होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सरकार द्वारा एक तरफ जहां पढ़े-लिखे बच्चों को रोजगार के काबिल बनाने के लिए कई प्रकल्प चलाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ विद्यार्थियों को उद्योगों के काबिल बनाने वाली आई.टी.आई. की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिसके चलते विद्यार्थियों का भविष्य जहां अधकार में नजर आ रहा है वहीं उनकी जान के लिए भी कई प्रकार के खतरे बने हुए हैं।
होशियारपुर जालंधर रोड स्थित आई.टी.आई. की बात की जाए तो वहां पर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के साथ तो खिलवाड़ हो ही रहा है वहीं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने दौरान उनकी जान के लिए भी कई प्रकार के खतरे बने हुए हैं। प्राप्त जानारी अनुसार आई.टी.आई. में बनाए गए शौचालयों की उचित सफाई व्यवस्था न होने के कारण बहुत बुरी हालत है, जोकि कई प्रकार की बीमारियों की जन्म स्थली बने हुए हैं। शौचालयों में न तो पानी का प्रबंध है तथा न ही सफाई का। इतना ही नहीं रोशनी एवं दरवाजों की भी व्यवस्था न होने से विद्यार्थियों का शौचालय जाना दूभर बना हुआ है। इसके अलावा आई.टी.आई. में स्थित एक वर्कशाप जहां पर बड़ी-बड़ी मशीनें लगाई गई हैं की छत की टीनें टूटी होने के कारण जरा सी बारिश के कारण पानी अंदर जमा हो जाता है, जोकि सफाई व्यवस्था न होने के कारण कई दिनों तक अंदर ही जमा रहता है।
जोकि मच्छरों की जन्म स्थली बनता है व विद्यार्थियों पर मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारी का खतरा रहता है। इसके अलावा बीजली का करंट दौडऩे की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि वर्कशाप में सारी फिटिंग अंडरग्रांउड ही, मगर पानी खड़ा रहने के कारण हादसे का डर बना रहता है। ऐसा नहीं है कि आई.टी.आई. प्रबंधकों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता, परन्तु फंड की कमी के कारण सस्थान बुरी तरह से अव्यवस्थाओं से ग्रस्त है।
इस संबंधी बात करने पर कालेज के प्रिंसिपल विजेन्द्र धवन ने बताया कि कालेज द्वारा शौचालयों एवं वर्कशाप की मरम्मत के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जा चुका है तथा फंड की कमी के कारण कार्य नहीं करवाया जा रहा। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद से कुलैक्शन करके मरम्मत का थोड़ा बहुत काम करवाया था। उन्होंने बताया कि आई.टी.आई. में मरम्मत एवं इमारत से जुड़े अन्य कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा करवाए जाते हैं तथा उनका यह प्रयास है कि वे विभाग की मंजूरी से जरुरी कार्य अपने स्तर पर करवाने के प्रयास करेंगे ताकि विद्यार्थियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।