पहला एंटी नैटल चैकअप कन्या भूण हत्या को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण: बलबीर सिद्धू

चंडीगढ़, 29 जूनः स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप पंजाब का लिंग अनुपात (जन्म के समय) साल 2016-17 में 888 से बढ़ कर 2020-21 में 919 हो गया है। लिंग अनुपात में यह विस्तार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्री-कंसैपशन एंड प्री-नैटल डायगनोतिक तकनीक (लिंग चयन की मनाही) एक्ट को सुचारू ढंग से लागू करवाने से हुआ है। इस एक्ट को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की अध्यक्षता अधीन 22 सदस्यीय राज्य निगरानी बोर्ड की एक मीटिंग की गई।

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डायरैक्टर स्वास्थ्य सेवाएं (परिवार कल्याण) पंजाब डा. अन्देश कंग ने सदस्यों का स्वागत किया और एक्ट की प्रमुख विशेषताओं, प्राप्तियों और रुकावटों संबंधी अवगत करवाया। मीटिंग में संबोधन करते हुये उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 1738 अल्ट्रासाउंड सैंटर रजिस्टर्ड हैं और स्वास्थ्य विभाग कन्या भ्रूण हत्या को खत्म करने के लिए एक्ट की धाराओं के अनुसार उनके काम की निगरानी करता है। मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार कन्या भ्रूण हत्या को खत्म करने के लिए कई कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए समय-समय पर आई.ई.सी. की गतिविधियां भी कर रहा है जिससे आम लोगों के मन में लड़की प्रति कोई भी पक्षपात न रहे। स्वास्थ्य विभाग पीसी -पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत उल्लंघन करने वालों को काबू करने के लिए स्टींग आप्रेशन करने जैसे सख्त कदम उठा रहा है और राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी स्कैन सैंटरों पर जिला ऐपरोपरिएट अथाॅरिटी (डीएए) के द्वारा नियमित तौर पर जांच करके उन पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई भी स्कैन सैंटर इस एक्ट की धाराओं का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसकी रजिस्ट्रेशन को रद्द किया जा सकता है। एंटी नैटल चैकअप (एएनसी) की महत्ता के बारे बताते हुये उन्होंने पहले एएनसी को जल्द से जल्द या पहली तिमाही के अंदर-अंदर करवाने की जरूरत पर जोर दिया जिससे आशा (मान्यता प्राप्त सोशल हैल्थ एक्टिविस्ट) की तरफ से किसी भी जुर्म का पता लगाया जा सकेे और समय पर सीनियर स्वास्थ्य अधिकारियों के ध्यान में लाया जा सके।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव हुसन लाल ने जिला ऐपरोपरिएट अथाॅरिटी की तरफ से निरीक्षण के मामलों में कम प्रदर्शन वाले जिलों का गंभीर नोटिस लिया गया। उन्होंने राज्य में अल्ट्रासाउंड मशीनों की निगरानी में प्रौद्यौगिकी का प्रयोग, डी.ए.एज़ का प्रशिक्षण और सामर्थ्य बढ़ाने, एक नयी जासूस एजेंसी की नियुक्ति और निरीक्षण करने वाले अधिकारियों के निर्विघ्न काम के लिए एसओपी या चैकलिस्ट तैयार करने पर जोर दिया। मीटिंग में दूसरों के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग के डायरैक्टर विपुल उज्जवल, सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त सचिव राज बहादुर सिंह, स्वास्थ्य सेवाएं पंजाब के डायरैक्टर डा.जी.बी.सिंह, स्वास्थ्य सेवाएं (परिवार कल्याण) पंजाब के डायरैक्टर डा. अन्देश कंग, डिप्टी डायरैक्टर डा. वीणा, सीनियर गायनीकोलोजिस्ट डा. विनीत नागपाल, अम्बेदकर मैडीकल सायंसेज़ इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डा. भवीत भारती, डा. मीना हरदीप सिंह, एसोसिएट प्रोफैसर जी.एम.सी. पटियाला डा. सिम्मी ओबराए, रेडियोलाॅजिस्ट जी.एम.सी फरीदकोट डा. तरनजीत कौर, अतिरिक्त कानूनी रिमैंमरैंस ए.एस विर्क, एन.जी.ओ मैंबर डा. रंजीत पोवार, मास मीडिया अधिकारी गुरमीत सिंह राणा मौजूद थे।

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