होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने होशियारपुर-जालंधर मार्ग पर सिंगड़ीवाला बाईपास पर पड़े एक गड्ढे को भरकर अपनी पीठ खूब थपथपाई थी और वाहवाह लूटने का प्रयास किया था। लेकिन प्रशासन के इस कदम से जहां सरकार एवं मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा के साथ-साथ जिला प्रशासन की जगहंसाई हुई थी वहीं मिट्टी एवं बजरी से भरे गए गड्ढे के मौजूदा हालात रह-रह कर कोस रहे हैं। क्योंकि वह गड्ढा और भी अधिक खतरनाक बन चुका है और दोपहीया वाहन चालकों के लिए वह खतरे की घंटी से कम नहीं। इसी प्रकार प्रशासन द्वारा टांडा रोड पर भंगी पुल के दोनों तरफ पड़े गड्ढों को भरने के लिए आनन-फानन में उठाए गए कदमों को देखकर भी आप हैरान रह जाओगे कि प्रशासन ने समस्या का समाधान करने का प्रयास किया है या फिर समस्या को और बढ़ाने का।
आप तस्वीर में देख रहे होंगे कि किस प्रकार प्रशासन एवं संबंधित विभाग ने जनता को फौरी तौर पर राहत प्रदान करने के लिए गड्ढों को भरने का नाटक किया और समस्या कम होने की बजाए बढ़ गई। मौके पर देखा गया कि प्रशासन द्वारा जो काम करवाया गया है उसे कोई भी सही नहीं कह सकता तथा न ही इसके लिए प्रशासन किसी तरह की सराहना का पात्र है। हमने पहले भी बताया था कि प्रशासन की कार्यप्रणाली से लगता ही नहीं है कि उसे सरकार या होशियारपुर के विधायक व सरकार में कैबिनेट मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा की साख से कोई लेना देना है। अगर प्रशासन को उनकी साख की जरा भी परवाह होती तो शायद समस्या को कम किए जाने के प्रयास किए जाते। परन्तु प्रशासन के लायक एवं मेहनती इंजीनियरों ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वाले पहले से ज्यादा कोसने को विवश हो चुके हैं।
पुल से गुजरने वाले राहगीरों का कहना है कि होशियारपुर में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है तथा मंत्री के शहर का यह हाल है तो फिर और क्या उम्मीद की जा सकती है। राहगीरों ने कहा कि गड्ढे ठीक करने के नाम पर जो कार्यवाही की गई है उससे तो पहली स्थिति अच्छी थी। यह जो हालात अब बना दिए गए हैं वह और भी खतरनाक हैं, क्योंकि इससे जाम की स्थिति और बन रही है तथा दोपहिया एवं हैवी वाहनों के लिए यह जगह बड़े खतरे का काम करेगी। इस मौके पर वहां से गुजर रहे इकबाल सिंह, मोहित, राजन, गुरजीत सिंह, कमल कुमार, राम सरुप, करण, जसपाल सिंह, शिव कुमार शिवू, दिनेश कुमार, रमन, कमलदीप सिंह, अमरीक आदि सहित अन्यों ने कैबिनेट मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा से अपील की कि जनता की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले अपने अधिकारियों को सम्मानित किए जाने की सिफारिश करें। क्योंकि, उन्हें इतने शानदार काम के लिए पुरस्कार तो मिलना ही चाहिए। इतना ही नहीं लोगों का कहना है कि जिस सरकार के समय में सत्ताधारी नेताओं द्वारा किए जाने वाले कार्यों को प्रशासनिक अधिकारी करने लगें वहां समझ जाना चाहिए कि सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
अगर नियंत्रण होता या अधिकारियों को लगता कि वह किसी के लिए जवाबदेह हैं तो वह मौके पर पहुंचकर समस्या के स्थायी हल के प्रयास करते तथा स्थायी हल होने तक फौरी तौर पर दी जाने वाली राहत भी राहत लगती। लेकिन इतनी भयंकर गर्मी एवं उमस में एसी कार्यालय व कार से उतरना अधिकारियों को गवारा नहीं हो रहा और इसका दंश आम शहरी एवं राहगीर को भुगतने को विवश होना पड़ रहा है। लोगों ने कहा कि प्रशासन की कार्यप्रणाली देख लगता ही नहीं कि कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी के लिए गंभीर होगा। अन्यथा इतने सालों से चल रही समस्या क्षण भर में दूर कर दी जाती। इसके अलावा यह कहना कि यह सड़क अब नैशनल हाईवे अथार्टी के तहत है या स्टेट हाईवे की तो इससे आम जनता को क्या लेना देना है, यह सरकारों की बातें, लेकिन जब तक कोई तय एजेंसी अपना काम नहीं करती तब तक क्या जनता की जान से ऐसे ही खिलवाड़ करने की इजाजत दी जा सकती है।
लोगों ने कैबिनेट मंत्री से अपील की कि वह लापरवाह अधिकारी वर्ग के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें और उन्हें कर्तव्य पालन की शिक्षा ग्रहण करवाएं ताकि लोगों की जिंदगी से खिलावड़ करने का प्रयास कोई न कर सके। अब देखना यह होगा कि कैबिनेट मंत्री श्री जिम्पा इस गंभीर समस्या पर क्या रुख इख्तियार करते हैं या प्रशासन का इसे लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं। या फिर जनता को इसी प्रकार जान हथेली पर रखकर यहां से सफर करने को मजबूर होना होगा। मौजूदा हालातों को देखकर लगता है कि सरकारी तंत्र की नींद किसी बड़े हादसे के बाद ही टूटेगी, जब किसी न किसी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा या फिर गंभीर चोटिल होना पड़ेगा, अन्यथा सब ठीक ही चल रहा है और ऐसे में नींद क्यों खराब करनी, वैसे भी डीए टीए और सैलरी व ऐशो आराम तो मिल ही रहा है, राजसी आका भी अपने हैं तो फिर डर काहे का।