होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सनातन धर्मवलंबियों में सावन यानी श्रावण का माह बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह माह त्रिदेवों में से एक भगवान शिव का सबसे प्रिय माह है। इसी कारण श्रद्धालु महादेव शंकर को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं यूं तो भोले शंकर की पूजा में कई सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपके पास पूजन की कोई सामग्री ना हो तो भी आप शिवजी को केवल तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ा कर खुश कर सकते हैं। वही सावन के माह में भगवान को जल अभिषेक के समय बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है बेलपत्र को संस्कृत में बिल्वपत्र कहा जाता है। यह भगवान शिव को बहुत ही प्रिया है शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है। मान्यता है कि शिवजी की पूजा में कुछ भी ना हो तो बस एक बेलपत्र ही काफी है लेकिन सब कुछ हो और बेलपत्र ना हो तो पूजा अधूरी रह जाती है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि शिव की पूजा में अर्पित किए जाने वाला तीन पत्तियों वाला बेलपत्र इतना महत्वपूर्ण क्यों है।
इस बारे में भूत गिरी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्याम ज्योतिषी का कहना है कि एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विषपान किया था तो उनके गले में जलन हो रही थी बेलपत्र मैं विष निवारण गुण होते हैं। इसलिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया ताकि जहर का असर कम हो मानता है कि तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। उन्होंने बताया कि एक अन्य कथा के अनुसार बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है यानी शिव का ही रूप है इसलिए बेलपत्र को पवित्र माना जाता है। वही वेलवृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में पंडित श्याम ज्योतिषी ने बताया कि स्कंद पुराण में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका जिसकी कुछ बंदे मंदार पर्वत पर गिरी मान्यता है। उन्हीं बूंदों से ही बेलवृक्ष उत्पन्न हुआ पंडित श्याम ने बताया कि इसके अलावा इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा तने में महेश्वरी शाखों में दक्षयायनी पत्तियों में पार्वती फूलों में गौरी और फलों में कात्यानी वास करती है कहा जाता है की बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित हैं मान्यता यह भी है इसमें देवी महालक्ष्मी का भी वास है और जो श्रद्धालु शिव पार्वती की पूजा में बेलपत्र अर्पित करते हैं उन्हें भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।