मानवता कल्याण के लिए हमेशा कुर्बानियां देते आये हैं महापुरुष: माता सुभद्रा देवी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: पुष्पिंदर। संत निरंकारी भवन अस्लामाबाद में मुखी सुभद्रा देवी जी की रहनुमाई में मानव एकता दिवस मनाया गया। सदगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के आदेशानुसार पूरे विश्व में मानव एकता दिवस आयोजित किया गया। इस दिन सतगुरु बाबा गुरबचन सिंह महाराज और बलिदानी महापुरुषों की मानवता के लिए दी कुबार्नी को याद किया जाता है और उनके भक्ति भरे जीवन से प्रेरणा ली जाती है। सुभद्रा देवी जी ने अपने विचारों में बताया कि रब्बी महापुरुष हमेशा ही मानवता के कल्याण के लिए अपनी कुर्बानियां देते आये है।

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इसी लड़ी में बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज व अन्य महापुरूषो ने अपने जीवन का बलिदान दिया। उनका जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित था। अंधकार और बहम भ्रमों में ठोकरें खा रहे इंसान को उन्होंने ज्ञान की रोशनी देकर जीवन में चलना और जीना सिखाया। परमात्मा का ज्ञान देकर जहां उन्होंने आत्मा का कल्याण किया वहीं जीवन जीने की कला भी सिखाई। आज के इंसान ने अपने आप को जात, धर्म और राष्ट्र, भाषाओं, पहिरावे जैसी दीवारों में अपने आप को समेट कर रखा हुआ है। पर रब्बी महापुरूषों ने ऐसे इंसानों को समझाया कि परमात्मा एक है और इसके बनाये हुए सारे इंसान इसकी ही संतान है। सभी में एक ही परमात्मा का नूर मौजूद है।

एक परमात्मा की जानकारी न होने के कारण इंसान अपने आप को दूसरे से अलग समझता है। पर रब्बी महापुरूषों ने इस परमात्मा का ज्ञान बांटकर जब आत्मा का नाता परमात्मा से जोड़ा तो फिर वो सभी दीवारें खत्म हो गई और इंसान के मन में दूसरे के लिए प्यार और सत्कार की भावना पैदा हुई। मिशन का नारा भी ये ही है कि एक को जानो एक को मानो, एक हो जाओ। महापुरूषों ने हमेशा ही दुनिया में प्यार, अमन, शांति, भाईचारा जैसी भावनाओं को मजबूत करने के प्रयास किये हैं। बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज इन पहलुओं को और मजबूत करते गये। इसके अलावा इंसान का ग्रहस्थी जीवन सुंदर हो इस लिए उन्होंने अपने गुरु सिक्खों को नशे से परहेज करने के कहा और विवाह शादियां साधारण ढंग व बिना किसी फालतू खर्च के करने का आदेश दिया ताकि धन का प्रयोग मानवता के कल्याण के लिए की जा सके, वो एक समाज सुधारक थे। इनके अलावा इस मौके पर चाचा प्रताप सिंह और अन्य बलिदानी महापुरुषों के समर्पित जीवन को भी याद किया गया।

इस मौके पर क्षेत्रीय संचालक महात्मा सरुप सिंह जी, संचालक बाल कृष्ण जी, दविंदर बोहरा जी, बख्शी सिंह, सिमरत कौर, रीना, पंकज, जसवीर सिंह, निर्मल दास पटवारी जी, योगराज, सतवीर सिंह, कैप्टन हरी राम, गिरधारी लाल, बहन सुशील, सिमरत पाल के अलावा भारी संख्या में संगत मौजूद थी। संचालक भाई साहिब बाल किशन जी ने आई हुई संगत का स्वागत व धन्यवाद किया।

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