वर्करों को पकौड़े और नेताओं को शाही दावत, अरोड़ा की मेहमानवाजी के दूर-दूर तक चर्चे

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। यह बात तो सभी जानते हैं कि पूर्व कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा अपनी मेहमानवाजी के लिए जाने जाते हैं और जहां उन्हें प्रतिष्ठा का सवाल लगता है वह खर्च की भी परवाह नहीं करते तथा इसीलिए कई कांग्रेसी उनके भाजपा में जाने से निराशा के आलम में दिन काटने को विवश हो गए थे तथा जैसे ही कांग्रेस में वापस लौटे उनके चेहरे पर भी रौनक लौट आई कि उन्हें लीड करने वाला नेता मिल गया। अरोड़ा की मेहमानवाजी का ताजा उदाहरण आज उस समय देखने को मिला जब होशियारपुर में हलका चब्बेवाल के उपचुनाव को लेकर हलके के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की बैठक रखी गई थी और बैठक के बाद मंच पर विराजमान बड़े नेताओं की मेहमानवाजी अरोड़ा ने अपने जिम्मे ले रखी थी। हालांकि कार्यक्रताओं में जोश भरने का दावा करने वाले नेता हाल में रुककर उनके साथ चाय पकौड़ा का स्वाद भी चखते, लेकिन शाही दावत के आगे शायद पकौड़े किसी स्तर पर नहीं आते।

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इसीलिए उन्होंने फोटोशूट के बाद वहां से निकल जाना ही बेहतर समझा। नेताओं को शाही दावत और कार्यकर्ताओं को दोपहर के खाने के समय चाय पकौड़ों का लंगर खासा चर्चा में रहा तथा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में इस बात की भी चर्चा रही कि हलके में जमीनी स्तर पर मेहनत वो करें, विपक्षी पार्टियों से दुश्मनी वो मोल लें और नेताओं के पास उनके पास भी खड़े होने का समय नहीं है तथा उन्हें छोड़ शाही दावतों का रुख चुनाव परिणाम पर प्रभाव जरुर डालेगा। 2027 में पंजाब में सरकार बनाने के दावे करने वाले नेताओं का हाल यह रहा कि बैठक में कार्यक्रताओं को पार्टी की रीढ़ बताने वाले नेता बैठक समाप्त होते ही चाहवान कार्यकर्ताओं के साथ फोटोशूट करवाकर यूं गायब हुए जैसे…। मंच से घोषणा की गई कि कार्यकर्ता जाएं नहीं बल्कि उनके लिए पीछे हाल में ही चाय पकौड़ों की व्यवस्था की गई है। लेकिन यह नहीं बताया गया कि नेताओं के लिए क्या व्यवस्था है। वो शायद इसलिए नहीं बताया गया होगा। क्योंकि, सुबह करीब 11 बजे शुरु हुई बैठक बाद दोपहर करीब 2 बजे संपन्न हुई। उपचुनाव के मद्देनज़र बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी और कार्यकर्ताओं को जीत के मंत्र देते नेताओं के गले तक सूख गए, हालांकि पानी की व्यवस्था थी, जो हाल के एक कोने में थी। आपके कारण हम हैं के वाक्य दोहराने वाले नेता मंच से कार्यकर्ताओं में इस प्रकार जोश भर रहे थे कि जैसे आज जीत का प्रमाणपत्र लेकर जी जाएंगे। लेकिन नेता भूल गए कि दोपहर के खाने का समय हो गया था और वह चाय पकौड़ों से कार्यकर्ता जो दूर दराज से आए थे अपना पेट कैसे भरते।

खैर पकौड़ों को गेड़ा तो अधिकतर ने काफी दिया, लेकिन जैसे ही शाही खाने के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए पकौड़ों का स्वाद किरकिरा सा होने लगा। चर्चा होने लगी कि गरीबों के घर से चलने वाली कांग्रेस आज शाही महलों की चकाचौंध में कहीं खो चुकी है और अमीरों की शान बन चुकी है। इसीलिए शायद गरीबों की कांग्रेस व टकसाली कांग्रेसी चाय पकौड़ों तक ही सीमित रह चुके हैं। ऐसे में मुंगेली लाल के सपने देखने व दिखाने वाले नेता कौन सी कांग्रेस की बात करते हैं, इसकी परिभाषा उन्हें जरुर बतानी चाहिए। शाही दावत और चय पकौड़ों का लंगर चब्बेवाल हलके के उपचुनाव पर क्या असर डालेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन इतना जरुर है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं का पूरा ध्यान इस सीट पर सबसे अधिक केन्द्रित लग रहा है तथा इसी के चलते आज पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं ने होशियारपुर का रुख किया। एक बात और कि जब अरोड़ा भाजपा में गए थे तो वहां भी कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल गए थे। कारण तो आप जनते ही हैं…

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