’विश्व पुस्तक दिवस’ के अवसर पर पुस्तकों के सम्बन्ध में की गई विचार चर्चा

होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़): साहित्य सदन होशियारपुर की ओर से ’विश्व पुस्तक दिवस’ के अवसर पर पुस्तकों की समाज को देन तथा पुस्तक प्रकाशन के साथ लेखक के सम्बन्ध में एक विचार चर्चा स्थानीय फाईन-डाईन होटल में करवाई गई जिसकी अध्यक्षता हिन्दी तथा पंजाबी के नामवर लेखक जसवीर धीमान, हरदयाल होशियारपुरी, जसवन्त राये (जि़ला खोज अफसर) तथा नाटककार अशोक पुरी ने की। इस विचार चर्चा का संचालन महेश कुमार ने किया।  

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’विश्व पुस्तक दिवस’ की विचार चर्चा शुरू करते जि़ला खोज अफसर जसवन्त राये ने बताया कि उन्होेंने अपनी पुस्तकों कथायें बिस्त दोआब की, कौम का सितारा, शहीद बाबू हरनाम सिंह साहरी, इक सी डाक्टर इक सी संत के साथे पंजाबी के साहित्य ने संसार में सांझ डाली है। इस अवसर पर मुख्य मेहमान जसवीर धीमान ने बताया कि उनकी पहली पुस्तक ’बेेदाग’ 1966 में प्रकाशित हुई तथा आज तक 8 पुस्तकों के प्रकाशन के उपरान्त सबसे न भूलने वाली बात यह है कि जब एक बार वो दिल्ली हवाई अड्डे से विदेश के लिए जा रहे थे तो हवाई अड्डे के अधिकारियों ने उनको पुस्तकें वहीं फैंकने के लिए कहा जिसका उनको बहुत दुख महसूस हुआ उन्होंने सभी बातों को भूलते हुये अधिकारियों को इस तरह कहने के लिए लाहनतें डाली जिसके लिए आज भी वो गर्व महसूस करते हैं।

इस अवसर पर हरदयाल होशियारपुरी ने बताया कि 1933 में उनका पहला नावल ’रूह के जख्म’ प्रकाशित हुआ। यह कोई आसान काम नही। प्रकाशन अपने आप में एक सम्पूर्ण व्यवस्था है। उनका एक गज़ल संग्रह तथा दो नावल प्रकाशित होने के इन्तज़ार में है। इस विचार चर्चा में बबीता रानी के साथ अंकुश राए, जिंदर सिंह, महेश कुमार ने भी भाग लिया। प्रोग्राम के अंत में नाटककार अशोक पुरी ने साहित्य सदन के इस प्रयास की प्रशंसा की तथा कहा कि बोलने, गाने, दिखाने से पुस्तक के रुप में प्रकाशित होना समाज के लिए एक सुखद अनुभव है चाहे सरकारें तथा आम आदमी इस से चिंतित नहीं परन्तु हमें चिंता करनी चाहिए क्योंकि हम शब्द गुरु की विचारधारा के धारक हैं परन्तु शब्द से दूर जा रहे हैं। 

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