कहीं भूल न जानाः जाते समय एक विधायक का सीएम के पैर छूना बना चर्चा का विषय

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। शिक्षक दिवस के मौके पर होशियारपुर में अध्यापकों को सम्मानित करने के लिए प्रदेश स्तरीय समारोह का आयोजन सिटी सेंटर (कम्युनिटी हाल) में किया गया। कार्यक्रम दौरान मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे। इस दौरान कार्यक्रम में पहुंचने दौरान की विधायक एवं मंत्री उनके साथ थे तथा उनके साथ आए गणामन्यों को मंच पर सीएम साहिब के साथ बैठने का अवसर मिला। लेकिन समारोह के समापन पर एक वाक्य ऐसा हुआ जिसने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ केन्द्रित कर लिया और वह वाक्य था एक विधायक का आगे निकलकर सीएम साहिब के पैर छूना। अपने से बड़ों एवं वशिष्ट लोगों के पैर छूना हमारे संस्कारों में है तथा अगर उन्होंने ऐसा किया उसमें कुछ गलत नहीं था।

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इस वाक्य के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं के बाजार तो तेजी से गर्म होने ही थी और हुए भी। यह दृश्य देखने वालों ने तुरंत इसकी चर्चा शुरु कर दी और इस बात की और संकेत किया कि साहिब मुझे याद रखना, कहीं भूल न जाना। यानि कि काफी दिनों से चर्चा है कि विधायक जी खुद एवं उनके खासमखास उन्हें मंत्री बनाए जाने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं तथा इसके लिए उनके द्वारा काफी जोड़तोड़ भी किया जा रहा है। अब सवाल यह है कि जब विधायक उनके साथ आए तो जाहिर सी बात है कि वह सीएम के स्वागत में उन्हें मिले भी होंगे, अब मिले होंगे तो सीएम का ध्यान उनकी तरफ भी गया होगा कि वह भी विशेष तौर से मौजूद हैं। तो फिर ऐसा क्या हुआ कि विधायक को कैबिनेट मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा व एक अन्य नेता से आगे निकलकर सीएम साहिब के पैर छूने पड़े, जबकि वह भी सभी के साथ सीएम को छोड़ने के लिए मंच से उतर रहे थे।

विधायक जी इतने उतावले दिखे कि उन्होंने सीएम को मंच से नीचे भी नहीं उतरने दिया और सीढ़ियों के पास ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए खास नजर-ए-इनायत का इशारा कर दिया। जिसे देख कई लोगों ने मौके पर चुटकियां भरीं वहीं कईयों ने कार्यक्रम से बाहर निकलकर संस्कारों का व्याख्यान शुरु कर दिया। सूत्रों की मानें तो हाल ही में लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले नेता जी से भी विधायक जी आस लगाए बैठे हैं कि वह उन्हें कैबिनेट में लेने की सिफारिश करें। क्योंकि, उन्होंने उनके लिए लोकसभा चुनाव में दिन रात एक जो किया था। यह भी चर्चा है कि उसी मेहनत का मेहनताना वह मंत्री की कुर्सी के रुप में चाह रहे हैं। अब यह तो समय ही बताएगा कि उनका यह प्रयास कितना सार्थक रहता है और क्या एक जाएगा तो दूसरा आएगा वाली कहावत चरितार्थ होती नज़र आएगी।

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