कांग्रेस को भारी न पड़ जाए संतोष चौधरी की नाराजगी, आज़ाद लडऩे की संभावना

देश के साथ-साथ होशियारपुर में भी इन दिनों चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही हैं। हालांकि भाजपा द्वारा उम्मीदवार की घोषणा न किए जाने से अभी तक कांग्रेस का पलड़ा पूरी तरह से भारी दिखाई दे रहा है, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और लोकसभा हल्के की बात करें तो यहां से 6 से अधिक कांग्रेस के विधायक हैं और इनमें एक विधायक सरकार में मंत्री पद पर भी तैनात हैं। ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने का लाभ प्रत्याशी को मिलना तय है, मगर पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री संतोष चौधरी को टिकट न दिए जाने के दर्द के चलते कहीं न कहीं उनके समर्थकों में एक दर्द तीर की तरह उनके सीने में छुभा हुआ है तथा वे मैडम संतोष चौधरी को जोर लगा रहे हैं कि वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डट जाएं। परन्तु मैडम द्वारा अभी तक इसे लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, मगर सूत्रों की माने तो अगर समय रहते कांग्रेस पार्टी ने उन्हें न मनाया तो आजाद प्रत्याशी के तौर पर वे नामांकन पत्र दखिल कर सकती हैं की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि समर्थकों के दवाब के आगे उन्हें झुकने को मजबूर होना पड़ सकता है।

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार लोकसभा हल्के में पड़ते तमाम विधानसभा हल्कों से संतोष चौधरी के समर्थक उन्हें आजाद तौर से चुनाव मैदान में कूदने की हल्लाशेरी दे रहे हैं और जीत का आश्वासन देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कई नेता मैडम संतोष चौधरी को निराधर बताकर उनकी अनदेखी करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी की जीत को बेहद आसान बता रहे हैं। मगर वह पिछले लोकसभा चुनाव का परिणाम देखना शायद जरुरी नहीं समझ रहे, क्योंकि पिछले चुनाव में भी कांग्रेस ने संतोष चौधरी को टिकट न देकर महिंदर सिंह के.पी. को टिकट दिया था और वे भाजपा के विजय सांपला से बड़े अंतर से हार गए थे। उस दौरान भी कांग्रेसियों द्वारा मैडम संतोष चौधरी को साथ लेकर चलने की जहमत नहीं उठाई गई थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके साथ जो नेता चल रहे हैं उनके प्रभाव से वोट मिल जाएंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ और कहीं न कहीं संतोष चौधरी को टिकट न दिए जाने से हताश उनके समर्थकों द्वारा कांग्रेस के पक्ष में न तो प्रचार में जोरशोर से हिस्सा लिया गया और न ही पार्टी को वोट डलवाने हेतु उन्होंने अधिक मेहनत की। जिसका परिणाम यह रहा कि के.पी. की हार में कहीं न कहीं संतोष चौधरी का फैक्टर जरुर रहा।

वर्तमान समय में भी जहां संतोष चौधरी को पार्टी द्वारा टिकट दिए जाने की बात सामने आ रही थी तथा टिकट दिए जाने की आस में संतोष चौधरी पिछले लंबे समय से अपने हल्के के लोगों के साथ सम्पर्क बनाए हुए थी। गत दिवस जैसे ही पार्टी ने हल्का चब्बेवाल के विधायक डा. राज कुमार को लोकसभा का टिकट दिए जाने की घोषणा की उसी दिन से संतोष चौधरी एवं उनके समर्थकों में गुस्से की लहर दौड़ गई थी, जो अभी तक शांत होती दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि सूत्रों की माने तो पार्टी द्वारा उन्हें सम्मानित पद दिए जाने की बात कही जा रही है, परन्तु बार-बार अनदेखी किए का दर्द समर्थकों के लिए असहनीय बना हुआ है। जिसका पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है।

भले ही कांग्रेस द्वारा एक मजबूत और जनता के चहेतों में से एक गिने जाने वाले उम्मीदवार डा. राज कुमार को टिकट दिया गया है और उनकी प्रचार मुहिम को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि समस्त कांग्रेसी विधायक, जिला कार्यकारिणी और कांग्रेस की तमाम कमेटियां व सैल आदि उनके पक्ष में प्रचार में जुट चुके हैं। सूत्रों के अनुसार डा. राज का पलड़ा पूरी तरह से भारी प्रतीत हो रहा है। मगर चुनाव प्रचार के दौरान मैडम संतोष चौधरी की नाराजगी को लेकर उठ रहे तरह-तरह के सवालों के बीच उनके आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की अटकलों ने सभी की धडक़न बढ़ाई हुई है। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में संतोष चौधरी आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में होंगी या डा. राज के पक्ष में उनके साथ चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगी। अगर ऐसा होता है तो चुनाव परिणाम अचंभित कर देने वाले होंगे।

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