ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक का सबसे अधिक 62 प्रतिशत खर्चा किया

चंडीगढ़, 3 मईः शानदार प्रदर्शन करते हुये ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग ने अब तक का सबसे अधिक 62 फीसद खर्चा किया है जिससे पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 60 प्रतिशत अतिरिक्त दिहाड़ीदारों को रोजगार दिया गया।
जिक्रयोग्य है कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020 -21 के लिए लगभग 800 करोड़ रुपए रखे गए थे जिसमें से ग्रामीण विकास विभाग के लिए 250 लाख दिहाड़ीदारों के काम बजट का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने भारत सरकार के द्वारा ऐलाने वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के मद्देनजर लक्ष्यों को सुधारा, जिसके अंतर्गत 1500 करोड़ के खर्च के साथ 360 लाख दिहाड़ीदारों को काम प्रदान करने को मंजूरी दी गई।

Advertisements

यह जानकारी देते हुये ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री श्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019 -20 में 100 दिनों का रोजगार पूरा करने वाले जॉब कार्डों की संख्या 7688 थी जबकि वित्तीय वर्ष 2020 -21 दौरान यह आंकड़े तेजी से बढ़ कर 27450 हो गए, इस तरह 257 फीसद का विस्तार दर्ज किया गया है। पिछली अकाली -भाजपा सरकार के दौरान वर्ष 2016-17 के लिए यह संख्या केवल 3511 थी। इसी तरह वर्ष 2016 -17 के दौरान 176 व्यक्तियों के मुकाबले वर्ष 2019 -20 दौरान 7227 पशु पालकों ने इस स्कीम के अंतर्गत पशुआंे के शैड बनाने के लिए वित्तीय लाभ प्राप्त किया, जबकि वर्ष 2020 -21 में यह संख्या 65000 तक पहुँच गयी, भाव 800 प्रतिशत का विस्तार हुआ।श्री बाजवा ने विशेष तौर पर कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान कुल 11.49 लाख व्यक्तियों ने रोजगार (दिहाड़ीदारों के लिए) प्राप्त किया जबकि 2019-20 में यह संख्या सिर्फ 9.08 लाख ही थी, इस तरह 30 फीसद का विस्तार दर्ज किया गया है। जबकि वर्ष 2016-17 दौरान यह संख्या सिर्फ 6.5 लाख तक ही पहंुच सकी थी।

मंत्री ने आगे कहा कि वर्ष 2019-20 में 157978 नये जॉब कार्ड बनाऐ गए थे जो 2020 -21 में 34 प्रतिशत के वृद्धि से यह संख्या 211608 हो गयी जो इसके मुकाबले वर्ष 2016 -17 दौरान सिर्फ 101754 नये जॉब कार्ड ही बनाऐ गए थे। वर्ष 2019-20 के दौरान 7.53 लाख परिवारों को रोजगार दिया गया था और 2020-21 में 9.52 लाख परिवारों को रोजगार मिला जोकि 26 फीसद का विस्तार दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में यह संख्या 5.36 लाख थी। समय पर वेतनों के भुगतान संबंधी बताते हुये तृप्त बाजवा ने कहा कि वर्ष 2019 में यह फीसद 77 थी जो वर्ष 2020-21 में बढ़ कर 89 फीसद हो गई थी, भाव 12 प्रतिशत का विस्तार हुआ परन्तु इसके उलट वर्ष 2016-17 में केवल 27 प्रतिशत लोगों को ही लाभ मिला था।

जिक्रयोग्य है कि विभाग ने कुल 190 करोड़ रुपए की लागत से मनरेगा के अधीन सरकारी स्कूलों में 14699 प्रोजैक्ट भी चलाए हैं। जबकि मनरेगा के अअधीन खर्च की रकम 136 करोड़ है जिसमें से 31 मार्च, 2021 तक 65 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसी तरह स्टेडियमों/खेल मैदान के 885 कामों के लिए 5 लाख प्रति ब्लाक के हिसाब से कुल 103 करोड़ की लागत वाले प्रोजैक्ट की शिनाखत की गई है और 31 मार्च, 2021 तक मनरेगज के अधीन 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए। श्री बाजवा ने बताया मनरेगा अधीन ‘वन मित्र’ स्कीम के अंतर्गत हर 200 पौधों की संभाल के लिए ‘वन मित्रों’ की तैनाती की गई थी और इन वन मित्रों को 100 दिनों के लिए तैनात किया गया था जिसके नतीजे के तौर पर 25000 वन मित्रों के तैनाती की गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here