भगवान श्री कृष्ण की अन्नय भक्त थी मीरा बाई, चरित्र से मिलती है भक्ति की शिक्षा: गौरदास

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री हिन्दू गौरक्षिणी सभा के तत्वाधान में श्री केशो मंदिर नई अबादी होशियारपुर में शाम 7 बजे से चल रही संगीतमयी श्री भक्तमाल कथा में वृदांवन से पधारे परम श्रद्धेय श्री गौरदास जी महाराज ने आज श्री माराबाई जी के चरित्र की अनुपम व्याख्या करते हुए बताया कि जब मीरा बाई जी बड़ी हो गई थी तो उनके विवाह की बात मेवाड के युवराज भोजराज से बात चल रही थी, तो मीरा जी भगवान कृष्ण के सामने रो रही थी, तो इतने में भोजराज जयमल के साथ उसी मंदिर में आए और उन्होंने भगवान कृष्ण के सामने अपनी दोनों भुजाए उठाकर प्रतिज्ञा की कि यदि मेरे इस शरीर का आपके शरीर के साथ विवाह होता है तो आपकी मर्जी (इच्छा) के बिना में आपके शरीर को हाथ नही लगाउंगा।

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ये कहकर, भोजराज अपने डेरे में जाकर लेट गया। तब मीराबाई जी श्याम सुंदर से निवेदन करने लगी, प्रभु मैं तो आपकी हो चुकी हूं। अब यदि आपकी इच्छा ये है कि इस शरीर की रक्षा हेतु किसी पुरुष का सहारा चाहिए तो जैसी आपकी इच्छा, क्योंकि संसार में स्त्री को बचपन में पिता के सानिध्य में, जवानी में पति के साथ और बुढ़ापे में पुत्रों के सहारे की अवश्यकता होती है।

महाराज श्री द्वारा गाये भजन… आओ मेरी सखी, मुझे मेंहदी लगा दो… पर मनमोहन, गोपाल, विजय, जगमोहन, पूर्व सांसद संतोष चौधरी, सुशील जैन प्रेम में मग्नहोकर नृत्य कर रहे थे। कथा उपरांत भंडारा भी लगाया गया।

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