आर्गेनिक फर्टिलाइजऱ कंपनी में कार्यरत युवा बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हालत में रहने को मजबूर

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर के गांव अज्जोवाल में स्थित आर्गेनिक फर्टिलाइजऱ मार्किटंग कंपनी के लिए काम करते 50 से 100 युवा बंजरबाग इलाके में किराये के 3-4 घरों में बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हालत में रहने को मजबूर हो रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण लगाए गए करफ्यू के कारण इनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं। एक-एक कमरे में 8 से 10 युवा रहने को मजबूर हो रहे हैं और कभी एक तो कभी 2 बार भोजन पर निर्भर यह युवा रोजी रोटी की तलाश में अपने घरों से से दूर इस हालत में रहने को विवश ही नहीं बल्कि खुलकर बोलने को भी तैयार नहीं हैं। क्योंकि, इन्हें डर है कि अगर कंपनी ने इन्हें जवाब दे दिया तो वे कहीं के नहीं रहेंगे। गरीब एवं निम्न मध्यवर्गीय परिवारों से संबंधित इन युवाओं की हालत इतनी खराब है कि फोन तो सभी के पास हैं, पर खाना और पैसे नहीं।

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3-4 कमरों में 20 से 30 युवा रहने को मजबूर, दिन में कभी एक तो कभी दो बार मिल रहा भोजन

कोरोना वायरस के चलते जहां सोशल डिस्टेंस की बात कही जा रही है और घरों में भी इसका पालन यकीनी बनाने का आह्वान किया जा रहा है तो ऐसे में एक कमरे में 8 से 10 युवाओं के एक साथ रहने से भले ही किसी को कोरोना हो या न हो पर यह कभी भी किसी और संक्रमित बीमारी का शिकार हो सकते हैं की आशंका बनी हुई है। युवाओं की स्थिति के बारे में आज पत्रकारों को उस समय पता जब सिविल डिफेंस के कार्यकर्ता उक्त इलाके में किसी की मदद करने गए तो उन्होंने देखा कि इलाके में 3-4 घरों में 20 से 30 युवा रह रहे हैं और वो भी ऐसे समय में जब कोरोना का कहर पूरे विश्व पर छाया हुआ है तथा उनके समक्ष भूखों मरने की नौबत आई हुई है।

पंजाब, हिमाचल, यू.पी., बिहार और पश्चिम बंगाल से आए युवा करते हैं इस मार्किटंग कंपनी में काम

पत्रकारों ने मौके पर पहुंचकर युवाओं की स्थिति का जायजा लिया तो पहले तो युवाओं ने अपनी हालत बयान की मगर, जैसे ही कैमरे पर बोलने को कहा तो वे डर गए कि कहीं उनकी बातें सार्वजनिक होने पर कंपनी उन्हें जवाब न दे दे और वे कंपनी का पक्ष रखकर बात करने लगे। लेकिन उनका दर्द उनके चेहरे से साफ तौर पर बयान हो रहा था। युवाओं ने बताया कि यवे अलग-अलग घरों में रहते हैं तथा करफ्यू के कारण जिन युवाओं के घर नजदीक थे वे तो घरों को चले गए, पर दूर दराज वाले यहीं फंसे हुए हैं। दिन में कभी एक बार तो कभी दो बार ही भोजन मिल पाता है तथा इसके अलावा उनके पास न तो पर्याप्त पैसे हैं कि वे राशन आदि मंगवा सकें तथा न ही कोई ऐसी सुविधा है कि वे घर पहुंच सकें। बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हालत में रह रहे युवाओं से जब पूछा गया कि सारा सामान छत पर क्यों रखा है तो उन्होंने कहा कि नीचे सफाई कर रहे थे। उनका सामान देखकर ऐसा लग रहा था कि 3-4 कमरों वाले घर में सारे कमरे तो सामान से भर जाते होंगे तो वे रहते कैसे होंगे।

देश में निजामुद्दीन घटना के बाद से कोरोना संकट और गहरा गया। क्योंकि वहां से निकले कई लोग देश के अलग-अलग भागों में पहुंच चुके हैं, जिनकी तलाश जारी है। कई लोगों को पुलिस ने तलाश कर लिया है। परन्तु अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो पहुंच से बाहर हैं व उनकी तलाश के लिए पुलिस द्वारा कड़ी मशक्कत की जा रही है। ऐसे में अगर इस प्रकार बड़ी संख्या में एक स्थान पर रह रहे लोगों के बीच आकर कोई रहने लगे तो किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। जो मजदूर अन्य राज्यों से पैदल ही अपने राज्यों की तरफ कूच कर चुके हैं उन्हें भी रास्ते में रोका जा रहा है तथा लॉक डाउन तक जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षित जगह पर पूरी एहतियात के साथ रखे जाने का प्रबंध किया गया है ताकि कोरोना संक्रमण अपने पैर न पसार सके। लेकिन होशियारपुर शहर में इस प्रकार एक जगह पर युवाओं को बिना किसी सोशल डिस्टेंस के रहना बड़ी चुनौती को जन्म दे सकता है।

युवाओं के इंचार्ज जंगवीर सिंह इंचार्ज से बात करने पर उसने बताया कि कंपनी के मालिक दिल्ली में है और यहां पर फ्रेंचाइजीज़ आफिस है। जिसमें कई युवा मार्कटिंग का काम करते हैं। उसने बताया कि अभी तक वे अपनी जेब से युवाओं के लिए भोजन आदि का प्रबंध कर रहा है, लेकिन अब वो भी मुश्किल बनता जा रहा है। उसने कहा कि वे प्रशासन से गुहार लगाएंगे कि युवाओं को उनके घर भिजवाने का प्रबंध किया जाए या उनके भोजन की व्यवस्था की जाए।

सिविल डिफेंस से प्रमोद शर्मा ने बताया कि उन्हें जब युवाओं के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी अपने चीफ वार्डन लोकेश पुरी व पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि युवा बहुत ही दयनीय स्थिति में दिन काट रहे हैं। अब इनकी क्या मजबूरी है कि वे सच नहीं बोल रहे। परन्तु प्रशासन से अपील है कि वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए इनके खाने व जो नजदीक हैं उन्हें घर भिजवाने का प्रबंध किया जाए। इस अवसर पर पोस्ट वार्डन राकेश कुमार गुप्ता, वालंटियर्स विकास चड्ढा, राजन त्रेहन, मनू गुप्ता आदि भी मौजूद थे।

इस बारे में मकान के मालिक से जब बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंने 10 लडक़ों को मकान किराये पर दिया था, मगर इतने सारे कहां से आ गए उन्हें नहीं पता। अब लॉक डाउन के कारण वे उन्हें निकाल भी नहीं सकते।

इस बारे में जब एस.डी.एम. अमित महाजन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे इस संबंधी पता करेंगे और अगर युवा उनसे संपर्क करते हैं तो उनके खाने का प्रबंध करवाया जाएगा और घर भिजवाने का भी प्रबंध किया जाएगा।

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