दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से सत्संग कार्यक्रम का आयोजन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर होशियारपुर आश्रम मे सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अपने विचारों को रखते हुए संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री गुरू आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कुलदीप भारती जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि एक माला के अंदर जड़े हुए सुंदर मोती माला की शोभा है। जिस प्रकार आभूषण बनाने वाला सुन्दर मोती एकत्र करके उनसे आभूषण तैयार करता है,ठीक उसी प्रकार परमात्मा ने बहुत सुन्दर मोती एकत्र करके मानव-जीवन के लिए एक श्रेष्ठ माला का निमार्ण किया। निर्माणकर्ता ने बहुत ही सूझ-बूझ से इन मोतियों को जोड़ा है। ये मोती है-कर्मशीलता के, कुशाग्र बुद्धि के, सर्वाेच्च चेतना के। परन्तु विडंबना यह है कि संसार की उधेड़बुन में,माया व आकर्षणें की रस्साकशी में, यह माला टूट जाती है। कहां तो इन बहुमूल्य मोतियों से मानव का उतम श्रंृगार हो सकता था। मानव सब से कुरूप कृ ति बना बैठा है। साध्वी जी ने कहा कि आज के परिवेश में देखे तो ज्ञात होता कि कर्मशीलता रूपी मोती किस प्रकार बिखरा कर्म की गति विपरीत दिशा में हो गई। मानव अपने मुल्यों से च्युत होकर संसारिक व नकारात्मक कर्मो में इस कदर फंसा कि जीवनपर्यन्त उलझन जारी रही।

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एक अन्य मोती कुशाग्र बुद्धि-यह अनमोल मोती भी हमें परमात्मा की देन है। यह मोती मिला था परमात्मा को मूलत: जानने के लिए,परम ध्येय की उपलब्धि के लिए, मानवीय चेतना के विकास एवं आध्यात्मिक जागरण या पुनरूत्थान के लिए। परन्तु विडंबना यह है कि मनुष्य ने अपनी इस बुद्धि को केवल संसार को तराशने और उसके विकास में लगाया। जीवन के मूल उद्देश्यों से सदा भटका रहा। अत: संसार की चकाचौंध में यह बुद्धि रूपी अनमोल रत्न कही खो गया। ईश्वर ने हमें भरपूर शक्तियों से युक्त मन रूपी मोती भी दिया था। वैचारिक उर्जा का अनुपम स्वामी। इसके द्वारा हमें सुन्दर विचारो एवं पवित्र भावनाओं को संजोना था। परन्तु माया के संसर्ग से हमने इसे भी पूर्णत: कलुषित कर दिया। मनुष्य होतें हुए भी पशुता की निम्न श्रेणी आ गिरे। फलस्वरूप मन रूपी मोती भी बिखर गया।

परन्तु यदि इन्हीं मोतियोंं को विवेकशीलता के साथ पुन: एक सूत्र में पिरोया जाए। तो फि र से एक सुन्दर माला का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए हमें एक विवेकी सत्पुरूष के मार्गदर्शन की अवश्यकता है। विवेकी पुरूष वह पूर्ण महात्मा है, जिसने उस तत्व को जान कर महानता के अदभुत स्तर को प्राप्त किया है। आइए हम सब ऐेसे महान पुरूष का सान्निध्य प्राप्त करेंं जिससे हमारे भीतर नव का संचार हो, बिखरे मोती सिमट जाएँ और मानवता का श्रृगार पुन: लौट आए।

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