होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। दूरीयां नजदीकीयां बन गईं, अजब इत्तेफाक है… गीत की यह पंक्तियां आप इस समाचार के साथ जो तस्वीर देख रहे हैं, पर पूरी तरह से सटीक बैठती हुई नज़र आ रही हैं। क्योंकि करीब दो साल पहले पूर्व मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे तो उसके अगले ही दिन प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने होशियारपुर पहुंचकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए सुन्दर शाम अरोड़ा को गद्दार एवं धोखेबाज कहकर संबोधित करते हुए कहा था कि वह सुन्दर शाम अरोड़ा का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने पार्टी में आम बंदे के लिए दरवाजे खोले हैं तथा वह चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी में आम लोगों को जगह मिले, कांग्रेस पार्टी में आम वर्कर की बात हो, पार्षद को आगे लाया जाए व सरपंच को हलके का इंचार्ज बनाया जाए, क्यों न कोई ब्लाक प्रधान आगे आकर होशियारपुर की अगुवाई करे। उन्होंने कहा था कि वह यहां यह सुनेहा देने के लिए आए हैं कि आप (सुन्दर शाम अरोड़ा) जैसे गद्दार एवं धोखेबाज लोगों को जनता माफ नहीं करेगी। होशियारपुर के कांग्रेसी हैं उन्हें किसी तरह की चिंता करने की जरुरत नहीं है हम आपके साथ हैं। लेकिन समय कब बदल जाए कोई कुछ नहीं कह सकता तथा आज हलका चब्बेवाल में होने वाले उपचुनाव में पार्टी की तैयारी एवं कार्यकर्ताओं व नेताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए रखी गई बैठक में मंच पर विराजमान राजा वडिंग और अरोड़ा हंसते हुए बातें करते देखे गए।
अरोड़ा हाल ही में कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में वापस लौटे हैं तथा उनके आते ही होशियारपुर कांग्रेसी ही नहीं बल्कि कई बड़े नेताओं की खुशी भी देखते ही बन रही है। क्योंकि सभी जानते हैं कि पैसे खर्च करने में अरोड़ा कभी पीछे नहीं हटे। इसीलिए भी वह कईयों के प्रिय नेता के रुप में पहली पसंद हैं। बैठक के दौरान जब नेतागण मंच पर विराजमान हो रहे थे तो अरोड़ा और राजा वडिंग के बीच संगत सिंह गिलजीयां एक दीवार की तरह बैठे हुए थे और अरोड़ा ने मौके पर चौका मारते हुए राजा वडिंग के समीप जाने का मौका नहीं छोड़ा और उसके बगल में बैठ गए। अब पास-पास होकर दूर-दूर रहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता और फिर अरोड़ा व राजा के बीच बातचीत होने लगी व दोनों के चेहरे की खुशी व रौनक नीचे बैठे सभी कार्यकर्ता देख रहे थे। इसी दौरान यह दृश्य हमारी नज़र से भी बच नहीं पाया और हमने इन हसीन व एतिहासिक पलों को कैमरे में कैद कर लिया। बैठक दौरान संबोधित करते हुए राजा वडिंग ने कहा कि वह चाहते थे कि बैठक हलका चब्बेवाल में ही हो, लेकिन बताया गया कि किसी कारणवश वहां बैठक नहीं हो पाई और होशियारपुर में बैठक रखी गई। उनकी बातों से एक संकेत तो साफ था कि मामला बैठक पर होने वाले खर्च का नहीं था बल्कि नेताओं की खातिरदारी का जिम्मा कौन उठाता यह भी था। खैर यह तो पार्टी व पार्टी नेता ही जाने की किन कारणों से बैठक चब्बेवाल में नहीं रखी गई, लेकिन बैठक के बाद चर्चा थी कि कार्यकर्ता लड़ाईयां मोल ले और ये बड़े लीडर यहां से वहां और वहां से यहां अपनी सहूलत अनुसार…। उनके द्वारा की जा रही चर्चाओं में वापिस आए का क्या शानदार सम्मान होता है की चर्चा भी रही।
और उस पर भी उक्त दृश्य ने चर्चा को नया रंग दे डाला। इसीलिए तो कहा गया है कि राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर कोई किसी का स्थायी दोस्त नहीं और न ही दुश्मन। यहां परिस्थितियां नहीं बल्कि राजनीतिक स्वार्थ तय करता है कि किसके साथ कैसा व्यवहार किया जाना है और किस समय उसे अपनी जरुरत के लिए प्रयोग में लाकर दूध से बाल की तरह निकाल कर फेंकना है। इतना ही नहीं बैठक के बाद हमारी टीम ने राजा वडिंग से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि प्रताप बाजवा जी बाइट देंगे। शायद वह जानते थे कि मीडिया उनसे अरोड़ा से संबंधित सवाल जरुर पूछेगा और वह इसका शायद जवाब न दे पाएं। लेकिन दूसरी तरफ बाजवा भी इस सवाल का गोलमोल जवाब दिया तथा जब उनसे पूछा गया कि आज डा. राज को गद्दार बोला जा रहा है तो क्या कल को जब वह वापिस आ जाएंगे तो क्या उन्हें भी इसी प्रकार मंच पर आसीन किया जाएगा तो उन्होंने कहा कि डा. राज की बात और है, उनके लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं है।