मोहल्ला कच्चे क्वार्टर में बही शिव नाम की गंगा, साध्वी रुक्मणि के भजनों पर खूब झूमे भक्त

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू/जतिंदर प्रिंस। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश महासचिव ठाकुर लक्की सिंह की तरफ से श्री महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में एक शाम भोले के नाम कार्यक्रम का आयोजन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सहयोग से पार्क शिव मंदिर कच्चे क्वार्टर में करवाया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी शिष्या साध्वी सुश्री रूक्मणी भारती जी ने भोले नाथ की महिमा का गुणगान किया।

Advertisements

उन्होंने कहा कि नशा जीवन के विनाश का छोटा सा मार्ग है, जिस प्रकार हम किसी वृक्ष पर चढ़ती एक नन्ही-सी अमरबेल को देखें, उसमें हमें कोई समस्या नजर नहीं आती परन्तु कुछ समय के बाद वह अमरबेल विशाल वृक्ष के अस्तित्व को समूल खत्म करके रख देती है। इसी तरह शराब भी धीरे-धीरे अपनी जकडऩ हम पर कसती है। घुन की तरह जीवन रसों को चूसती चली जाती है। जीवन एक ठूँठ बनकर रह जाता है और समाज केवल एक सूखा जंगल। आज अपराध जगत के जितने भी रूप है-हत्याएं, दुर्घटनाएं, झगड़े, दंगे व भ्रष्टाचार आदि जिसे देख समाज भयभीत है-उनके बढ़ते आकंड़ो के पीछे कहीं न कहीं शराब की बोतल ही खड़ी है।

-भक्तों ने पाया भगवान भोलेनाथ से परिचय

डा. बूथ के अनुसार किसी भी विष ने समाज को इतना जख्मी नहीं किया है जितना कि शराब ने। इसने ज्यादा रक्त बहाया है, ज्यादा घर बिकवाए हैं, ज्यादा खलनायकों के हाथो में हथियार थमाए हैं, ज्यादा बच्चों की हत्या की है, ज्यादा विवाह बंधन तोड़े हैं, ज्यादा लोगों को दुर्घटनाग्रस्त कर उनके हाथ-पैर तुड़वाए हैं, ज्यादा विवेक को कुचला है एवं ज्यादा पुरूषत्व को खोया है, ज्यादा स्त्रीत्व की गरिमा को तार-तार किया है, ज्यादा हृदयों को तोड़ा है, बसी-बसाई बस्तियों को बर्बाद किया है, ज्यादा कब्रें खुदवाई हैं। यह वाक्य किसी विचारक के मात्र विचार या शब्द नही हैं अपितु समाज की भीषण सत्यता हैै।

इसके अतिरिक्त साध्वी जी ने कहा कि नशा आज एक महामारी की तरह फैल गया है और युवाओं में नशे का प्रयोग उनकी प्रतिष्ठा का दिखावा बन गया है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर संस्थान द्वारा ‘बोध-नशा उन्मूलन कार्यक्रम’ के अन्र्तगत लोगों को नशे के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ नशे से मुक्त भी किया जा रहा है। नशे से ग्रसित होने का मुख्य कारण है-नशीले पदार्थ पर मानसिक व शारीरिक निर्भरता। इसी निर्भरता का पूर्ण निवारण ब्रह्मज्ञान ध्यान पद्धति है। ब्रह्मज्ञान से भाव ईश्वर के प्रकाश रूप का दर्शन करना है। जो एक श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ सदगुरू द्वारा ही संभव है।

साध्वी जी ने बताया कि विश्व में शांति केवल बह्यज्ञान से आ सकती है। बह्यज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति अपने भीतर ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है। बह्यज्ञान केवल एक पूर्ण संत की शरण में जाकर ही प्राप्त हो सकता है। बह्यज्ञान का मतलब है कि ईश्वर को जान लेना। जब हर प्राणी ईश्वर का दर्शन कर लेगा तो उसका मन शांत हो जायेगा और उसके जीवन की भाग-दौड़ खत्म हो जायेगी। जब धीरे-धीरे मानव शांत हो जायेगा तो विश्व भी शांत हो जायेगा।

इस अवसर पर विशेष रूप में पहुंचे परमजीत सिंह अहुजा की धर्मपत्नी परमिंदर कौर और सभी मोहल्ला निवासियों ने मिलकर परमजीत सिंह अहुजा के जल्द स्वास्थ होने की कामना की। इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद, पार्षद सुरेश भाटिया बिट्टू सहित भाजपा कार्यकर्ता शआमिल हुए। कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया।

जिसमें मीर सिंह, राज कुमार कटारिया, रिक्की कटारिया, जतिंदर ठाकुर, आशिम अग्रवाल, मंदीप पंडेर, जिंदू सैनी, अवी वालिया, मोनु कटारिया, राकेश चावला, सरोज ठाकुर, सुषमा देवी, सुरिंदर, नीरू ग्रोवर, यशपाल शर्मा, अमित आंगरा, राम प्रकाश, गुरदेव सिंह, सोनू ठाकुर, मंजूला देवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। अंत में ठाकुर लक्की ङ्क्षसह ने परिवार सहित साध्वी जी को और उनकी सारी संत मंडली को सम्मानित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here