शरीर हमारे आंतरिक विचारों और भावनाओं का आईना हैः मित्तल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़): संजीवनी शरणम में संगीता मित्तल के मार्गदर्शन में 10 नवंबर रविवार को एक विशेष ध्यान सत्र आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य स्वयं की पहचान, अपने चक्रों को हील करना और वाइब्रेशन को बढ़ाना था। श्रीमती मित्तल, जो अमृतम की संस्थापक, रेकी ग्रैंड मास्टर, और काउंसलर हैं, समय-समय पर ध्यान सत्रों और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के माध्यम से सभी को जीवन में शांति और सकारात्मकता बनाए रखने के तरीके सिखाती रहती हैं।

Advertisements

संगीता मित्तल के सान्निध्य में ध्यानियों ने अनुभव की आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा

ध्यान सत्र में शहर के 70 से अधिक ध्यानियों ने भाग लिया, जिनमें अमृतम के प्रतिभागी, शरणम के सदस्य और हीलर्स शामिल थे। सत्र के दौरान, श्रीमती मित्तल ने ध्यान के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि हमारा शरीर नर्वस सिस्टम से बना है, जिसमें 72,000 नाड़ियाँ कार्यरत हैं। हमारे शरीर में प्रत्येक न्यूरो और नाड़ी में प्राण प्रवाहित होता है, और यदि किसी नाड़ी में प्राण का प्रवाह रुक जाए, तो हम चिंता, विचलन, उच्च रक्तचाप, और अन्य शारीरिक समस्याओं का अनुभव करते हैं। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं का समाधान हमारे भीतर ही है, और यदि हम अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानें तो बाहरी हीलिंग्स की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए नर्वस सिस्टम का सही तरीके से काम करना बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने बताया कि इसका सरल उपाय नियमित ध्यान है, जो हमें शांत करता है। ध्यान के माध्यम से हम अपनी नकारात्मकताओं और दोषों को दूर कर सकते हैं और अपने विचारों को शुद्ध कर सकते हैं। यह वे विचार हैं जो हम प्रतिदिन बनाते हैं, अपने आसपास के लोगों और समाज को देखकर हम अपने विचारों और मन को नियंत्रित नहीं कर सकते, परंतु उन्हें सही मार्ग पर ले जा सकते हैं और देख सकते हैं। उन्होंने बताया हमारा शरीर ही एक ऐसा आईना है, जो हमारे आंतरिक विचारों और भावनाओं का प्रतिबिंब दिखाता है।

ध्यान पर चर्चा के बाद, सभी ने श्रीमती मित्तल के निर्देशानुसार ‘ओम’ के उच्चारण के साथ ध्यान की शुरुआत की। इसके बाद सभी ने चक्र मेडिटेशन किया, जिसमें चक्रों के मंत्रों का उच्चारण करते हुए ध्यान लगाया गया। श्रीमती मित्तल जी ने हार्ट चक्र और थ्रोट चक्र के महत्व को समझाया और मंत्रों का उच्चारण कराते हुए मेडिटेशन करवाया। उन्होंने बताया कि यदि हम अपने चक्रों को मंत्रों का उच्चारण करते हुए हील करें तो हम अधिक खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को चक्रा मंत्र की जानकारी नहीं है, तो वे ‘ओम’ का उच्चारण के साथ भी अपने चक्रास को हील कर सकते है।

ध्यान सत्र के उपरांत, श्रीमती मित्तल ने ध्यानियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया। ध्यान सत्र में भाग लेने वाले ध्यानियों ने बताया कि उन्हें श्रीमती मित्तल के सान्निध्य में ध्यान करते हुए अत्यधिक आनंद और आंतरिक शांति का अनुभव हुआ। उन्होंने कहा कि मैडम ने बहुत ही सरल शब्दों में गाइडेड मेडिटेशन करवाया, जिससे उन्हें सकारात्मक ऊर्जा महसूस हुईं और आंतरिक शांति का अनुभव हुआ।

अंत में, सभी ने संजीवनी शरणम के खुले हरे-भरे वातावरण में ताजगीपूर्ण रिफ्रेशमेंट का आनंद लिया। इस ध्यान सत्र ने सभी के जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here