वो भी एक जमाना था जब सब मिल जुलकर रहा करते थे आज ये भी एक जमाना है किसी के पास मिलने तक का समय नहीं।
वो भी एक जामाना था जब बाप ने बेटों के लिए पूरी उम्र गुजार दी साइकिल पर, आज ये भी एक जमाना है अब उस बाप को बेटों की गाडिय़ों को हाथ लाने तक का हक नहीं।
वो भी एक जमाना था जब मां बेटों को गोद में उठाकर मीलो तक का सफर तय किया करती थी आज ये भी एक जमाना है बेटों के पास उस मां के साथ मैडिकल स्टोर तक जाने तक का समय नहीं।
वो भी एक जमाना था जब सब भाई-भाई मिलकर एक ही थाली में खाना खाते थे आज ये भी एक जमाना है थाली तो सबकी अलग है पर भूख किसी भाई को नही।
वो भी एक जमाना था जब सब पेड़ो की छाया के नीचे सोया करते थे आज ये भी एक जमाना है बिजली के प्रबंध सबके घर में है पर चैन की नींद किसी को नहीं।
वो भी एक जमाना था जब चिट्ठी दिल की बात बता दिया करती थी आज ये भी एक जमाना है फोन अब सबके पास है पर मोहब्बत किसी के दिल में नही।
वो भी एक जमाना था जब दूसरों के मोहल्ले में खेला करते थे आज ये भी एक जमाना है बच्चा खुद की गली में महफूज नहीं
वो भी एक जमाना था जब दु:ख में सब एक दूसरे की हिम्मत हुआ करते थे आज ये भी एक जमाना है जब बिन पैसे से रिश्ते नहीं।
नाम: नविता रानी
होशियारपुर
बातें तेरे मेरे जमाने की
Advertisements