कोटकपूरा मामले में 6 महीने की समय-सीमा हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित परन्तु एस.आई.टी इससे पहले भी जांच मुकम्मल करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्रः पंजाब सरकार

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता द्वारा आज स्पष्ट किया गया कि कोटकपूरा गोलीबारी कांड की जांच मुकम्मल करने के लिए नयी एस.आई.टी. के लिए 6 महीने का समय राज्य सरकार ने नहीं बल्कि हाई कोर्ट द्वारा तय किया गया है।प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेशों पर राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नयी विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित समय से पहले भी जांच मुकम्मल कर सकती है। जहाँ तक संभव हो सके यह जांच दो महीनों के अंदर-अंदर भी पूरी की जा सकती है।हाई कोर्ट के 9 अप्रैल, 2021 के आदेश की तरफ इशारा करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि निर्देश (vii) अनुसार, “जितनी जल्दी संभव हो सके इन एफ.आई.आर की जांच प्राथमिकता के आधार पर एस.आई.टी गठित होने की तारीख़ से छह महीनों के अंदर-अंदर मुकम्मल की जानी चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि अदालत के यह निर्देश राज्य सरकार द्वारा एसआईटी के पुनः गठन सम्बन्धी जारी किये नोटीफिकेशन में दोबारा दिए गए हैं, जिसमें विशेष तौर पर निर्देश (ii) और (iv) अनुसार किसी भी तरीके से दख़ल देने से मना किया गया है।

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प्रवक्ता ने कहा कि अदालत के निर्देश से स्पष्ट होता है कि 6 महीनों की समय-सीमा जांच मुकम्मल करने की आखिरी सीमा है जिसको हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि एस.आई.टी. इस अवधी से पहले भी जांच का निष्कर्ष निकालने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।सरकार की 6 महीनों की समय-सीमा सम्बन्धी अलोचना करने पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार के नोटीफिकेशन और इरादे को कुछ शरारती तत्वों द्वारा अपनी संकुचित राजनैतिक हितों के लिए गलत और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था।प्रवक्ता ने कहा कि बेकसूर लोगों को इन्साफ और दोषियों को सज़ा दिलाने के उद्देश्य से कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच को यकीनी बनाने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है।

उन्होंने कहा कि अपनी वचनबद्धता के अनुसार राज्य सरकार ने एस.आई.टी. की जांच की समय-सीमा सम्बन्धी अदालत के फ़ैसले का विरोध करने की बजाय नयी एस.आई.टी. का गठन किया।नयी एस.आई.टी. को तुरंत जांच शुरू करने और जांच के दौरान किसी भी बाहरी या अंदरूनी पक्ष की दखलअन्दाज़ी न होने देने सम्बन्धी अदालत के फ़ैसले का पालन करते हुए इस जांच को किसी तर्कपूर्ण निष्कर्ष पर ले जाने का स्पष्ट आदेश दिया गया है। प्रवक्तो ने आगे कहा कि अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने पर एस.आई.टी. के विरुद्ध अदालतों द्वारा कार्यवाही की जा सकती है जोकि जांच में रुकावट बन सकती है।प्रवक्ता ने आगे कहा कि सदस्यों द्वारा एस.आई.टी. के गठित होने के एक दिन बाद ही 8 मई को अपनी पहली मीटिंग की गई और फरीदकोट अदालत केस की फाइल और अन्य सम्बन्धित रिकार्ड तलब करके जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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