लोकसभा चुनाव को लेकर होशियारपुर सीट से एक तरफ जहां भाजपा व कांग्रेस की अंतरकल्ह से राजनीतिक गलियारे पूरी तरह से गर्माए हुए हैं वहीं आप के भीतर का घमासान भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं बटौरने लगा है। जिसके चलते मजबूत समझी जाती इसकी स्थिति भी डामाडोल होती दिखाई देने लगी है। एेसा इसलिए कि पार्टी में शामिल होकर बड़े पदों पर विराजमान कांग्रसियों की सेवा करते-करते लगता है कि आप वालंटियर थकने लगे हैं और थकावट में कुछ एसा कह जाते हैं जो उनके अंदर की सच्चाई होठों से निकलकर चर्चा का विषय बन रही है।
पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार आप वालंटियरों में इक बात की चर्चा है कि उनकी पार्टी में कांग्रसियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है, भले ही आप का पटका पहनकर वह आप वाले हो गए हों, लेकिन पैराशूट एवं सिफारिशों व दवाब के दम पर पार्टी में आने वाले नेताओं एवं उनके करीबियों की तूती कुछ इस कद्र बोलने लगी है कि उन्हें लग ही नहीं रहा कि वह आप के वालंटियर हैं या कांग्रेस के। क्योंकि, उन्हें किसी आप नेता के पीछे नहीं बल्कि कांग्रेस से आए नेताओं के पीछे-पीछे चलने को विवश होना पड़ रहा है। अधिकतर वालंटियरों में चर्चा है कि असी आप दे हां या कांग्रस दे, पता इ नी चलदा, सानूं तां सांबण वाला वी कोई नई, हुण की करिये, पहिला तां झाडू चक्क के कांग्रसी साफ करने पैणे जे आपणा आप जिंदा रखणा, पार्टी च पुछ ई हैनी, सारे कांग्रसी अग्गे ते असली वालंटियर कुर्सियां लगाण नूं ई रै गे पर हुण कम्म करन नूं मन नी मनदा। एसी चर्चाओं से आप के भीतर मचा घमासान सामने आने लगा है। जिससे पार्टी द्वारा उम्मीदवार डा. राज कुमार के पक्ष में चलाए जा रहे चुनाव प्रचार पर खासा असर देखने को मिल रहा है।
क्योंकि, आप के भीतर पहले ही जिला कार्यकारिणी और कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा के बीच की खटास को सभी भलीभांति जानते हैं तथा हाल ही में एक कार्यक्रम में जब सभी एक मंच पर विराजमान थे तो एक-एक करके कोई न कोई बहाना बनाकर बड़े नेता वहां से चले गए और जिला कार्यकारिणी से जुड़े नेताओं ने उपस्थिति को आप की नीतियों से अवगत करवाया। उस कार्यक्रम के बाद भी वालंटियरों में अनबन की चर्चाएं रहीं तथा उपस्थिति पर कार्यक्रम के आयोजक व नेतागण कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। अब देखना यह होगा कि वालंटियरों में फैले इस रोष को पार्टी के आला पदाधिकारी या जिला पदाधिकारी कैसे शांत कर पाते हैं। वैसे एक बात है जहां पूंजीपति पहुंच जाते हैं वहां फिर मेहनत की नहीं बल्कि लक्ष्मी जी के आशीर्वाद के सहारे सब काम बनते हैं। अब रही रोषित वालंटियरों की बात तो भई उनकी सुनेगा कौन? मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।