जो साहित्यकार हैं, वे साहित्यकार की कलम से एकता का स्वर दें: लक्ष्मीकांता चावला

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अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़)। मैसूर में 16 से 17 फरवरी तक शुरू हुई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी नई सदी का साहित्य कन्नड़ हिंदी का विशेष संदर्भ विषय पर भारत सरकार द्वारा करवाई गई संगोष्ठी में पंजाब से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई। प्रोफेसर चावला ने अपने तेजस्वी संबोधन से उपस्थित सभा सदस्यों का मन मोह लिया।

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प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि जो साहित्यकार हैं, वे साहित्यकार की कलम से एकता का स्वर दें। भाषा कोई भी हो लेकिन लेखक ऐसा संदेश दें जो समाज के लिए प्रेरणादाई हो। वर्तमान में देश में जो अलगावाद की भावना आ रही है मराठी पंजाबी या अन्य के नाम पर, उसे दूर भी कवि और साहित्यकार कर सकते हैं।

स्वतंत्रता से पहले पूरा देश एक ही स्वर में कहता था कि हम हिंदुस्तानी हैं। ऐसा साहित्य हमारा साहित्यकार स्वतंत्रता से पहले लिखा जाता था और पूरा देश एकता के सूत्र में रहता था। कवि जो चाहे समाज को बना सकता है। कुरीतियों से मुक्त कर सकता है युवाओं को नशों से मुक्त कर सकता है। धार्मिक विवाद खत्म कर सकता है। ऐसे लेखक कविता साहित्य हमारे कवि लिखें क्योंकि कवि को ब्रह्म कहा जाता है वह जैसा चाहे देश और समाज बन सकता है। प्रोफेसर चावला के उद्बोधन के बाद उपस्थित सभा सदस्यों ने तालिया की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंजमान कर दिया।

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