकर जहां शहर निवासी काफी उत्सुक थे वहीं श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और समाज सेवक हरपाल सिंह टिक्का द्वारा समाचारपत्रों के माध्यम से राणा व अरुणदीप के स्वागत संबंधी खुशियां सांझा की गई थी।

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परन्तु स्वागत वाले दिन न जाने वह कार्यक्रम शहर निवासियों का कार्यक्रम न हो कर भाजपा के कार्यक्रम में तबदील हो गया, और देखते ही देखते राणा व अरुणदीप के गोल्ड मैडल की खुशी भाजपा के शक्ति प्रदर्शन में बदल गई तथा भाजपा एवं नेता-चहेता के नारों में गोल्ड मैडल कुछ तरह से गुम हुआ कि शहर निवासी समझ ही नहीं पाए कि खिलाडिय़ों के विजेता होकर लौटने की खुशी मनाई जा रही है कि राणा को भाजयुमो प्रधान बनाए जाने पर नेता जी व उनके चहेते शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास नेता जी व उनके चहेतों को तो भले ही रास आ गया हो, मगर राणा व अरुणदीप के लिए जो सम्मान शहर निवासयों एवं संस्थाओं के मन में था वह धरा का धरा ही रह गया।

हर कोई खुद को मायूस व ठगा सा महसूस कर रहा था, क्योंकि एक खिलाड़ी के लिए उसकी जीत की उपलब्धि को अगर सराहा जाता तो शायद उसे ज्यादा खुशी मिलती, मगर मौके का लाभ लेते हुए और युवाओं के भारी इकट्ठ को देखते हुए नेता जी व उनके चहेतों ने ऐसा तानाबाना बुना कि कार्यक्रम हाईजैक ही नहीं हुआ बल्कि उसे मात्र भाजपा से संबंधित बताकर अन्यों को विजेता खिलाडिय़ों से दूर कर दिया गया। विशेषज्ञों व खेल प्रेमियों का मानना है कि अगर राणा व अरुण का स्वागत एक खिलाड़ी के रुप में किया जाता तो शायद समस्त पार्टियां उसके स्वागत के लिए पलकें बिछाकर आगे बढ़ती, मगर एक पार्टी का कार्यक्रम बनाकर कौन सी उपलब्धि हासिल करने का प्रयास किया गया, बात समझ से परे हो जाती है। छोटी-छोटी बात को लेकर समाचारपत्रों में सुर्खियां बटोरने वाले नेता जी व उनके चेहेतों ने एक बार भी राणा व अरुणदीप की उपलब्धि पर उन्हें बधाई देने हेतु समाचार प्रकाशित करवाना जरुरी नहीं समझा। जिससे लगता है कि नेता जी व उनके साथ रहने वाले कुछ चहेतों को आदमी इस्तेमाल करना भलीभांति आता है तथा समय आने पर सब मैनेज कर जाने वाले हुनर उनमें कूट-कूट कर भरे हों। बड़े-बड़े फ्लैक्स बोर्ड भी लगवाए गए तो वे भी स्वागती कम और अपनी प्रसिद्धी के ज्यादा दिखाई दिए।

जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार राणा व अरुण के स्वागत में कुछ कांग्रेसी भी पलकें बिछाए बैठे थे कि खिलाडिय़ों का स्वागत जोरदार होना चाहिए तथा पार्टीबाजी एवं राजनीति से ऊपर उठकर उनका सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि शायद कम ही भाजपा वाले जानते होंगे व जो नहीं जानते हम उन्हें बता देना चाहते हैं कि राणा के विदेश जाने में प्रक्रिया को पूरा करवाने में एक कांग्रेसी नेता ने एक खिलाड़ी के रुप में भाजपा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन देते हुए अहम भूमिका अदा की। परन्तु नेता-चहेता के खेल ने सारी खुशी व उत्साह पर पानी फेर डाला।

सूत्रों की माने तो कार्यक्रम से पहले हाल ही में एक जिम्मेदाराना पद पर आसीन हुए एक नेता जी ने इस बात का विरोध भी जताया था कि राणा का खिलाड़ी के रुप में स्वागत और भाजयुमो जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी का स्वागत दोनों अलग-अलग कार्यक्रम होने चाहिए। परन्तु बड़े नेता जी और उनके चहेतों की जिद्द के आगे सभी को घुटने टेकने पड़े तथा जैसा नेता जी ने कहा वैसे ही राणा की उपलब्धि को भाजपा और नेता जी के नारों की गूंज में कहीं गुम कर दिया गया। एक तरफ जहां शहर निवासी राणा की उपलब्धि को लेकर उसका स्वागत करने का मन बनाए हुए थे तो दूसरी तरफ नेता जी व उनके चहेतों ने स्वागती कार्यक्रम को भाजपा का कार्यक्रम बना डाला। जिसके चलते शहर निवासियों को लगा कि राणा को जिला प्रधान बनाए जाने को लेकर रैली निकाली जा रही है, जबकि स्वागती कार्यक्रम गोल्ड मैडल विजेता के स्वागत में था। वैसे हैरानी की बात नहीं कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब नेता जी और उनके चेहेतों ने कार्यक्रम हाईजैक करने का प्रयास न किया हो। इससे पहले भी कई ऐसे मौके आ चुके हैं जब कार्यक्रम किसी और का था और कब्जा नेता जी और उनके चहेतों ने कर लिया।

शहर निवासी नेता जी को 4 बार नकार चुके हैं और बावजूद इसके न जाने नेता जी के पास ऐसी कौन सी गिदड़सिंगी है कि जिसकी खुशबू के हाथों सभी कठपुतली बने ऐसे नाच रहे हैं जैसे मदारी नचाता हो? कहते हैं सत्य कड़वा होता है और कोई बिरला ही होता है जो उसे बर्दाश्त कर पाने का साहस दिखाता है। एक कार्यक्रम में पत्रकारिता के बारे में नेता जी के मुख से निकले कुछ शब्द उनके सत्य चुभन का दर्द बयन कर गए।

परन्तु सांच को आंच ही क्या। सत्य लिखा है और सत्य लिखेंगे, न किसी से डरे हैं और न किसी से डरेंगे, पंक्तियों को साकार करने वाले पत्रकारों को “द स्टैलर न्यूज़” की सारी टीम बधाई देने के साथ-साथ पूर्ण सहयोग का वादा करती है।

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