होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। अधिकारियों द्वारा नेताओं की चापलूसी के कई किस्से अकसर ही सुनने व देखने को मिलते रहते हैं लेकिन होशियारपुर के शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कमाल तो देखिए कि उनके द्वारा जिला स्तरीय खेल टूर्नामैंट में हलका विधायक को बुलाया जाना भी जरुरी नहीं समझा गया तथा यहां तक कि टूर्नामैंट की चेयरमैन जिलाधीश तक को निमंत्रण दिया जाना भी विभाग अधिकारियों को गवारा न हुआ। अधिकारी वर्ग द्वारा कैबिनेट मंत्री डा. रवजोत को बुलाकर ही अपने फर्ज की इतिश्री किए जाने के चलते आलम यह हुआ कि न मंत्री आए और उनके न आने पर अधिकारियों द्वारा जिलाधीश को खड़े पैर निमंत्रण देने हेतु जब एक अधिकारी गया तो उसके व्यवहार के कारण जिलाधीश भी वहां नहीं पहुंचे। क्योंकि कार्यक्रम की पहले से सूचना न होने के कारण जिलाधीश के शैड्यूल में यह कार्यक्रम था ही नहीं तथा वैसे चब्बेवाल उपचुनाव के चलते जिलाधीश ही नहीं बल्कि चुनाव ड्यूटी में लगा सारा अमला ही बहुत व्यस्त होता है तथा ऐसे में खड़े पैर आना उनके लिए भी संभव ही नहीं था।
अब यह तो अधिकारियों को चाहिए था कि वह कम से कम जिलाधीश को तो पहले से निमंत्रण देते तथा उनके दिशानिर्देशों एवं आगुवाई में यह कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करके इसे अमली जामा पहनाया जाता। लेकिन एलीमैंट्री अधिकारियों द्वारा ……. के चक्कर में सिर्फ मंत्री को ही निमंत्रण दिया गया और सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार उनके कार्यालय की तरफ से भी कंफर्म किया जाना जरुरी नहीं समझा गया कि मंत्री जी का शैड्यूल टाइट होने के कारण वह नहीं आ पाएंगे। ऐसे में पहले बच्चे मंत्री का और बाद में जिलाधीश के आने का समाचार पाकर इंतजार में बैठे रहे व खेल मुकाबले देरी से शुरु हो पाए। और तो और हलका विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा को भी आमंत्रित किया जाना जरुरी समझा गया, हालांकि जिले टूर्नामैंट उनके हलके में पड़ते आउटडोर स्टेडियम में करवाया जा रहा है।
मौके पर हुई जगहंसाई से बचने के लिए अधिकारियों ने मौके पर कोई जुगत भिड़ाते हुए किसी को मिन्नते करके विधायक ब्रमशंकर जिम्पा को खेल मैदान में लेकर आने के लिए कहा ताकि बच्चों को आशीर्वाद मिल सके एवं उनकी हौंसला अफजाई हो सके। जिम्पा ने पहले तो व्यस्त होने की बात करते हुए आने से मना कर दिया था लेकिन जब उन्हें सारा मामला पता चला तो उन्होंने बच्चों के चेहरे पर हंसी देखने और उनको उत्साहित करने के लिए समय निकालने का फैसला किया और वह दोपहर करीब 2 बजे स्टेडियम पहुंचे। बच्चों को खेलता देख उन्होंने जहां प्रसन्नता जाहिर की वहीं उन्हें इस बात का भी दुख था कि उनके हलके में शिक्षा विभाग द्वारा इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है और उन्हें इसकी सूचना दी जानी भी जरुरी नहीं समझी गई।
आपको बता दें कि जिला टूर्नामैंट के लिए कुछेक अध्यापकों द्वारा कड़ी मेहनत से बच्चों को मार्च पास्ट की तैयारी करवाई गई थी और बच्चे बहुत ही सुन्दर ढंग से मार्च पास्ट के लिए पूरी तैयारी कसे बैठे हुए थे और उनके चेहरे की रौनक बता रही थी कि वह इस सब के लिए कितने उत्साहित और प्रसन्न हैं। क्योंकि मार्च पास्ट जैसी गतिविधियों को अकसर ही बच्चे बड़े टूर्नामैंट में ही देखते हैं और शायद यह पहली बार हुआ होगा कि खेल मुकाबलों से पहले मुख्य मेहमान के स्वागत में बच्चे मार्च पास्ट करते हुए मंच के आगे से गुजरेंगे। लेकिन उनकी सारी तैयारी धरी की धरी रह गई और यह सारा मामला सिर्फ और सिर्फ मनमर्जी व ओवर कानफिडेंस के चलते गड़बड़ा गया। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन इतनी बड़ी लापरवाही एवं गैरजिम्मेदाराना रवैये को लेकर क्या रुख अख्तियार करता है। करीब चार दिन चलने वाले इस टूर्नामैंट में मात्र शुरुआत में ही खलल नहीं पड़ा बल्कि 22 अक्टूबर को स्कूलों में पीटीएम होने के कारण बच्चों का एक दिन और खराब हो गया तथा खेल की तैयारी किए बैठे बच्चों को एक दिन खेल से वंचित रहना पड़ेगा, जिससे उनकी परफार्मैंस पर प्रभाव पड़ना स्वभाविक है।
ऐसे में सवाल यह है कि जब अधिकारियों को पता था कि 21 अक्टूबर से टूर्नामैंट शुरु हो रहा है तो फिर इस दौरान पीटीएम जैसे महत्वपूर्ण कार्य इसके बाद भी रखे जा सकते थे या फिर जो स्कूल इसमें भाग ले रहे हैं उन्हें इससे छूट दी जा सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। जिससे कहीं न कहीं साफ हो जाता है कि यह टूर्नामैंट सिर्फ दिखावे और ड्यूटी पूरी करने के लिए ही करवाया जा रहा है, किसी को भी अच्छे खिलाड़ी पैदा करने की ललक नहीं है खासकर अधिकारी वर्ग को। ऐसी कमियों के कारण ही शायद पंजाब खेल जगत में वह मुकाम हासिल नहीं कर पा रहा, जो उसे करना चाहिए।