होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़)। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला तिथि के रूप में भी मनाया जाता है ।कथा के अनुसार एक राजा सवा मण आंवले दान करके ही नित्य प्रति खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवल्या पड़ गया। एक दिन उसके बेटे ने कहा कि यह दान बंद कर देना चाहिए। राजा को बहुत दु:ख हुआ। राजा रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। वह आंवले दान नहीं कर पाए। प्रण के कारण कुछ खाया भी नहीं। भूखे प्यासे 7 दिन हो गए। तब भगवान ने सोचा कि यदि मैंने इसका प्रण नहीं रखा तो इनका तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने जंगल में ही महल, राज्य और बाग बगीचे बना दिए और बहुत से पेड़ आंवले के लगा दिए। सुबह जब राजा रानी उठे तो उन्होंने देखा कि उनके राज्य से भी दुगना राज्य बसा हुआ है। राजा ने रानी सहित खुशी-खुशी आंवले दान किए और खाना खाया।
उस दिन संयोगवश नवमी तिथि थी। उधर आंवला देवता का अपमान करने एवं माता-पिता से बुरा व्यवहार करने के कारण बहू बेटे के बुरे दिन आ गए। राज्य दुश्मनों ने छीन लिया। बाद में वह काम की तलाश में उसी राज्य में पहुंचे जहां उनके माता-पिता का राज्य था। दुखी बहू को जब उसकी सास ने पहचाना तो कहा कि बच्चे दान करने से कभी भी किसी को रोकना नहीं चाहिए। क्योंकि दान करने से कभी कोई कमी नहीं होती है। बल्कि बढ़ता ही है। इसलिए नौमी तिथि को आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर खाना खाने और दान करने का विशेष महत्व है। इस मौके अन्य के अलावा रेनू शर्मा, प्रोमिला, नीलम राणा, अनुराधा, भोली, किरन मल्होत्रा, मीनू, आंचल,ममता, शकुन्तला,चंपा, पल्लवी, मंजू शर्मा, आंचल शर्मा आदि उपस्थित थे।