किसानों पर हिटलरशाही ढंग से जुल्म लोकतंत्र की हत्या: समाजिक संघर्ष पार्टी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। समाजिक संघर्ष पार्टी पंजाब के पंजाब प्रधान मास्टर महिंद्र सिंह हीर, इंजी. किशोर गुरु इंचार्ज पंजाब तथा चंडीेगढ़, तीर्थ राम तोगडि़या महासचिव पंजाब, कुलवंत सिंह चौहान, हरदयाल सिंह सेवानिवृत एस.डी.ओ., अमर सिंह बरनाला, हरचंद सिंह जक्खवाली सभी उप-प्रधान पंजाब, हरविंद्र सिंह प्रिंस प्रधान यूथ विंग, हरजिंद्र सिंह कौड़ा तथा सरदार रंधावा ने एक सांझी प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए हरियाणा सरकार द्वारा शांतिपूर्वक ढंग से कृषि तथा किसान विरोधी बिलों, नये बिजली एक्ट को रद्ध करने तथा अन्य जायज़ मांगों के लिए संघर्ष कर रहे किसानों पर हिटलरशाही ढंग से जुल्म तथा अत्याचार करने की कारवाई की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

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पुलिस की हिंसा में मारे गए तथा जख्मी हुए किसानों का बहा खून भाजपा की केन्द्र तथा राज्य सरकार की मौत का कफन साबित होगा। पार्टी के पदाधिकारियों ने सरकार की किसान, मज़दूर तथा आम जनता विरोद्धी नीतियों पर गहरी चिन्ता तथा दुख का प्रगटावा करते हुए कहा कि भारत की जिस जनता ने नरिंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री की कुर्सी पर विठाया था वो अब किसानों, मज़दूरों तथा अन्य जनता की परेशानियों को सुनने के लिए तैयार नहीं है, भारत देश का इससे बढ़ा दुर्भाग्य क्या हो सकती है। पार्टी ने गैर संविधानिक ढंग से किसानों, मज़दूरों पर जुल्म तथा अत्याचार करने बाली सरकार को बर्खास्त करने तथा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की। हीर ने यह भी एैलान किया कि समाजिक संघर्ष पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष हरविंद्र कौर की अगवाई में किसान, कृषि, मज़दूर, मुलाजिम विरोधी बिल रद्ध करवाने के लिए किसानों के संघर्ष में शुरु से ही साथ दे रही है। 

पार्टी के नेता नंबरदार सुखविंद्र लाल ने प्रैस को बताया कि राष्ट्रीय स्तर के फैसले के अनुसार मास्टर महिंद्र सिंह हीर पंजाब प्रधान ने हर स्तर पर किसानों द्वारा किए जा रहे संघर्ष में शामिल होने के लिए पंजाब के समूह यूनिटों को हिदायतें जारी कर दी हैं जिसके अनुसार वो संघर्ष में शामिल हो रहे हैं। उन्होने यह भी कहा की 72 साल से राज कर चुकी यां राज कर रही राजनीतिक पार्टियों ने कभी भी जनता कि हितों की रक्षा नहीं की है बल्कि कॉरपोरेट घरानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए भारत के नागरिकों को दाव पर लगाया हुआ है जिसके कारण भारत की आम जनता की हालत बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही है। इसका एक ही हल है कि ऐसी पार्टियों को राजसत्ता से दूर करने के लिए 85 प्रतिशत समाज, किसान, मजदूर, अनुसूचित जाति, ओ.बी.सी., धार्मिक अल्प संख्यक तथा मुलाजिम बर्ग , छोटे दुकानदार  अपने अधिकारों की प्राप्ती के लिए एक मंच पर इक्ठे होकर संघर्ष करें। यही समय की सबसे बड़ी मांग है। 

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