आप की कचहरी और तहसील में आम लोगों की लूट, ई-स्टांप, फोटो ग्राफर और वसीका नवीसों की मनमानी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। प्रदेश की आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार जारी है, पिछली सरकार में मंत्री रहे कई नेताओं को एक-एक करके भ्रष्टाचार के मामलों में उठाया जा रहा है। जिससे लगता है कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। लेकिन तहसील एवं कचहरी परिसर में फैले भ्रष्टाचार की तरफ उसका कोई ध्यान नहीं है। आलम यह है कि कचहरी और तहसील परिसर में बैठे अधिकतर ई-स्टांप वैंडर, फोटोग्राफर एवं वसीका नवीसों द्वारा आम लोगों का आर्थिक शोषण जारी है। जिससे सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के दावों पर ग्रहण लग रहा है। और तो और यह सारा माजरा सरकार के राजस्व मंत्री के गृह जिले में जारी है।

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सरकार ने स्टांप पेपरों में हो रहे घोटालों को रोकने और इसमें फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ई-स्टांप सुविधा शुरु की थी तथा उसके कुछ नियम तय किए थे। अब ई-स्टांप लेने वाले वैंडरों को भी पता था कि अगर वे इसके तहत काम करना चाहते हैं तो उन्हें किस-किस उपकरण की आवश्यकता पड़ेगी। मसलन जैसे उसके पास कम्प्यूटर का होना जरुरी है, दूसरा उसके पास प्रिंटर होना चाहिए तथा इस संबंधी अन्य उपकरण ताकि ई-स्टांप की मांग करने पर उसे दिया जा सके। सरकार ने एक ई-स्टांप के पीछे वैंडर की कमिशन भी तय की हुई है तथा इस बारे में सख्त निर्देश हैं कि कोई भी वैंडर अधिक दाम पर नहीं बेचेगा। लेकिन तहसील व कचहरी में अधिकतर वैंडरों द्वारा ई-स्टांप के भी मनमाने रेट वसूले कर लोगों का आर्थिक शोषण जारी है। अगर कोई अधिक पैसे लेने का विरोध जताता है तो वैंडर द्वारा बिजली लगती है, कम्प्यूटर रखा है व प्रिंटर का खर्च आता है कहकर अधिक पैसे लेने को जायज ठहरा दिया जाता है, इतना ही नहीं अगर कोई ज्यादा विरोध करता है तो कुछेक वैंडर तो उसे जाओ जहां शिकायत करनी है कर दो, की बात कहते हुए लड़ाई करने पर उतारु हो जाते हैं।

दूर-दराज से पहुंचे लोग उनसे उलझने से परहेज करते हुए वहां से जाने में ही भलाई समझते हैं। इसके अलावा वसीका नसीवों की भी फीस तय की गई है, लेकिन वे भी सेवाएं प्रदान करने की सरकार द्वारा तय फीस से 200 गुणा तक चार्ज कर रहे हैं। किसी एकाध को छोडक़र अधिकतर का यही हाल है। क्योंकि उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। और तो और अधिकारी वर्ग भी इस तरफ ध्यान देना जरुरी नहीं समझता। क्योंकि, तहसील परिसर में ही एसडीएम, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार के कार्यालय स्थित हैं और अधिकारी रोजाना इसी रास्ते से होकर कार्यालय तक पहुंचते हैं। लेकिन सरकार के आदेशों के बावजूद अधिकारी वर्ग भी गहरी नींद में ही प्रतीत हो रहा है। अगर उनकी नींद टूटती होती तो शायद तहसील में बैठक लोग आम लोगों की लूट न कर पाते।

इतना ही नहीं तहसील में रजिस्ट्री व शादी पंजीकृत करवाने हेतु फोटो खींचने वालों के भी सरकार ने दाम तय किए हुए हैं तथा इसके लिए सरकार ने कुछेक ठेकेदारों को नामांकन किया हुआ है, जो मनमाने रेट वसूलकर खूब जेबें भर रहे हैं। इनका विरोध करने पर भी ठेकेदार के करींदे रटारटाया जवाब देते हैं कि वे तो इतने ही लेंगे, जिसे कहना है कह दो। अन्य फोटोग्राफर द्वारा की गई फोटो को मान्य नहीं समझा जाता। इसलिए लोगों को मजबूरत इनके पास से ही फोटो करवानी पड़ती है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार तहसील परिसर में जिन लोगों को चैंबर अलाट किए गए हैं उनमें से कुछक तो ऐसे हैं जिन्होंने उन्हें अलाट हुई जगह आगे किराये पर दे रखी है। ऐसे करने वालों में कुछेक तो तहसील के भीतर कार्यरत हैं। अगर इनकी जांच की जाए तो तहसील में फैले भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलनी शुरु हो जाएंगी। बिना किसी के डर और खौफ के तहसील एवं कचहरी परिसर में बैठे ऐसे लोगों द्वारा आम जनता की लूट खुलेआम जारी है और इसे रोकने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा।

इस संबंधी बात करने पर एसडीएम शिवराज सिंह बल ने कहा कि वह इस बारे में जांच करवाएंगे तथा अनियमितताएं पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।

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