अवैध खनन…? “फूल संग हाथ” विजय रथ पर सवार “राजू बन गया जैनटलमैन”

mining at hoshiarpur

होशियारपुर के कंडी इलाके में पड़ते गांव डाडा में हुई अवैध माइनिंग का मामला कुछ इस प्रकार से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, जैसे अधिकारी वर्ग ने ठंड से शर्त लगा रखी हो कि ज्यादा ठंडा कौन है। इस मामले से जोडक़र देखा जा रहा एक फिकरा इन दिनों काफी चर्चा का विषय बना हुआ है और वे है “विजय का हाथ” फूल वाले रथ पर सवार “राजू” बन गया जैनटलमैन, न मैं बोलूं न तूं बोले- तुम बोले तो देख लेना, हम-तुम साथ में फंसेगे। जितनी चर्चा इस मामले की हो रही है शायद ही कभी किसी मामले की हुई हो। इसका कारण एक तो इसलिए भी साफ है क्योंकि जनता के सामने एक दूसरे के राजनीतिक तौर पर कट्टड दुश्मन का नाटक करने वाले नेता आपस में मिलकर कैसे खिचड़ी पकाते हैं इसकी पोल खुलने से सच सबके सामने है तथा दूसरा इसलिए भी इसे चर्चित किया जा रहा है क्योंकि, फूल वाले नेता जी के अंदरखाते चल रहे घालमेल का सच भी उजागर हो रहा है कि किस प्रकार विपक्षी नेताओं के आशीर्वाद से धरती का सीना छननी करके तिजोरियां भरी जा रही हैं।

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कुछ दिन पहले ही इस मामले से जुड़े कुछ तथ्यों को उजागर करते हुए एक समाचारपत्र द्वारा भी बताया गया था कि किस प्रकार फूल और हाथ का साथ मिलने से राजू बन गया जैनटलमैन। इसी मामले से जुड़े कुछ अन्य रोचक तथ्य आपके सामने रखने जा रहे हैं। इस मामले में एक तरफ जहां कांग्रेसी नेता ने गहनता से जांच की बात कही व मीडिया से मिलीभगत करने वालों के नाम मांग लिए थे, जबकि यह बातें अधिकारिक व पुलिस की जांच में खुद-ब-खुद साफ हो जाता। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के एक नेता ने समाचार प्रकाश में आने उपरांत इसकी जांच की मांग करते हुए यहां तक कह डाला कि इस बात की भी जांच हो कि मिट्टी कहां डाली गई। यानि कि दोनों नेताओं के बयान से लगता है कि कहीं न कहीं किसी खास को बचाने के लिए बयान घड़े जा रहे हैं ताकि जनता गुमराह होती रहे।

लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

इतना ही नहीं भगत सिंह की सोच पर चलने और ईमानदारी व देश भक्ति की बातें करने वाले कुछेक अधिकारियों द्वारा इस मामले में की गई कार्यवाही भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि, भले ही माइनिंग अधिकारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार जमीन के मालिकों पर फर्द के हिसाब से मामला दर्ज कर लिया गया हो, परन्तु करीब एक माह बीतने उपरांत भी इस मामले में जांच के नाम पर खानापूर्ति भी की जानी जरुरी नहीं समझी गई। पुलिस ने अभी तक यह भी पता नहीं किया कि वहां पर किसकी मशीनरी लगी थी और किसकी इजाजत से माइनिंग की जा रही थी। लेकिन एफ.आई.आ. दर्ज किए जाने की बात कहते हुए जांच जारी है का रटा रटाया राग लगापा जा रहा है। एक बात तो साफ है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि दाल पूरी तरह से काली है तथा कहीं न कहीं कांग्रेस और भाजपा से जुड़े कुछेक नेताओं की मिलीभगत से लंबे समय से चल रहे अवैध खनन के तार एक दूसरे से जुड़े होने के कारण कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं। अगर दोनों पक्षों के बड़े नेता इस मामले की गहनता से जांच की मांग कर रहे हैं तो फिर इसे ठंडे बस्ते में क्यों डाला जा रहा है। सवाल यह है कि क्या बयानबाजी सिर्फ दिखावे के लिए किए जा रहे हैं या पुलिस व इस मामले से जुड़े अधिकारियों पर मामला ठंडे बस्ते में डालने के दवाब के चलते जांच आगे नहीं बढ़ पाई या फिर अधिकारी नहीं चाहते कि इस मामले में कोई तथ्य सामने आएं, क्योंकि अगर मामले की जांच गहनता एवं पूरी तरह से ईमानदारी से हो जाती है तो इससे जुड़े कई अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

होशियारपुर में नैशनल हाई-वे निकाले दौरान हुए हाई प्रोफाइल लैंड स्कैंडल की तरह ही इस मामले में भी कुछेक बड़े तार जुड़े होने के कारण इस पर लीपापोती की जा रही है ताकि जनता के समक्ष ईमानदारी और मेहनती का मखौटा पहनकर आने वाले नेताओं का सच उजागर न हो जाए।

“द स्टैलर न्यूज़” द्वारा अवैध खनन का मामला प्रमुखता से उजागर किए जाने उपरांत कुछ दिन तो इसकी तपिश देखने को मिली तथा इसका एक असर यह हुआ कि उस दिन से खनन पूरी तरह से बंद है तथा इससे ऐसा लगता है कि कुछ समय के लिए धरती मां ने चैन की सांस ली होगी। लेकिन धरती मां का चीर हरण करने वालों पर कार्यवाही के स्थान पर खानापूर्ति किए जाने को लेकर कहीं न कहीं मां की दिल दुखी जरुर होता होगा। सूत्रों की मानें तो इस मामले से जुड़े भाजपा एवं कांग्रेसी नेताओं के तार खुलने से दोनों पार्टियों के कई कार्यकर्ता मायूसी के आलम से गुजर रहे हैं। क्योंकि, उनका मत है कि हमें एक दूसरे पर कटाक्ष एवं छींटाकशी के लिए रखा हुआ है और नेता दुध से मलाई किस प्रकार खा रहे हैं की भनक किसी को नहीं। अब चर्चा यह है कि गेंद अधिकारियों के पाले में होने के बावजूद भी जांच आगे नहीं बढ़ी तथा मामले में जिन लोगों पर मामला दर्ज हुआ उनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अन्य राज्यों एवं विदेश में रहते हैं तथा जो जमीन पर काबिज है उससे यह पूछना भी जरुरी नहीं समझा गया कि आखिर उसने खनन की इजाजत किसे दी थी और इसकी एवज में उसने किसने धन की प्राप्ति की।

अगर जांच अधिकारी इतना ही कदम उठा ले तो कई परतें खुलकर जनता के समक्ष होंगी। परन्तु शायद कोई इतनी जहनत उठाना ही नहीं चाहता। जिसके चलते इस मामले से जुड़े लोग इसके ठंडा होने के इंतजार में हैं और सूत्रों के अनुसार इधर-उधर की गई मशीनरी को पुन: खनन के लिए तैयार किए जाने की तैयारियां भी शुरु कर दी गई हैं। सुनने में आया है कि इस मामले से जुड़े भाजपा के एक नेता जी ने तो यहां तक कह दिया है कि कोई अगर यह साबित कर दे कि मशीनरी उसकी थी या उसने खनन करवाया है तो… तथा दूसरी तरफ भाजपा नेता को शह व साथ देने वाले कांग्रेसी नेता का कहना है कि घबराओ नहीं कुछ नहीं होगा, हम हैं न तो तीसरा जिसकी मशीनरी ने धरती का सीना छननी किया उसकी आवाज़ है कि अगर उसका नाम आता है तो सबके नाम उजागर हो जाएंगे, न काम करुंगा और करने दूंगा।

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