संगत में आकर ही इंसान में से दुरमत दूर हो सकती है : महात्मा गुरदेव सिंह

होशियारपुर,(द स्टैलर न्यूज़) : संगत में आकर ही इंसान में से दुरमत दूर हो सकती है, उक्त बात केन्द्रीय प्रचारक महात्मा गुरदेव सिंह काकूवाल जी ने संत निरंकारी मिशन की ब्रांच अज्जोवाल मुखी प्रेम सिंह जी के नेतृत्व में हुए संत समागम के दौरान कहे। इसके बाद गुरदेव सिंह काकूवाल जी मिशन की ब्रांच बुल्लोवाल में मुखी लखविंदर सुमन के नेतृत्व में हुए संत समागम में गए। उन्होंने कहा कि अगर इस संसार में संत महापुरुष न होते तो यह संसार कब का जल कर राख हो गया होता। जो गुरु दुनिया में आकर इस निरंकार प्रभु का जानकारी करवाता है उसे सतगुरु कहा जाता है। सतगुरु व परमात्मा में कोई फर्क नहीं होता।

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उन्होंने कहा कि इंसान अज्ञानता के अन्धकार के कारण ठोकरें खा रहा है तथा नीचे दर्जे के काम कर रहा है । चांद सितारों तक पहुंचकर इंसान ने दूरियां तो समाप्त कर ली हैं परन्तु इंसान इंसान के नजदीक नहीं हो पा रहा है । मानव-मानव के बीच में दूरियां बढ़ती ही जा रही है । एक ही ग्रह धरती पर विचरण करते हुए शारीरिक व मानसिक रूप से बंटा हुआ है । मन की दूरियों को समाप्त कर नजदीकियां स्थापित करना पर्वत पर चढऩे के समान कठिन हो गया है । यह कठिन कार्य संत महात्मा युगों-युगों से करते आए हैं और आज भी कर रहे हैं ।

यहां पर भी ब्रह्मज्ञान के माध्यम से एकत्व का भाव लाने का प्रयास किया जा रहा है । सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी की यात्राआें व संत सम्मेलनों का उद्देश्य मानवता व भाईचारे की भावना को मजबूती प्रदान करना है । इन भावनाआें को मजबूती ब्रह्मज्ञान द्वारा ही मिल सकती है क्योंकि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के उपरान्त ही मानव जान जाता है कि धर्म, जाति, क्षेत्र, संस्कृति, भाषा आदि की विभिन्नताआें के बावजूद मूल स्वरूप एक ही है, बर्तन भिन्न-भिन्न है परन्तु माटी एक ही है, आभूषण अलग-अलग हैं परन्तु सोना एक ही है

। इस दौरान अंत में अज्जोवाल के मुखी प्रेम सिंह व बुल्लोवाल के मुखी लखविंदर सिंह सुमन ने आए हुए महात्मा गुरदेव सिंह कूकोवाल का धन्यवाद किया। इस अवसर पर संचालक बलविंदर सिंह अज्जोवाल सहित भारी संख्या में संगत उपस्थित थे।

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