गावं सलेरन से उठाए युवक पर कोट फतूही पुलिस स्टेशन में मामला, रोष स्वरुप एसएसपी निवास के बाहर धरना, पुलिस ने उठाए धरनाकारी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। गांव सलेरन से उठाए गए एक युवक के खिलाफ पुलिस स्टेशन कोट फतूही में अफीम का मामला दर्ज किए जाने के रोष स्वरुप गांव सलेरन के पूर्व सरपंच, नंबरदार एवं गांव के अन्य लोगों द्वारा एसएसपी निवास स्थान के बाहर देर रात करीब 10 बजे इंसाफ के लिए धरना लगा दिया गया। इस धरने में गांव के पूर्व सरपंच एडवोकेट नवजिंदर सिंह बेदी व गांव निवासियों के अलावा शहरी कांग्रेस के अध्यक्ष नवप्रीत रैहल सहित अलग-अलग पार्टियों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान नवजिंदर सिंह बेदी ने बताया कि उनके गांव के एक युवक गुरपाल को दो सिविल वर्दी व एक पुलिस की वर्दी में आए व्यक्ति ने खेत में काम करते हुए को उठाया तथा इस बारे में अलग-अलग थानों से जब पता किया गया तो किसी भी थाने ने उन्हें नहीं बताया कि उसे किसने गिरफ्तार किया है व उसे कहां ले जाया गया है। बाद दोपहर की घटना को लेकर पूरे गांव में रोष की लहर थी तथा थाना सदर पुलिस को भी इस बारे में कुछ पता नहीं था।

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यहां तक कि गांव निवासियों के अनुसार कि जब उन्होंने जिला प्रमुख से इस बारे में बात की तो उन्होंने भी अनभिज्ञता प्रकट की थी। लेकिन रात 9 बजे पता चलता है कि युवक के खिलाफ कोट फतूही पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है। इसके बाद गांव निवासियों का गुस्सा भडक़ गया और उन्होंने धरना देने की चेतावनी दी। इसके उपरांत जब गांव निवासी धरना देने के लिए आ रहे थे तो रास्ते में एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें धमकी भरे लहजे से कहा कि जहां भी धरना दोगे, वे ही आगे मिलेंगे तथा बात यहीं खतम कर लेते हैं। इसके बाद गांव निवासियों ने थाना सदर के सामने स्थित मार्किट में धरना देने की बजाए एसएसपी निवास के सामने धरना देने के मन बनाया और आधी सडक़ पर धरना देने के लिए सडक़ में बैठक गए। इसकी सूचना मिलते ही डीएसपी अनिल भनोट, डीएसपी तलविंदर व डीएसपी दलजीत सिंह खख पुलिस पार्टी के साथ मौके पर पहुंच गए और उन्होंने धरनाकारियों को समझाया कि किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी तथा वे धरना उठा लें।

इस दौरान डीएसपी भनोट द्वारा समझाए जाने के बाद एडवोकेट बेदी ने लिखित रुप से इस मामले की जांच की मांग की। इस मौके पर भाजपा स्पोर्टस सैल के प्रदेश अध्यक्ष डा. रमन घई भी पहुंचे तथा उन्होंने भी धरना उठाए जाने को लेकर अहम भूमिका अदा की। लेकिन पुलिस के व्यवहार से खफा होकर वे भी धरने में बैठ गए तथा इस दौरान एक अन्य अधिकारी द्वारा बात करने पर डा. घई धरने से उठे और शांतमयी ढंग से मामले के हल व निष्पक्ष जांच की बात होने पर शांत हुए। एडवोकेट बेदी ने लिखित जांच की मांग करते हुए डीएसपी भनोट एवं खख को शिकायतपत्र दिया और एक तरफ होकर खड़े हो गए। इसी दौरान एक पुलिस अधिकारी को एक फोन काम आई और मामला तुरंत ही पलटता दिखाई देने लगा। देखते ही देखते पुलिस ने धरनाकारियों को पुलिस बस में धकेलना शुरु कर दिया तथा इसी दौरान एक अधिकारी ने मौके पर मौजूद मीडिया वालों के फोन बंद करवाने का आदेश भी जारी कर दिया। जिस पर कुछेक मीडिया वालों के फोन भी पुलिस ने बंद करवा दिए और छीनने के प्रयास भी किए। अब समझ से परे है कि जब मामला शांत हो गया था तो पुलिस की ऐसी क्या मजबूरी बन गई थी कि उन्हें जांच की मांग करने वाले धरनाकारियों को काबू करने की नौबत आ गई।

इतना ही नहीं इस दौरान एक अधिकारी से जब मीडिया वालों ने मामले संबंधी बात करनी चाही तो उनके हाव भाव पूरी तरह से बदले हुए थे तथा उन्होंने मीडिया के सवालों का ठीक ढंग से जबाव देना भी मुनासिब नहीं समझा। उनके व्यवहार से ऐसा लग रहा था कि उन्हें इस बात की चिढ़ हो कि उन्हें रात को घर से उठकर आना पड़ गया तथा ऊफर से मीडिया के सवाल? दूसरी तरफ गांव की पंचायत का कहना था कि अगर युवक अपराधी निकला तो वे उसकी तरफदारी नहीं करेंगे, लेकिन अगर वो बेगुनाह हुआ तो आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही यकीनी बनाई जाए। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है तथा पुलिस की जांच कहां तक पहुंचती है।

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  1. Whatever the case may be. But the procedure has not changed as expected in the AAP Government. We should see a clarity between Justice and injustice, good and bad, right and wrong. Clarity is missing and so the trust in the Government. Alas!

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