पंजाब बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाया

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब जैव-विविधता बोर्ड द्वारा ग्रामीण विकास और पंचायतें एवं स्थानीय सरकार विभागों के सहयोग से ‘‘हम प्रकृति के लिए समाधान का हिस्सा हैं’’ विषय पर जैव-विविधता के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया। यह दिवस आज यहाँ जैव विविधता एक्ट, 2002 के अंतर्गत हाल ही में राज्य भर में गठित की गई ग्रामीण और शहरी जैव-विविधता प्रबंधन कमेटियों (बीएमसीज़) को लाभ देने हेतु वर्चुअल तरीके से राज्य स्तरीय समागम करवा कर मनाया गया।

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इस मौके पर बोलते हुए ग्रामीण विकास के डायरैक्टर मनप्रीत सिंह और स्थानीय सरकार के डिप्टी सचिव करनदीप सिंह ने ग्रामीण और शहरी बीएमसीज़ को बोर्ड के नेतृत्व अधीन जैव-विविधता की संभाल सम्बन्धी गतिविधियों को अपने अधिकार क्षेत्र में शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पंजाब जैव-विविधता बोर्ड के निरंतर समर्थन और सहयोग से पंचायती राज संस्थाओं के 22 जिलों, 150 ब्लॉक और 13,260 गाँवों के बी.एम.सीज़ को चलाने समेत पड़ाववार ढंग से बैंक खाता खोलने के लिए सभी ज़रुरी कदम उठाए जाएंगे।

इससे पहले पंजाब जैव-विविधता बोर्ड के मैंबर सचिव डॉ. जतिन्दर कौर अरोड़ा ने बताया कि बोर्ड नए गठित बी.एम.सीज़, लोक जैव-विविधता रजिस्टरों (पी.बी.आर.) की गुणवत्ता बढ़ाने और पड़ाववार ढंग से जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षण और सामथ्र्य बढ़ाने का काम शुरू कर रहा है, जिसकी शुरूआत भारत सरकार की विशेष हिस्सेदारी योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 5 ब्लॉकों फगवाड़ा (जि़ला कपूरथला), बंगा और नवांशहर (जि़ला एस.बी.एस. नगर) और श्री मुक्तसर साहिब और मलोट (जि़ला श्री मुक्तसर साहिब) में होगी।

जैव-विविधता और प्रकृति की महत्ता और धरती के बारे में अपने दृष्टिकोण और तज़ुर्बे साझे करते हुए भारत सरकार के राष्ट्रीय जैव-विविधता अथॉरिटी के चेयरमैन डॉ. वी.बी. ने बीएमसीज़ को मज़बूत करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा अपनाई गई कार्यशील पहुँच की सराहना की। बी.एम.सीज़. द्वारा चलाई गई विभिन्न गतिविधियों के बारे में विचार-विमर्श करते हुए बोर्ड के प्रमुख वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. गुरहरमिन्दर सिंह ने हरेक जि़ले में कुछ बी.एम.सी. को मॉडल के तौर पर विकसित करने पर ज़ोर दिया, जो दूसरों के लिए रोल मॉडल के तौर पर काम कर सकते हैं और जैव-विविधता की संभाल के लिए सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने में सहायता कर सकते हैं।

इस मौके पर जैव-विविधता एक्ट, बी.एम.सी. और पी.बी.आर. और एन.बी.ए और बोर्ड द्वारा तैयार की गईं तीन दस्तावेज़ी फिल्मों का पंजाबी रूपांतर जारी किया गया और प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, बीएमसी के लिए बोर्ड द्वारा तैयार की गई एक पुस्तिका भी जारी की गई और इसकी ई-कॉपियाँ पंजाब के सभी बीएमसीज़ को बाँटी जाएंगी। इन फिल्मों का प्रयोग बीएमसीज़ को उनके कार्यों, भूमिकाओं और जि़म्मेदारियों के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा।

जि़क्रयोग्य है कि जैव-विविधता प्रबंधन कमेटियाँ (बी.एम.सीज़.) जैव-विविधता एक्ट, 2002 के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह कमेटियाँ ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय संस्थाओं (यू.एल.बी.) के लिए स्थानीय संस्थाओं, पी.आर.आई. नियम की धारा 22 के अधीन स्थापित की गई हैं, जो जैव-विविधता एक्ट को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए संस्थागत ढाँचे का आधार हैं। इस एक्ट के अधीन स्थानीय स्तर, वैधानिक संस्थाओं को जि़म्मेदारियां सौंपी जाती हैं और व्यापारिक प्रयोग के लिए जैविक संसाधनों की संभाल, स्थायी प्रयोग और निष्पक्ष एवं उचित साझेदारी के लक्ष्यों को समझने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

जि़क्रयोग्य है कि जैव-विविधता प्रबंधक कमेटियों (बी.एम.सी.) का 100 प्रतिशत गठन और पंचायती राज संस्थाओं (पी.आर.आई.) का 22 जिलों, 150 ब्लॉक और 13,260 गाँव स्तर और 167 शहर के सभी स्तरों पर लोक जैव-विविधता रजिस्टरों (पी.आर.आई.) की तैयारी सम्बन्धी कार्य राज्य में साल 2016 के ओ.ए. 347 में एनजीटी दिशा-निर्देशों की पालना के अंतर्गत स्थानीय संस्थाओं पंजाब जैव-विविधता बोर्ड के निरंतर समर्थन और सहयोग से पूरे हो चुके हैं। उक्त मामले में 16 दिसंबर, 2020 के दिए एन.जी.टी. के आदेशों के मुताबिक राज्य सरकार को 1 फरवरी, 2020 से 10 लाख प्रति महीना के जुर्माने से राहत दी गई है।

इस समारोह में लगभग 900 भागीदारों ने सम्मिलन किया, जिसमें एडीसी (डी), डीडीपीओज़, बीडीपीओज़, पंचायत सचिव, सरपंच और ग्रामीण बीएमसी के मैंबरों के साथ-साथ एमसी के कार्यकारी अधिकारी और शहरी बीएमसीज़ के मैंबर शामिल थे।

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