सावन के चौथे सोमवार गगन जी के टिल्ला में उमड़े शिवभक्त

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के सबसे ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक महत्व के शिवालय गगन जी के टिल्ला मंदिर में सावन महीने के चौथे सोमवार शिवभक्तों का हुजूम उमड़ा इस अवसर पर सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं की आमद शुरू हो गई सबसे पहले तीन बजे शिवभक्त मुकेश रंजन ,दीपक धीर, कुमार सैनी, इंद्रजीत अरोड़ा,राजू भल्ला,पिंटा रल्हन, संजीव नंदा, जसवीर सिंह,भाग सिंह, सुभाष कुमार,वी विनोद ठाकुर तथा सरदार हुंदल ने  766 सीढ़ियां चढ़ते हुए शिवभोले के जयकारों के साथ मंदिर में प्रवेश किया और पावन शिवलिंग की पूजा की,जल,बेल पत्र पुष्प,फल धूप दूर्वा भांग धतूरा से अभिषेक किया इस सारी प्रक्रिया में उपेंद्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रों द्वारा जलाभिषेक करवाया

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इस अवसर पर मुकेश रंजन, दीपक धीर, कुमार सैनी इंद्रजीत अरोड़ा तथा अन्य ने कहा कि यहां आकर कैलाश पर्वत जैसा आभास होता है और मानसिक तनाव दूर होता है मन को शांति मिलती है और आशुतोष भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है सुबह छः बजे तक लगभग दो हजार श्रद्धालु सीढ़ियां चढ़ते हुए शिवभोले की जय-जयकार करते हुए दर्शन कर चुके थे और अभी आठ बजे तक पूरा उत्सव का माहौल है शाम तक हजारों श्रद्धालु नतमस्तक होंगे

मुकेश रंजन, दीपक धीर कुमार सैनी इंद्रजीत अरोड़ा राजू भल्ला पिंटा रल्हन संजीव कुमार ने बताया कि श्रद्धालुओ की आमद के मद्देनजर तमाम इंतजाम किए गए हैं लंगर लगातार जारी है और जयकारों से माहौल पावन और शिवमय बना हुआ है उन्होंने बताया कि इस समय हाजीपुर, दसूहा दातारपुर, मुकेरियां तलवाड़ा तथा अन्य जगहों से शिवभक्त यहां आ रहे हैं  उक्त सभी भक्तों ने कहा भगवान शिव भोले बाबा हैं शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं

उन्होंने कहा जिस प्रकार भगवान शिव के घर में सभी विपरीत स्वभाव वाले मिलजुल कर रहते हैं वैसे ही हमें भी एकजुट होकर सुंदर समाज का निर्माण करना चाहिए मुकेश रंजन ने कहा कि जिस प्रकार गणेश जी के वाहन चूहे को शिवजी के गले में धारण सांप खाना चाहता है और सांप को कार्तिकेय का वाहन मोर का जाना चाहता है और मोर को गिरिजा का वाहन शेर खाने को लालायित रहता है उन्होंने कहा जैसे सभी एक दूसरे के शत्रु हैं पर रहते मिलजुलकर हैं हमें भी उनसे प्रेरणा लेकर समाज में समरसता का भाव जगाना चाहिए इस अवसर पर मनु सोंधी, संजय रंजन, पंकज रत्ती, उपेंद्र शास्त्री, रजत, बाबू भोगपुरिया, तथा अन्य उपस्थित थे

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