लंगर लगाने वाली संस्थाएं लंगर खर्च का 10 प्रतिशत सफाई पर खर्च करें: नवी रैहल

navpreet rehall

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्रावण माह के नवरात्रों में माता चिंतपूर्णी के मेले के दौरान लंगर लगाने वाली संस्थाओं द्वारा श्रद्धालुओं की सेवा करने की उनका भावना का सम्मान है। लेकिन, श्रद्धालुओं की सेवा के साथ-साथ पर्यावरण की सेवा भी हमारा कर्तव्य है। इसलिए लंगर लगाने वाली संस्थाएं लंगर पर आने वाले खर्च का 10 प्रतिशत सफाई के लिए आरक्षित रखें और लंगर लगाने के उपरांत सफाई करवाएं।

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यह विचार कांग्रेसी नेता नवी रैहल ने लंगर लगाने वाली संस्थाओं को अपील करते हुए व्यक्त किए। इस मौके पर नवी रैहल ने कहा कि कोरोना के कारण मेला संक्षिप्त रुप में लगाया जा रहा है तथा सरकार एवं प्रशासन द्वारा जारी हिदायतों का भी हमें ध्यान रखना है। इस बार पहले से ही तय स्थानों पर लंगर लगाने की इजाजत दी गई है। इसलिए सफाई व्यवस्था को बनाए रखना पहले से काफी आसान है। नवी रैहल ने कहा कि अगर हमें सरकार ने मेला एवं लंगर लगाने की आज्ञा दी है तो अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। क्योंकि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है तथा इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं की आस्था का ध्यान रखा गया है। लेकिन देखना आ रहा है कि प्लास्टिक एवं थरमोकॉल की प्रयोग न करने की अपील के बावजूद भी कई लंगर वाले प्लास्टिक व थरमोकॉल की प्लेट, गिलास एवं डूनों का प्रयोग कर रहे हैं। जोकि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है।

लंगर लगाने वाली संस्थाओं से अपील है कि वह नियमों के विपरीत कार्य न करें और न ही सख्ती के लिए सरकार व प्रशासन को मजबूर करें। अगर यही हालात रहे तो कुछ लोगों की गलती से श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच सकती है। इसलिए समझदार नागरिक का सबूत देते हुए लंगर लगाने वाली संस्थाएं श्रद्धालुओं की सेवा के साथ-साथ साफ सफाई की तरफ भी विशेष ध्यान दें और प्लास्टिक एवं थरमोकॉल की क्राकरी का इस्तेमाल करने से बचें।

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