प्रगतिशील किसानों की सोच के चलते अग्रणी गांव के तौर पर उभर रहा गांव पंडोरी गंगा सिंह

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत जिला प्रशासन की ओर से जहां किसानों को धान की पराली को आग न लगा कर गेहूं की सीधी बिजाई के लिए जागरुक किया जा रहा है वहीं कृषि विज्ञान केंद्र की निगरानी में जिले के गांव पंडोरी गंगा सिंह के जागरुक किसान कई वर्षों से आधुनिक खेती को अपनाते हुए पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। गांव के किसानों ने वर्ष 2018-19 व 2019-20 के दौरान धान की कटाई सुपर एस.एम.एस कंबाइन से करने के बाद हैप्पी सीडर तकनीकी विधि को अपना कर करीब 200 एकड़ पर सफलतापूर्वक गेहूं की बिजाई की थी।

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जिलाधीश अपनीत रियात ने गांव के किसानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि मिशन तंदुरु स्त पंजाब के अंतर्गत फैलाई जागरु कता के कारण गांव पंडोरी गंगा सिंह के किसानों ने पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बेहतरीन काम किया है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि जिले के अन्य स्थानों में भी किसान जागरु क होकर धान की पराली को बिना आग लगाए गेहूं की सीधी बिजाई कर रहे हैं। अपनीत रियात ने बताया कि वातावरण की शुद्धता व जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए फसलों के अवशेषों को आग न लगाई जाए, बल्कि इसका प्रबंधन खेत में ही करने को प्राथमिकता दी जाए।

उन्होंने कहा कि जिले में किसानों ने बड़े स्तर पर सुपर एस.एम.एस. कंबाइन से धान की कटाई करने के उपरांत हैप्पी सीडर से गेहूं की सीधी बिजाई की है। कृषि विज्ञान केंद्र(के.वी.के) होशियारपुर के डिप्टी डायरेक्टर(ट्रेनिंग) डा. मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि के.वी.के की ओर से गांव पंडोरी गंगा सिंह को वर्ष 2018-19 के दौरान धान की पराली प्रबंधन के कार्य के लिए अपनाया गया था व इस बाबत प्रशिक्षण कोर्स, जागरुकता अभियानों, प्रदर्शनियों, खेत दिवस, खेती साहित्य, दिवारों पर पेंटिंग आदि के माध्यम से अलग-अलग गतिविधयां करवाई गई थी व जरुरी मशीनरी भी उपलब्ध करवाई गई।

इसके परिणामस्वरुप गांव के प्रगतिशील किसानों सरपंच मनजिंदर सिंह, संदीप सिंह, मनजिंदर सिंह भंगू, गुरप्रीत सिंह, हरजिंदर सिंह, गुरदीप सिंह, कुलवंत सिंह, जगदीप सिंह आदि ने धान की पराली को खेत में ही संभाल कर गेहूं की सफलतापूर्वक बिजाई की थी। कृषि विभाग ने भी गांव पंडोरी सिंह के दो किसानों मनजिंदर सिंह व मनजिंदर सिंह भंगू को हैप्पी सीडर संबंधी सब्सिडी मुहैया करवाई थी। इन प्रगतिशील किसानों की ओर से अपने खेतों के अलावा नजदीकी गांव में भी किराए पर बिजाई की गई थी। इसके साथ ही पराली की गांठे बनाने वाली मशीन, बेलर के साथ ही करीब 150 एकड़ रकबे पर पराली को संभाला जाता है। इन पराली की गांठों की खपत नजदीकी गांव बिंजों में हो जाती है, जहां इस संबंधी बायोमास प्लांट लगाया हुआ है। इनके अलावा रोटावेटर व जीरे टिल ड्रिल के साथ भी बिना आग लगाए बिजाई की जाती है। इसके साथ ही गुज्जर भाइचारे की ओर से भी पराली पशु खुराक के तौर पर उठाई जाती है।

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