हमें टिकट देना आका की मजबूरी??? बिना सहमति वार्ड में फ्लैक्स पे फ्लैक्स लगाने बना चर्चा का विषय

होशियारपुर में नगर निगम चुनाव को लेकर इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा जहां टिकट के लिए जोर लगाया जा रहा है व कईयों की टिकट फाइनल होने पर तैयारियां शुरु कर दी गई हैं तो दूसरी तरफ कुछेक ऐसे हैं जिनकी टिकट को कनफर्म नहीं हुई, लेकिन उनके द्वारा खुद ही अपनी टिकट की घोषणा करते हुए अपने वार्ड में फ्लैक्स पे फ्लैक्स लगाकर ढंके की चोट की गूंज दूर-दूर तक सुना डाली है। लेकिन, अपने आका की नाराजगी को दरकिनारे करते हुए अपनी दावेदारी खुद ही पेश कर देना कहीं न कहीं आका की नजऱों में खूब खटक रही है। बताया जा रहा है कि अपनी टिकट कनफर्म बताकर लोगों की संवेदना जुटाने में लगे सत्ताधारी पार्टी से संबंधित इस उम्मीदवार की स्थिति पहले से कहीं कमजोर मानी जा रही है। क्योंकि, पिछले चुनाव में जिन लोगों ने अपनी वोट की ताकत से इन्हें ताकतवर बनाया उन्हीं लोगों को कोरोना काल में पार्षद की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा तथा सूत्रों की माने तो नेता जी ने एक कैमरा ऐसी जगह लगवाया, जिससे उनके घर पर कौन आ रहा है उसकी जानकारी उन्हें अंदर बैठे हो जाती थी तथा जो भी मदद मांगने आता उसे टका सा जवाब कि घर में नहीं हैं देकर फरियादी को गेट से ही वापिस कर दिया जाता था। इतना ही नहीं आका जी द्वारा भेजे गए राशन की थैलियां किन्हें दी गईं इसे लेकर भी लोगों में कई प्रकार की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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इतना ही नहीं जिस आका ने उन्हें इतना मान सम्मान दिया और उनके द्वारा किए जाने वाले कई तरह के गैरकानूनी कार्यों पर भी पर्दा डाला उनकी चर्चाएं भी मतदाताओं को उनसे दूर कर रही हैं। शहर के मुख्य वार्डों में आते इस वार्ड में अकाली एवं भाजपा में मुख्य तौर पर मुकाबला माना जा रहा है तथा ऐसे में सत्ताधारी पार्टी को इस वार्ड से नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए सत्ताधारी पार्टी के नेता इस वार्ड से पुराने उम्मीदवार को उतारने से परहेज करके किसी दूसरे चेहरे की तलाश में हैं, जिसकी इमेज लोगों में ईमानदार एवं मददगार की हो। जो मुसीबत में जनता से पीछा न छुड़ाए बल्कि यथाशक्ति जनता के साथ खड़ा होकर अपने नेताओं के सम्मान को बनाए रखे।

इसके अलावा बात अगर आका की नाराजगी की करें तो यह बात सभी जानते हैं कि जिस नेता ने उक्त दावेदार उम्मीदवार को पिछली बार टिकट देकर विजयी बनवाया, उन्होंने जीतने के बाद अपने आका के खिलाफ होकर चलने में कोई कसर नहीं छोड़ी तथा उनके बारे में बुरा-भला प्रचार करने से भी परहेज नहीं किया। इतना ही नहीं वर्तमान में ऐसे नाजुक दौर में जनाब यह कहते नहीं थक रहे कि उन्हें टिकट देना पार्टी व आका की मजबूरी है, और कोई नहीं जो यह सीट जीत सके। हमारे बिना उनका गुजारा ही नहीं। अब ऐसी बातें जब चर्चाओं में आएंगी तो भाई कोई न कोई तो आका जी को बताने पहुंच ही जाएगा। जिसे लेकर आका जी की भौंवें तन गईं और उन्होंने अपनी व पार्टी की छवि में और निखार लाने के लिए ऐसे किसी भी उम्मीदवार को टिकट न देने का मन बनाया जो सरकार, पार्टी व उनकी छवि को कूड़ प्रचार करके ठेस पहुंचाए।

लेकिन बिना सहमति से वार्ड में लगवाई गईं फ्लैक्सों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। क्या कौन है, कौन सा वार्ड है, आका जी कौन हैं. . . न भाई न. . . ऐसे सवाल नहीं पूछते, राजनीतिक गलियारों में सभी जानते हैं कि आका जी ने किसे अपना समझा और अपनों ने कैसे अपना बनकर आका जी की पीठ में. . . .। बाकी आप खुद समझदार हैं, वैसे वार्ड महिला आरक्षित है??? क्या प्रभात चौक, बस स्टैंड, कमालपुर चौक. . पता नहीं भाई। जय राम जी की।

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