मेरा दिल किसानों के साथ है: कैप्टन अमरिन्दर सिंह

पटियाला (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को कहा कि गणतंत्र दिवस के जश्नों के दौरान आज उनका दिल किसानों के साथ है। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों संबंधी गठित की गई उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी में पंजाब को जानबूझ कर बाहर रखा, क्योंकि केंद्र इस बात को अच्छी तरह जानती थी कि राज्य से गुस्से से भरीं आवाजें उठेंगी। इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि यह आवाजें तब तक बुलंद होती रहेंगी, जब तक किसानों के हित सुरक्षित नहीं हो जाते। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को तो कमेटी में उनकी तरफ से केंद्र को इस मुद्दे संबंधी पत्र लिखने के बाद ही शामिल किया गया था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने स्पष्ट किया कि काले कृषि कानूनों के बारे में उनसे और उनकी सरकार के साथ कभी भी सलाह-मश्वरा नहीं किया गया।

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प्रधानमंत्री को आंदोलनकारी किसानों, जो पिछले दो महीनों से दिल्ली की सरहदों पर बैठे हैं, की माँगें मानने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानून पूरी तरह गलत हैं, क्योंकि भारतीय संविधान की सूची 7 के अधीन कृषि प्रांतीय विषय होने के कारण केंद्र द्वारा यह कानून बनाना ही संघीय ढांचे के विरुद्ध है। यहाँ राजा भलिन्द्रा सिंह स्पोर्टस कॉम्पलैक्स में राष्ट्रीय झंडा लहराने के मौके पर मुख्यमंत्री ने बाबा साहिब डॉ. बी.आर. अम्बेदकर के योगदान को याद किया, जिन्होंने हमारा संविधान बनाया, जो आज तक मुल्क के लोकतांत्रिक प्रबंध का मूल सिद्धांत है। किसानों के आंदोलन के दौरान आज निकाले जा रहे ट्रैक्टर मार्च के शांतमयी रहने की उम्मीद ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बुज़ुर्ग किसान राष्ट्रीय राजधानी की सरहदों पर अपने लिए नहीं बैठे बल्कि अपने बच्चों और आने वाली पीढिय़ों का भविष्य सुरक्षित बनाने के लिए बैठे हैं।’’ मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘शान्ति बनाए रखो, पूरा मुल्क आपके साथ है।’’

उन्होंने बताया कि यू.के. के 122 सांसदों ने किसानों के हक में आवाज़ उठाई और अन्य मुल्कों ने भी आंदोलन की हिमायत की, क्योंकि इस संघर्ष के दौरान किसानों ने अमन कायम रखा। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने दुख के साथ कहा कि उन्होंने यह कभी भी नहीं सोचा था कि यह दिन भी देखने पड़ेंगे, कि पंजाब के किसानों को इस हद तक अनदेखा कर दिया जायेगा, जिन्होंने हरित क्रांति द्वारा मुल्क को अनाज के पक्ष से आत्मनिर्भर बनाया और यह यकीनी बनाया कि भारत को अमरीका की पी.एल. 480 के अंतर्गत रोटी के लिए हाथ फैलाने की नौबत न आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय तो पंजाब के किसानों का मुल्क के अन्न-भंडार में 50 प्रतिशत योगदान रहा है और यहाँ तक कि अब भी 40 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मुल्क के लिए किसानों द्वारा दिए गए योगदान को हम कभी भी भूल नहीं सकते।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि अब गंगा, नर्मदा और कावेरी के साथ लगती ज़मीनों में पैदावार शुरू होने से पंजाब को किनारे कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘परमात्मा करे ऐसा न हो परन्तु एक दिन ऐसा आएगा जब मुल्क को फिर पंजाब की ज़रूरत पड़ेगी।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न्युनतम समर्थन मूल्य मुहैया करवाने से लेकर एक बार भी ऐसा नहीं किया जिससे यह संकेत मिलता हो कि इसको वापस ले लिया जायेगा, या एफ.सी.आई. को ख़त्म कर दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली सरकारी खऱीद पर निर्भर है, जिस कारण यदि यह कानून रद्द न हुए तो गरीबों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय सेनाओं में पंजाबियों की 20 प्रतिशत संख्या का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने देश की सुरक्षा के लिए अगली कतार में हिस्सा ले रहे पंजाब के जवानों के परिवारों की परवाह न करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पंजाबी सैनिक देश की सरहदों की रक्षा के लिए सभी मोर्चों पर डटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के आपस में मिल जाने के कारण कई तरफ से पैैदा हुए ख़तरे का सामना करने के लिए देश को तैयार होने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हालाँकि विभाजन और उसके बाद पुनर्गठन के कारण पंजाब का क्षेत्रफल बड़े स्तर पर घटा है, परन्तु पंजाब हमेशा ही देश के लिए खड़ा है और आने वाले भविष्य में भी इसी तरह खड़ा रहेगा। कोविड महामारी के दौरान भी गेहूँ और धान की रिकॉर्ड पैदावार के लिए राज्य के किसानों की कोशिशों की सराहना करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें कज़ऱ् माफी और कुर्की का ख़ात्मा प्रमुख है। उन्होंने कहा कि 5.62 किसानों का 4700 करोड़ रुपए का कज़ऱ् माफ किया गया है, जबकि 2.82 लाख भूमि रहित खेत मज़दूरों को इस साल राहत दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी के दौरान राज्य की लड़ाई में योगदान देने वालों ख़ासकर हैल्थकेयर और फ्रंटलाईन वर्करों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी तरफ से दिए गए कीमती योगदान के स्वरूप राज्य के लोगों को लॉकडाउन के दौरान भी असुविधा नहीं हुई। उन्होंने विशेष तौर पर पंजाब पुलिस का जि़क्र किया जिनकी तरफ से पहली बार ज़रूरतमंदों के लिए खाने का प्रबंध किया गया, जिससे यकीनी बनाया जाये कि कोई भी भूखा न रहे।

उन्होंने डॉ. के.के. तलवाड़ के नेतृत्व में बनी माहिरों की कमेटी की भी सराहना की, जिसमें डॉ. राज बहादुर और डॉ. राजेश शामिल थे। इस कमेटी ने लोगों की मदद करते हुए महामारी के दौरान नेतृत्व किया।  मुख्यमंत्री ने राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले प्रवासी मज़दूरों की मदद करने वालों का भी धन्यवाद किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों को वापस उनके घर भेजने के लिए 500 रेलगाडिय़ों का प्रबंध किया। उन्होंने पंजाब के लोगों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने अनुशासन में रह कर कोविड के नियमों की पालना की, जिसके स्वरूप पंजाब में कोविड मामलों की संख्या जो किसी समय पर 3700 प्रतिदिन तक पहुंच गई थी, जो अब 200 से कम हो गई। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सबसे अपील की कि अभी किसी ने ढील नहीं बरतनी और उसी भावना के साथ लड़ाई लडऩी है और मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों की पालना करनी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम पंजाब को देश का नंबर एक राज्य बनाना है।’’ उन्होंने कहा कि उद्योग जगत में अब स्थिति आम जैसी हो रही है, जहाँ लॉकडाउन के दौरान उद्योग जगत मुकम्मल तौर पर बंद हो गया था। इस मौके पर संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने जलियांवाला बाग़ के दुखांत के शहीदों समेत आज़ादी संघर्ष के परवानों को सजदा किया। उन्होंने महान गुरू साहिबान को भी याद किया, जिनके पवित्र प्रकाश पर्व दिवस के जश्न उनके मुख्यमंत्री के तौर पर दोनों कार्यकालों (पहले और अब) के मौके पर मनाने का सौभाग्य हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नौवें पातशाह श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व बड़े स्तर पर धूम-धाम के साथ मनाने की तैयारियाँ की गई हैं। उन्होंने कहा कि आज राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड के मौके पर पंजाब सरकार की झाँकी इस ऐतिहासिक पर्व को समर्पित है।

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