कई छोटे-बड़े स्वर्णकार से कमेटियों का सोना लेकर बंगाली कारीगर फरार, चर्चाओं का बाजार गर्म

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: संदीप वर्मा। सर्राफा बाजार में सोना-चांदी के व्यापारी तो काम कर ही रहे हैं। पर इन दिनों ठेके पर सर्राफ व अन्य स्वर्णकारों का काम करने वाले बंगाली कारीगर भी काम कर रहे हैं। जिन पर हर स्वर्णकार सर्राफ का एक विश्वास बना है। पर इस तरह के 15- 20 कारीगर ही हंै। बाकी जो बंगाली कारीगर कम रेट पर कुछ स्वर्णकारों ने रखे हुए हैं वो अनाधिकृत तरीके से कारोबार में लिप्त हैं। सोना व चांदी लेकर भागने वाले कारीगरों की घटनाओं को देखते हुए भी दुकानदार ऐसे अनाधिकृत कारीगरों की वैरीफिकेशन करवाना जरुरी नहीं समझते। जिसके चलते आए दिन कोई न कोई कारीगर दुकानदारों को चपत लगाकर चंपत हो जाता है।

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ताजा मामले में होशियारपुर सर्राफा बाजार क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व पुराना पंसारिया बाजार के व्यापारी का महादेव दास नाम का बंगाली कारीगर दुकानदारों का कमेटियों का लाखों रुपए का सोना व चांदी लेकर गायब हो गया। यह कारीगर उनके पास पिछले कई सालों से किसी दुकान पर काम कर रहा था। परन्तु कारीगर भागने की घटना का कोई खुलकर खुलासा नहीं कर रहा तथा यह भी बता रहा कि किसका कितना नुकसान हुआ है। लेकिन चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है। नियमानुसार जो दुकानदार अपने कारीगर की वैरीफिकेश करवाते हैं वो तो अच्छे रह जाते हैं तथा जो नहीं करवाते उन्हें इस प्रकार धोखे का शिकार होना पड़ता है। इसलिए कारीगर के संबंध में वैरीफिकेशन बहुत जरुरी हो जाती है।

कारीगर का आधार कार्ड या कोई अन्य दस्तावेज चैक करना चाहिए कि कहीं वो जाली तो नहीं। लेकिन उक्त केस में भी ऐसा ही हुआ कि वैरीफिकेशन न होने के चलते कारीगल दुकानदारों का सोना व चांदी लेकर रफूचक्कर हो गया। जिसकी सुगबुगाहट पिछले दिनों से समस्त सर्राफों में है पर खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं। चर्चा यह भी है कि गत दिवस जो लोग अपने राज्यों को वापिस गए उनमें वो कारीगर चला गया होगा और सोना आदि भी साथ ले गया। लेकिन उस संबंधी किसी के पास कोई पुख्ता जानकारी न होने के कारण उसे खोजना और भी असंभव बना हुआ है।

डोर टू डोर वेरिफिकेशन अभियान चलाना जरूरी

बाजार में करीब हजारों सोने-चांदी के व्यापारी हैं, जो उनके यहां काम कर रहे करीब 5 हजार कर्मचारियों का रिकार्ड रखते हैं। वहीं बाजार में 2 हजार से अधिक कारीगर ठेके पर काम करते हैं, जिनमें अधिकतर मूलत: पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। कई वर्षों से उनका पुलिस वैरीफिकेशन तक नहीं हुआ। ऐसे में उनके द्वारा कोई अपराध घटित करने पर पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाती। रिकार्ड एकत्रित करने के लिए हर सर्राफ हर वो कारीगर जो इन नये बंगाली कारीगरों को काम देते हैं उन पर यकीन कर लेते हैं यह सरासर गलत है। इनकी वैरीफिकेशन के लिए डोर-टू-डोर अभियान चलाकर वैरीफकेशन करनी चाहिए ताकि कोई इनका शिकार न बन सके।

सस्ते के लालच में धोखे को खुद बुलाते हैं कई दुकानदार

ऐसे कारीगर उन दुकानदारों को आसानी से अपना शिकार बना जाते हैं जो सस्ते के लालच में ऐसे कारीगरों को काम पर रख लेते हैं जो किसी ठेकेदार के पास कार्यरत होता है तथा दुकानदार सस्ते के चक्कर में उससे सीधे तौर पर काम करवाने लग जाता है। पता चला है कि अगर कोई कारीगर 8 हजार रुपये पर काम करता है तो ऐसे कारीगर दुकानदार से कम पैसे लेकर काम ले लेते हैं व दुकानदार का कहना होता है कि वो अपना काम भी करे जाए और उसका भी। ऐसे में कारीगर को दोहरी आमदन होनी शुरु हो जाती है और दुकानदार कम के चक्कर में फंसता जाता है। ऐसे कारीगर दुकानदार का विश्वास जीतते ही उसे ऐसा झटका देते हैं जिसे वो पूरी उम्र सहन नहीं कर पाता और सभी से छिपाता फिरता है। नाम न छापने की शर्त पर कुछेक स्वर्णकारों ने बताया कि अधिक मुनाफे व सस्ते के चक्कर में दुकानदार फंसते हैं और बाद में पछताते हैं। इसलिए थोड़े मुनाफे के लिए लाखों का नुकसान नहीं उठाना चाहिए व मार्किट के साथ चलना चाहिए। उनका कहना है कि अब फरार कारीगर कई दुकानदारों को चपत लगाकर गया है, लेकिन सोना शो कहां से करेंगे व कैसे बताएंगे कि सोना व चांदी आदि कहां की थी व कहां से आई थी। इसलिए चुप्पी साधने में ही सभी भलाई समझे हुए हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं सभी के लिए सबक हैं कि सोने-चांदी के काम में कारीगर हो या दुकान पर काम करने वाला कोई कर्मचारी सभी की अच्छी से वैरीफिकेशन करनी चाहिए उसके बाद ही उसे काम पर रखना चाहिए ताकि बाद में पछताना न पड़े। अब उक्त केस में यह देखना होगा कि कितने दुकानदार सामने आते हैं और फरार कारीगर की तलाश के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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