शाम चौरासी (द स्टैलर न्यूज़)। रिपोर्ट: दीपक मट्टू। देश में कोरोना के चलते हुए सरकार ने जो लॉकडाउन 15 मई तक लगाया है और पिछले साल भी दो-तीन महीने तक लॉकडाउन लगाया था, उससे गरीबों और रोज कमाने वाले लोगों को भारी परेशानी और माली नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। गरीब और मध्यम वर्ग अपना काम चलाने के लिए सरकारी और प्राइवेट बैंकों से लोन लिया हुआ था उनकी किश्त और लोन पर पड़ा ब्याज देना गरीबों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है और सरकार को चाहिए गरीब लोगों को भी अमीरों की तरह कर्जा और ब्याज माफी की जाए। अगर सरकार ने लॉकडाउन लगाया है तो सरकार को गरीबों की मदद भी करनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि गरीबों को हर महीने के हिसाब से 10 हज़ार रुपया उसके खाते में डाले जिससे की गरीबों को लॉकडाउन में हुई भरपाई हो सके।
इन मांगों को पूरा करने की मांग समाज सेवक और प्रधान लेबर सेल दोआबा जोन सोनी बाहिराम सरिश्ता ने प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि सरकार फैक्ट्रियों वालों और पहले से करोड़ों की जायदाद के मालिकों को भी फायदा देती आ रही है पर गरीबों को भी सरकार हर महीने का कम से कम 10 हज़ार रुपए उनके खाते में डाले ताकि उनके हुए नुकसान को पूरा किया जा सके और कई लोगों की लोन की किश्ते जो कोरोना करके रुक गई है और उनको किश्तों पर पलांटी पड़ गई है जिसके कारण उनको माली नुकसान हुआ है और लोग परेशानी के दौर में चल रहे है। कुछ दुकानदारों ने जे भी मांग की है कि उनकी दुकाने पिशले लॉकडाउन में भी बंद रही और इस बार भी लॉकडाउन और कोरोना के कारण उनको भारी नुकसान हुआ है और जिसके लिए उनको कराया भी देना पड़ा, बिजली का बिल भी देना पड़ा जो उनके द्वारा इसका खर्च निकालना बहुत मुश्किल है इसलिए वह सरकार से मांग करते है कि बिजली का बिल माफ किया जाए और दुकान का किराया भी माफ़ किया जाए और जितना कराये का नुकसान हुआ उसका भी दुकानदारों को उनके खाते में पैसे डाले जाये तांकि दुकानदार भी सरकार की हिदायतों की पालना कर आसानी से कर सकें क्योंकि अगर किसी गरीब को खाने को मिलेगा तभी वह लॉकडाउन और सरकार की हिदायतों की पालना करेगा क्योंकि गरीब कोरोना से मरना मुनासिफ समझेगा पर भूख से नहीं।